तटरेखा — क्या है और क्यों ध्यान दें?
तटरेखा यानी समुद्र और जमीन का मिलन बिंदु। भारत की तटरेखा करीब 7,516 किलोमीटर लंबी है और इसमें मुख्य भूमि के समुद्र तट के साथ अंडमान-निकोबार व लक्षद्वीप जैसे द्वीप भी आते हैं। यह सिर्फ रेतीले किनारे नहीं, बल्कि मछुआरों की रोजी, बड़े बंदरगाह, पर्यटन स्थल और अनगिनत पारिस्थितिक तंत्र का घर है।
अगर आप समुद्र के पास रहते हैं या यात्रा करते हैं तो तटरेखा की बदलती स्थिति सीधे आपकी जिंदगानी और आमदनी को प्रभावित कर सकती है। तेज़ बाढ़, समुद्री पारिस्थितिकी में गिरावट और तटीय कटाव के कारण घर, खेत और पर्यटन व्यवसाय खतरे में पड़ते हैं।
तटीय परिवर्तन और चुनौतियाँ
समुद्री स्तर में वृद्धि और तूफानों के तेज होने से तटीय इलाकों में कटाव और बाढ़ बढ़ रही है। मैन्ग्रोव जैसे प्राकृतिक बैरियर कटाव रोकने और जैवविविधता बचाने में बहुत मदद करते हैं, पर ये भी दबाव में हैं।
मानव गतिविधियाँ भी जिम्मेदार हैं: अनियोजित निर्माण, रेत की खुदाई, प्लास्टिक और औद्योगिक अपशिष्ट तटीय पारिस्थितिकी को नष्ट करते हैं। इसके अलावा, बंदरगाह और समुद्री ट्रैफिक से पारिस्थितिक संतुलन पर असर पहुंचता है—मछली पकड़ने के पारंपरिक तरीके बदल रहे हैं और समुदायों की आजीविका प्रभावित हो रही है।
आप क्या कर सकते हैं — व्यावहारिक कदम
क्या हम व्यक्तिगत स्तर पर मदद कर सकते हैं? हाँ। समुद्र के किनारे साफ़-सुथरा रखें: प्लास्टिक न छोड़ें, रिसाइक्लिंग करें और स्थानीय तटीय सफाई अभियानों में हिस्सा लें। जब आप समुद्री पर्यटन कर रहे हों तो स्थानीय नियमों का पालन करें—कोरल रीफ्स पर कदम न रखें, स्थानीय जीव-जंतुओं को परेशान न करें।
घरेलू और समुदाय स्तर पर नाजुक इलाकों में पेड़ लगाना और मैन्ग्रोव संरक्षण में सहयोग करना सबसे असरदार होता है। स्थानीय प्रशासन को तटरेखा पर अनियोजित निर्माण, रेत खनन या अवैध गतिविधियों की रिपोर्ट करें। छोटे बदलाव — कम प्लास्टिक उपयोग, समुद्री-विकल्पों को प्राथमिकता देना, और सूचनात्मक अभियानों में भाग लेना — बड़े असर डाल सकते हैं।
नीति और विज्ञान भी जरूरी हैं। तटीय क्षेत्रों में सस्टेनेबल प्लानिंग, समुद्री सर्वे और स्थानीय समुदायों का शामिल होना नीतियों को प्रभावी बनाता है। यदि आप व्यापारी, मछुआरा या पर्यटन संचालक हैं तो तट-मैनेजमेंट प्रैक्टिस लागू करके दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
तटरेखा सिर्फ दृश्य सौंदर्य नहीं है — यह रोज़गार, सुरक्षा और पारिस्थितिकी का बुनियादी हिस्सा है। थोड़ा ध्यान और समझदारी बड़े नुक़सान को टाल सकती है। अगली बार समुद्र किनारे जाएँ तो देखें, समझें और जिम्मेदारी से व्यवहार करें।
जापान के दक्षिणी तट पर गुरुवार को आए शक्तिशाली भूकंप के बाद सुनामी चेतावनी जारी की गई और रहवासियों को तटरेखा से दूर रहने के लिए कहा गया। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार भूकंप की तीव्रता 7.1 मापी गई और यह क्यूशू द्वीप के पूर्वी तट के पानी में केंद्रित था।
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