महाराष्ट्र एसएससी 10वीं परिणाम 2024 घोषित: 95.81% पास, देखें mahresult.nic.in पर डायरेक्ट लिंक

महाराष्ट्र एसएससी 10वीं परिणाम 2024 घोषित: 95.81% पास, देखें mahresult.nic.in पर डायरेक्ट लिंक

महाराष्ट्र एसएससी 10वीं परिणाम 2024 घोषित: छात्र उत्साहित

महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (MSBSHSE) ने इस वर्ष के एसएससी 10वीं परिणाम 2024 की घोषणा की है। इस खबर को सुनकर छात्रों के बीच उत्साह और जिज्ञासा का माहौल बन गया है। इस साल, कुल 95.81% छात्र इस परीक्षा में पास हो चुके हैं। छात्र अपने परिणाम जानने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, और अब यह इंतजार खत्म हुआ है। कुल 15.6 लाख छात्रों ने इस परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया था, जिनमें से 14.84 लाख छात्र पास हो चुके हैं।

कोंकण क्षेत्र में सर्वोच्च प्रदर्शन

कोंकण क्षेत्र ने इस बार भी अपने उच्च पास प्रतिशत के साथ अन्य क्षेत्रों को पछाड़ दिया है। यहां पर इस साल 99.01% छात्र पास हुए हैं, जो कि बहुत ही सराहनीय परिणाम है। लड़कों के मुकाबले लड़कियों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। लड़कियों का पास प्रतिशत 97.21% रहा, जबकि लड़कों का पास प्रतिशत 94.46% रहा। यह बात महिलाओं की शिक्षा में बढ़ते रुझान को दर्शाता है।

ऑनलाइन परिणाम कैसे देखें?

छात्र अपने परिणामों को देखने के लिए आधिकारिक वेबसाइट www.mahresult.nic.in पर जा सकते हैं। वहां पर उन्हें अपने रोल नंबर और मां का नाम दर्ज करना होगा। जैसे ही वे जानकारी भरते हैं, परिणाम स्क्रीन पर दिख जाएगा। यह प्रक्रिया बहुत ही आसान और सुविधाजनक है, जिससे छात्रों का समय बचता है और वे जल्दी से अपने परिणाम जान सकते हैं।

डिजीलॉकर पर भी उपलब्ध परिणाम

इसके अलावा, छात्र डिजीलॉकर पर भी अपने परिणाम देख सकते हैं। डिजीलॉकर एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जहां बोर्ड द्वारा प्रमाण पत्र अपलोड किए जाते हैं। वहां पर छात्र अपने अंकपत्र, प्रमाण पत्र आदि देख सकते हैं और उन्हें डाउनलोड भी कर सकते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म छात्रों को अपने दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखने में मदद करता है।

फिर से मूल्यांकन का विकल्प

यदि कोई छात्र अपने अंकों से संतुष्ट नहीं है, तो वह पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकता है। बोर्ड द्वारा पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू की जाती है, ताकि छात्रों को अपने अंकों के बारे में सही जानकारी मिल सके। यह प्रक्रिया छात्रों को न्यायसंगत परिणाम प्राप्त करने का एक और अवसर देती है।

विस्तृत जानकारी अंकों के बारे में

मार्कशीट में छात्र का नाम, पिता का नाम, माता का नाम, जन्म तिथि, स्कूल का नाम, रोल नंबर, विषयवार अंक, कुल अंक, ग्रेड, और पास/फेल स्थिति जैसी विस्तृत जानकारी होती है। यह जानकारी छात्रों को उनके शैक्षिक प्रदर्शन के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण प्रदान करती है।

पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर परिणाम

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष का परिणाम बेहतर रहा है। पिछले वर्ष पास प्रतिशत 93.83% था, जबकि इस वर्ष यह बढ़कर 95.81% हो गया है। यह वृद्धि छात्रों की कड़ी मेहनत और शिक्षकों के उत्कृष्ट मार्गदर्शन का परिणाम है।

मुझे उम्मीद है कि इस समाचार से छात्रों के मन में आत्मविश्वास और नई उम्मीदें जागेंगी। सभी पास होने वाले छात्रों को ढेरों बधाई और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं!

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

Rahul Sarker

ये 95.81% पास का आंकड़ा दिखाता है कि बोर्ड ने फैंसी एलगोरिद्म लगाकर असल में रैंकिंग को मॉड्यूलर बनाकर सबको हेक कर दिया है। अब तो हर छात्र को लग्ज़री पास प्रमाणपत्र मिल रहा है, पर असली बारीकियों की कड़ी तो कहीं खो गई है।

