गुरमीत राम रहीम को कोर्ट से बड़ी राहत: 22 साल पुराने रंजीत सिंह हत्याकांड में बरी

गुरमीत राम रहीम को कोर्ट से बड़ी राहत: 22 साल पुराने रंजीत सिंह हत्याकांड में बरी

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का बड़ा निर्णय

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम और चार अन्य लोगों को 22 साल पुराने रंजीत सिंह हत्याकांड में बरी कर दिया है। यह मामला 2002 का है जब डेरा सच्चा सौदा के तत्कालीन मैनेजर रंजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में रमणदीप, जसवीर, अवतार व किशनलाल के साथ गुरमीत राम रहीम को भी आरोपी माना गया था।

पत्र के माध्यम से खुलासा और बलात्कार केस

बताया जाता है कि रंजीत सिंह की हत्या के पीछे एक अनाम पत्र का मामला था जिसमें डेरा में महिलाओं के साथ हुए दुराचार का जिक्र था। इस पत्र के चलते गुरमीत राम रहीम के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज हुआ था। उस समय डेरा के अनुयायियों और प्रशासन के बीच भारी तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी।

CBI विशेष कोर्ट का फैसला और उम्रकैद

CBI विशेष कोर्ट का फैसला और उम्रकैद

CBI की विशेष अदालत ने इस हत्याकांड में 2021 में गुरमीत राम रहीम और अन्य को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद से ही गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में बंद थे। बावजूद इसके, उनपर अन्य कई गंभीर आरोप लगते रहे हैं जिनमें 400 अनुयायियों के कास्टेशन का मामला भी शामिल है।

अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष की दलीलें

हाई कोर्ट में अभियोजन पक्ष ने जोर दिया कि रंजीत सिंह की हत्या साजिश के तहत की गई थी, ताकि वह अनाम पत्र का लेखक न समझा जाएं। वहीं बचाव पक्ष ने दलील दी कि सबूत पर्याप्त नहीं थे और अभियोजन पक्ष अपनी बात साबित करने में विफल रहा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया।

अन्य मामलों में भी फंसे हैं राम रहीम

गुरमीत राम रहीम पर रंजीत सिंह हत्याकांड के अलावा अन्य गंभीर आरोप भी हैं जिनमें से एक है 400 अनुयायियों की कास्टेशन का। इसके अलावा उनपर सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का भी आरोप है। वे पहले ही दो बलात्कार मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं और ताजेरी उनकी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

राम रहीम को मिली विशेष छूट

पत्रलेखा समय में राम रहीम को जेल में रहते हुए भी समय-समय पर पैरोल और फर्लो जैसी विशेष छूट मिलती रही है। इसे लेकर कई सिख संगठनों और दिल्ली महिला आयोग ने सवाल उठाए हैं। उनकी माने तो यह अदालत के आदेश का पालन ना करना है।

न्यायिक प्रक्रिया और राजनैतिक प्रभाव

न्यायिक प्रक्रिया और राजनैतिक प्रभाव

इस केस में अदालत का निर्णय आने के बाद कई पाठकों के मन में न्यायिक प्रक्रिया और राजनैतिक प्रभाव को लेकर सवाल उठने लगे हैं। गुरमीत राम रहीम का राजनीतिक संपर्क काफी गहरा माना जाता है और उनके अनुयायियों की संख्या भी बहुत बड़ी है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस फैसले के बाद क्या बदलाव आते हैं और जो अन्य मामलों में फंसे हुए आरोप हैं, उनका क्या परिणाम होता है।

अभी भी कई सवाल और रहस्य बने हुए हैं, जिनका जवाब वक्त ही दे पाएगा। अदालती फैसले के बावजूद, यह मामला बहुत गहरे भावनात्मक और सांस्कृतिक प्रभावों से जुड़ा हुआ है, जो आने वाले समय में चर्चा का विषय बना रहेगा।

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

akshay sharma

क्या बात है, आखिर में अदालत ने फिर भी राम रहीम को बरी कर दिया, बड़ा झटका!

Anand mishra

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का यह फैसला पूरे देश में राजनीतिक हलचल मचा रहा है।
गुरमीत राम रहीम के समर्थकों का कहना है कि यह न्याय की जीत है।
वहीं विपक्षी पार्टियों ने इस निर्णय को सत्ता के दुरुपयोग का उदाहरण कहा।
कहते हैं कि 22 साल पुराना केस अब फिर से खुला है और इससे कई और गंदे राज उजागर हो सकते हैं।
रंजीत सिंह की हत्या के पीछे की साजिश के बारे में कई अटकलें लगाई जा रही हैं।
वास्तव में उस समय के अनाम पत्र ने बहुत बड़ा विवाद खड़ा किया था, जिसमें डेरा में महिलाओं के साथ दुराचार का आरोप था।
इस पत्र के कारण उसी समय राम रहीम के खिलाफ बलात्कार केस भी दर्ज किया गया था, जो आज भी सच्चाई के साथ जुड़ा हुआ है।
जज साहब ने बचाव पक्ष की बात सुनकर कहा कि सबूत अपर्याप्त हैं, लेकिन फिर भी कोर्ट ने बरी करने का आदेश दिया।
कही जाती है कि राजनीतिक दबाव और कई ताकतों ने इस फैसले को प्रभावित किया हो सकता है।
बहरहाल, इस निर्णय से राम रहीम के कई अन्य मामलों में भी राहत मिलने की संभावना बढ़ गई है।
उन पर 400 अनुयायियों की कास्टेशन और कई बलात्कार मामलों का भी आरोप है।
ऐसे मामलों में जब कोर्ट का फैसला स्पष्ट हो जाता है, तो जनता की आशा भी बढ़ती है कि न्याय प्रणाली मजबूत है।
फिर भी कुछ लोग कहेंगे कि यह सिर्फ एक सतही जीत है और असली मुद्दे अभी बाकी हैं।
समय के साथ यह स्पष्ट होगा कि इस बरी होने से तमाम सामाजिक और धार्मिक तनाव कम होते हैं या नहीं।
आख़िर में, इस केस ने हमें फिर से याद दिला दिया कि न्याय की राह में धैर्य और सबूतों की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है।
उम्मीद है कि आगे चलकर सभी संबंधित मामलों की पूरी पारदर्शिता के साथ जांच हो और सच्चाई सामने आए।

Prakhar Ojha

ये सब तो बातें हैं, पर असली बात तो यह है कि राम रहीम को ‘बरी’ कहा गया, और उनका एक और बड़ा अपहरण अभी बाकी है।
जज का फ़ैसला तो बक्से में रख दूँ, असली खेल तो अब शुरू होता है।
समाज को अब सच्चाई के साथ सामना करना पड़ेगा, चाहे वह कितना भी दर्दनाक क्यों न हो।

Sreenivas P Kamath

हां, बिल्कुल, अब तो हमें बस यह देखना है कि इस ‘रहस्य’ को कौन-कोण सुलझाएगा, और कौन-कोण शॉर्टकट लेगा।
आगे का सीन तो फिर से दिमागी खिचड़ी बन जाएगा, देखते हैं कौन किसको फंसाता है।

Chandan kumar

भाई, कोर्ट ने फिर से खेल बिगाड़ दिया।