अग्निकुल कॉसमॉस ने भारत के पहले निजी लॉन्चपैड से पहला रॉकेट किया लॉन्च

अग्निकुल कॉसमॉस का ऐतिहासिक प्रक्षेपण
अग्निकुल कॉसमॉस, जो आईआईटी मद्रास-आधारित एयरोस्पेस निर्माता है, ने 30 मई 2024 को अपना पहला रॉकेट अग्निबाण SOrTeD लॉन्च किया। यह प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से हुआ और इस प्रक्षेपण की सबसे खास बात यह है कि इसे भारत के एकमात्र निजी लॉन्चपैड से किया गया। अग्निकुल कॉसमॉस ने इस लॉन्चपैड को न केवल डिजाइन किया बल्कि इसका संचालन भी किया।
लॉन्चपैड की खासियतें
अग्निकुल का यह लॉन्चपैड नवंबर 2022 में उद्घाटित हुआ था। यह एक उच्च तकनीक से लैस प्रक्षेपण मंच है जो कई प्रकार के रॉकेट लॉन्च की क्षमता रखता है। इस लॉन्चपैड का निर्माण और संचालन पूरी तरह से अग्निकुल कॉसमॉस द्वारा किया गया है। उसी दिन सुबह 7:15 बजे आईएसटी पर अग्निबाण SOrTeD ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी।
अग्निबाण SOrTeD का डिज़ाइन और तकनीक
अग्निबाण SOrTeD एक अत्याधुनिक रॉकेट है जिसे विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप डिजाइन किया गया है। यह एक एकल-चरण वाला रॉकेट है जो अग्नीलेट सेमी-क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित होता है। इस रॉकेट ने एक निर्धारित प्रक्षेप पथ का अनुसरण किया, जो इसे पारंपरिक साउंडिंग रॉकेट से अलग बनाता है। अग्निबाण SOrTeD की लम्बाई 18 मीटर है, इसका व्यास 1.3 मीटर है और इसका प्रक्षेपण भार 14,000 किलोग्राम है।
रॉकेट की अनुकूलन क्षमता
अग्निबाण SOrTeD की सबसे बड़ी विशेषता इसकी अनुकूलन क्षमता है। इसे तीन चरणों तक बढ़ाया जा सकता है और यह 700 किलोमीटर की निम्न-पृथ्वी कक्षा तक 100 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है। पहला चरण सात अग्नीलेट इंजनों द्वारा संचालित होता है, जिनमें से प्रत्येक 25 किलो न्यूटन का थ्रस्ट प्रदान करता है, जबकि दूसरा चरण अग्नीलेट वैक्यूम इंजन द्वारा संचालित होता है।
अत्याधुनिक इंजन तकनीक
अग्निबाण SOrTeD की अद्वितीयता इसके इंजन में भी है। अग्नीलेट सेमी-क्रायोजेनिक इंजन ने अपने पहले प्रक्षेपण में ही शानदार प्रदर्शन किया। यह इंजन बहुत ही उच्च विषम और शक्तिशाली है, जो रॉकेट को बेहद सटीकता और स्थिरता के साथ लॉन्च में मदद करता है। इस इंजन तकनीक ने अग्निकुल कॉसमॉस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना दिया है।

भारत के अंतरिक्ष मिशनों में निजी क्षेत्र की भूमिका
हाल के वर्षों में, भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान और मिशनों में निजी क्षेत्र की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। अग्निकुल कॉसमॉस जैसी कंपनियों ने न केवल नवाचार किया है, बल्कि अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में नए मानदंड भी स्थापित किए हैं। यह प्रक्षेपण एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जो यह संकेत देता है कि भारत की निजी कंपनियां भी अब अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
भविष्य की संभावनाएं
अग्निकुल कॉसमॉस का यह सफल प्रक्षेपण केवल एक शुरूआत है। आने वाले वर्षों में, कंपनी और भी अधिक उन्नत और उच्च तकनीक वाले रॉकेट लॉन्च करने का लक्ष्य रखती है। इसके साथ ही, अन्य निजी कंपनियों को भी अंतरिक्ष मिशनों में योगदान देने का प्रोत्साहन मिलेगा। इन प्रयासों से भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र और भी मजबूत और सक्षम बनेगा।
अंतरिक्ष अभियानों के लिए नया युग
अग्निकुल कॉसमॉस का यह सफल प्रक्षेपण और उसके द्वारा इस्तेमाल की गई अत्याधुनिक तकनीक दर्शाती है कि अब हम अंतरिक्ष अभियानों के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं। भारत में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इस प्रकार के नवाचार और प्रगति ने हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नई दिशा और गति प्रदान की है।
सारांश
अग्निकुल कॉसमॉस का पहला रॉकेट प्रक्षेपण केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका को पहचानता है। यह प्रक्षेपण न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भविष्य में और भी बड़े और महत्त्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों का मार्ग प्रशस्त करता है।
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