राहुल गांधी ने पिता राजीव गांधी को पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि: 'पिताजी, आपके सपने...'

राहुल गांधी ने पिता राजीव गांधी को पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि: 'पिताजी, आपके सपने...'

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 33वीं पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। राहुल ने सोशल मीडिया पर एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "पिताजी, आपके सपने, मेरे सपने। आपकी आकांक्षाएं, मेरी जिम्मेदारियां। आपकी यादें, आज और हमेशा, हमेशा मेरे दिल में।"

राहुल के साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी दिल्ली के वीर भूमि पर जाकर राजीव गांधी को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अवसर पर राजीव गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

राजीव गांधी 1984 से 1989 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे और 1991 में उनकी हत्या कर दी गई थी। उनकी मृत्यु के 33 साल बाद भी उनकी यादें लोगों के दिलों में जिंदा हैं। राजीव गांधी ने देश के विकास और प्रगति के लिए अथक प्रयास किए और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता फिरोज गांधी एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। राजीव ने अपनी शिक्षा देहरादून के डून स्कूल और त्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज से पूरी की। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में भारतीय एयरलाइंस में पायलट बने।

राजीव गांधी का राजनीति में प्रवेश 1980 में उनकी मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ। उन्होंने अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव प्रधानमंत्री बने। उनके कार्यकाल के दौरान पंजाब में आतंकवाद और श्रीलंका में तमिल विद्रोह जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

राजीव गांधी ने देश में कंप्यूटर और संचार क्रांति को बढ़ावा दिया। उन्होंने पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 73वां और 74वां संविधान संशोधन पारित कराया। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए भी प्रयास किए।

1991 में श्रीपेरुम्बुदूर में राजीव गांधी की हत्या

21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा राजीव गांधी की हत्या कर दी गई। उनकी मौत से पूरा देश स्तब्ध रह गया। उनकी अंतिम यात्रा में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया और उन्हें विदाई दी।

राजीव गांधी की विरासत

राजीव गांधी एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने भारत को 21वीं सदी में ले जाने का सपना देखा था। उन्होंने देश के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के लिए कई कदम उठाए। हालांकि उनका कार्यकाल विवादों से भी घिरा रहा, लेकिन उनके विजन और योगदान को नकारा नहीं जा सकता।

राजीव गांधी की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली और लंबे समय तक पार्टी अध्यक्ष रहीं। उनके बेटे राहुल गांधी वर्तमान में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हैं और पार्टी को नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं।

राहुल गांधी 2024 के चुनावी मैदान में

राहुल गांधी इन दिनों 2024 के आम चुनावों की तैयारियों में जुटे हैं। वह उत्तर प्रदेश की रायबरेली और केरल की वायनाड संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। 25 मई को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राहुल अपना पहला चुनावी दौरा करेंगे और रैलियों को संबोधित करेंगे।

राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए राहुल ने कहा कि उनके पिता के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करना उनकी जिम्मेदारी है। राहुल ने अपने पिता को याद करते हुए कहा कि उनकी यादें हमेशा उनके दिल में रहेंगी।

राजीव गांधी का योगदान और बलिदान देश के इतिहास में हमेशा अमर रहेगा। उनकी विरासत को आगे बढ़ाना और उनके सपनों को साकार करना आने वाली पीढ़ियों की जिम्मेदारी है।

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

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Chandan kumar

बस वही पुरानी बातें दोहराते रहे, कुछ नया नहीं。

Swapnil Kapoor

राजीव गांधी ने भारत में कंप्यूटर और दूरसंचार क्रांति को तेज़ किया। उन्होंने राष्ट्रीय विज्ञान सर्वेक्षण को समर्थन दिया और आईआईटी के विस्तार पर ध्येय रखा। उनका डिजिटल पहल आज के स्टार्ट‑अप इकोसिस्टम का आधार है। हालांकि उनके कार्यकाल में कई चुनौतियां भी थीं, पर तकनीकी दृष्टिकोण उल्लेखनीय था। यह स्मृति‑राज्य केवल भावना नहीं, बल्कि ठोस नीतियों पर भी आधारित है。

kuldeep singh

हाय, कौन कह रहा है कि राजीव की विरासत फिज़ूल है? उनके समय में पंचायती राज का सुदृढ़ होना और युवा ऊर्जा का उछाल देखा गया। कुछ लोग तो उनके नाम पर ही आलोचना करने में लगे रहते हैं, जैसे किचन‑कट्टर। अंत में, इतिहास उनके योगदान को मान्य करेगा, चाहे कोई भी कहे。

Shweta Tiwari

राजीव जी के कार्यकाल में कई योजनााें का प्रवर्त्तन हुआ। उनके द्वारा शुरू की गई कंप्युटर शिक्षा योजना आज भी जारी है। हाँ, कुछ फैसले विवादित रहे, पर कुल मिलाकर देश की प्रगति में उनका योगदान सराहनीय है। उन्होंने भारत को तकनीकी मोर्चे पर अग्रसर किया।

Harman Vartej

राजीव के डिजिटल कदम आज के युवा को फायदा पहुंचा रहे हैं। राजनीति में उनका योगदान भूलना नहीं चाहिए

Amar Rams

राजीव गांधी की नीतियों को विश्लेषण करते हुए स्पष्ट हो जाता है कि उन्होंने सूक्ष्म‑परिचालनात्मक रणनीतियों को अपनाया। विशेषकर पंचायती राज संशोधनों ने ग्राम स्तर पर शासन का पुनर्मॉडलिंग किया। इस संदर्भ में, उनके समकालीनों ने अभूतपूर्व आधुनिकीकरण की नींव रखी। ऐसे दूरदर्शी नेतृत्व को केवल स्मृति‑भ्रम नहीं, बल्कि वैश्विक प्रशंसा मिलनी चाहिए।

Rahul Sarker

राजीव गांधी ने भारत को बाहरी कमजोरियों से बचाने के लिए कड़े कदम उठाए। उसकी विदेश नीति स्वाभिमान को प्राथमिकता देती थी। यह देखकर दुख होता है कि आज के कुछ राजनीतिक वर्ग उनकी याद को व्यर्थ कर रहे हैं। उनका दृढ़ सम्मान हमेशा बना रहे।

Sridhar Ilango

पहले तो यह ज़रूर कहूँ कि राजीव गांधी की यादें आज की जनता के दिमाग में धुंधली नहीं, बल्कि चमकीली हैं।
उनका डिजिटल सीनारियो, जिसे अक्सर उद्धृत किया जाता है, असल में एक संकल्प था कि भारत को पुनः पहचान दिलाई जाए।
लेकिन कई लोग अब भी कहते हैं कि वह केवल 'परिवार वंश' का चेहरा था, यह विचार बिलकुलही उल्टा है।
वास्तव में, उनका पायलट बैकग्राउंड ने उन्हें तकनीकी दृष्टिकोण से सोचने का अनोखा मंच दिया।
इस मंच से उन्होंने राष्ट्रीय कंप्यूटर नीति को जन्म दिया, जो आज के एआई युग में बुनियादी स्तंभ है।
उनकी पंचायती राज में किए गए सुधार जलवायु‑समानता के साथ ग्रामीण लोकतंत्र को सशक्त बनाते हैं।
अगर आप इस बात पर नजर डालें कि 1990 के दशक में गाँवों में बिजली और टेलीकॉम की गति कैसे बढ़ी, तो आप राजीव के योगदान को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।
कुछ आलोचक तो यह दावा भी करते हैं कि उनका नेतृत्व केवल ‘इंटेलिजेंस‑इवेंट’ था, ये पूरी तरह से ग़लत है।
सच तो यह है कि जब तक कोई इतिहास को समझेगा, तब तक उनका वही जज्बा और विज़न हमारे दिलों में रहेगा।
उनकी हत्या के बाद भी उनके सपनों को आगे बढ़ाने की लड़ाई जारी है, चाहे वह पार्टी के अंदर हो या बाहर।
और हाँ, आज के युवा को उनके डिजिटल सपने की याद दिलाते हुए, हमें उन नीतियों को फिर से जाँचने की जरूरत है।
बिना किसी भ्रम के कहूँ तो, राजीव ने भारतीय सेना की आधुनिकता को भी प्रेरित किया, यह अक्सर अनदेखा रहता है।
उनकी विदेश नीति ने ‘नॉन‑एलाइन्मेंट’ को एक सक्रिय रणनीति में बदल दिया, जो आज भी प्रासंगिक है।
और अंत में, यह कहा जा सकता है कि उनकी स्मृति केवल एक राजनेता की नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी विचारक की है।
इसलिए, जब हम उनकी पुण्यतिथि पर सम्मान जताते हैं, तो यह केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि विचारशील कर्तव्य भी है।

priyanka Prakash

राजीव की नीतियों को एग्जाम करिए, चाहे जो भी हो, उनका राष्ट्रीय हित हमेशा प्रमुख था।

Pravalika Sweety

राहुल गांधी ने अपने पिता को श्रद्धांजलि देना एक मानवीय कर्तव्य है। इस भावना का सम्मान करना सभी के लिए जरूरी है। यह एक संकल्प है कि हम उनके सपनों को आगे बढ़ाएं।

anjaly raveendran

राजीव गांधी की विरासत पर अक्सर सतही चर्चा होती है, पर उनके योगदान की गहराई को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने विज्ञान और शिक्षा में कई बुनियादी पहलें कीं, जो आज की पीढ़ी को लाभ पहुंचा रही हैं। उनका दृष्टिकोण न केवल राष्ट्रीय नवाचार को प्रोत्साहित करता था, बल्कि सामाजिक न्याय को भी संबोधित करता था। इसलिए, उनका स्मरण करना सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि हमारे भविष्य के लिए भी आवश्यक है।

Danwanti Khanna

वास्तव में, राजीव गांधी की डिजिटल पहल, हमारे मतभेदों के बीच, एक सेतु जैसी थी, जो विभिन्न वर्गों को जोड़ती थी, और इससे राष्ट्रीय एकता को भी बल मिला; यह बात हम सभी को याद रखनी चाहिए, क्योंकि यह इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।

Shruti Thar

राजीव की नीतियां तकनीकी विकास को प्राथमिकता देती थीं। इससे भारतीय आईटी सेक्टर को वैश्विक मंच मिला।

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राजीव का डिजिटल विज़न अभी भी असरदार है, भाई। ग्रैमर सही ना भी करे पर बात समझ में आ गई।

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राजीव के काम पर ज्यादा शोभा नहीं, बस इतिहास ही याद रखेगा।

Manu Atelier

राजीव गांधी के कार्यकाल का विश्लेषण करते समय हमें दोनों पक्षों को समुचित रूप से देखना चाहिए। उनकी कई नीतियों ने भारत को आधुनिकता की ओर अग्रसर किया, परन्तु कुछ कदम विवादास्पद भी रहे। अतः स्मरण का महत्व केवल श्रद्धांजलि तक सीमित नहीं, बल्कि वैचारिक विमर्श भी आवश्यक है। यह दृष्टिकोण ही एक संतुलित इतिहास रचना में मदद करेगा।