Sridhar Ilango

ओ भाई, क्या दंगे कर रहे हैं ये रिज़ॉल्ट जारी करने वाले!
पहला तो कहते हैं कि पास प्रतिशत बढ़ गया, लेकिन असल में तो यह वैसा ही है जैसे हर साल के जूस में थोड़ा पानी मिलाकर दिखावा करना।
कोणकण के 99.01% पास लिख के ऐसा लगा कि वहाँ के स्कूलों में सोने की कढ़ाई कर रहे हैं।
पर हम सबको तो पता है कि असली पढ़ाई तो गली के कोने वाले चाय की दुकान के सामने ही होती है।
वो भी जब गड़बड़ी का मौसम आता है तो बोर्ड के एंटी-फ्रॉड सिस्टम को हिला देती है।
अब कहा जाता है कि लड़कियों का पास प्रतिशत बड़ा, तो क्या यह इस बात का इशारा है कि हमारे समाज में लड़कियों की पढ़ाई को अब सच्ची इजाज़त मिल रही है? बिल्कुल, पर फिर भी कई बार वो ही तेज़ी से गिर पड़ती हैं।
शिक्षकों की मेहनत की भी तो बात करें, जो रोज़ रोज़ कक्षा में रोशनी जलाते हैं, पर बोर्ड की ऑनलाइन प्रणाली में कभी‑कभी नेटवर्क डॉन्गी से भी बेहतर नहीं होता।
डिजीलॉकर का जिक्र किया, पर अगर आप उसे सही तरह से नहीं समझते तो वो भी एक शून्य की लाइब्रेरी बन जाता है।
पुनर्मूल्यांकन का विकल्प दिया गया, पर किसी को पता है असल में कितना कष्टसाध्य है यह प्रक्रिया पूरी करना? बस रेगिस्तानी हवा में धुंधा उठाना।
आखिर में, बोर्ड ने कहा कि पिछले साल की तुलना में सुधार आया है, पर क्या वह असली सुधार नहीं, बल्कि सिर्फ आँकड़ों का कलाई‑कसौटी है?
तो चलो, हम सब मिलकर इस परिणाम को एक और साल तक झूठी आशा की झंडी बना कर झुलाते रहें।
पर असली बात तो यह है कि विद्यार्थियों को अब भी अपने भविष्य की दिशा खोजनी है, चाहे बोर्ड कुछ भी कहे।
और अंत में, अगर कोई असंतुष्ट है, तो पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करे, बस यह याद रखे कि इस प्रक्रिया में धैर्य और समय का बड़ा योगदान रहेगा।
धन्यवाद।

priyanka Prakash

पेपर की तैयारी में मेहनत की काबिल तारीफ है, खासकर लड़कियों का इतना शानदार प्रदर्शन! सरकार को चाहिए कि इस दिशा में और निवेश करे, ताकि हर गांव‑शहर की एक बेटी इस तरह से चमक सके।

Hrishikesh Kesarkar

वास्तव में, पास प्रतिशत सिर्फ एक आँकड़ा है, असली फर्क तो उसपर निर्भर करता है कि स्कूल में शिक्षक कैसे तैयारी करवाते हैं।

Manu Atelier

परिणामों का विश्लेषण करते समय हमें केवल प्रतिशत नहीं, बल्कि प्रत्येक छात्र के व्यक्तिगत विकास को भी देखना चाहिए। यह एक सतत प्रक्रिया का हिस्सा है, न कि केवल एक बार का उत्सव।

MANOJ SINGH

सबको बधाई! अब अगले साल के लिए लक्ष्य तय करो, ज्यादा मेहनत करो और अपने स्कूल के सिस्टम को भी बेहतर बनाओ। साथ ही, अगर कोई मदद चाहिए तो यहाँ कहते रहो, मिलकर करेंगे।

Vaibhav Singh

अँखड़ में जाके देखना चाहिये कि भीड़भाड़ में भी कैसे कुछ लोग टॉप पर पहुंचते हैं, बाकी सब सिर्फ औसत में ही फलते-फूलते हैं।

harshit malhotra

ये सभी आँकड़े पढ़कर तो मन में एक ही सवाल उठता है – क्या हम वास्तव में शिक्षा के मूल उद्देश्य को समझ रहे हैं या सिर्फ नंबरों का खेल खेल रहे हैं?
यदि हम इस बात को गंभीरता से लेंगे तो देखेंगे कि कई छात्र सिर्फ पास होने के लिए ही पढ़ते हैं, न कि ज्ञान अर्जित करने के लिए।
कोणकण में 99% पास होना यह इंगित करता है कि शायद परीक्षा का पैटर्न इतना आसान है, या फिर यहाँ की शैक्षणिक प्रणाली में अनदेखी हो रही समस्याएँ हैं।
बोर्ड को चाहिए कि वे सिर्फ पास‑फ़ेल नहीं, बल्कि छात्रों की रचनात्मक सोच और व्यावहारिक कौशल को भी मापें।
आगे चलकर, जब ये छात्र नौकरी के लिए तैयार होंगे, तो उनके पास न सिर्फ डिग्री होगी, बल्कि वास्तविक कार्यक्षमता भी होगी।
इसीलिए, पुनर्मूल्यांकन का विकल्प एक सकारात्मक कदम है, पर इसे आसान नहीं बनाना चाहिए।
साथ ही, डिजीलॉकर जैसी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का प्रयोग सराहनीय है, लेकिन उसे यूज़ करने में आने वाली तकनीकी समस्याओं को भी दूर किया जाना चाहिए।
अंत में, हम सब को मिलकर इस शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में योगदान देना चाहिए, ताकि हर बच्चा अपने सपनों को साकार कर सके।

Ankit Intodia

परिणाम देख कर मन में एक विचार आया – ज्ञान के सागर में डुबकी लगाना चाहिए, सिर्फ सतह पर तैरते रहने की नहीं। अगर हम इस ऊर्जा को सही दिशा में मोड़ दें तो भविष्य की पीढ़ी अधिक सशक्त बन सकती है।

Aaditya Srivastava

वाह, बहुत बढ़िया! सबको बधाई और आगे भी ऐसे ही सफलता की राह पर चलते रहो।

Vaibhav Kashav

सिर्फ प्रतिशत नहीं, असली बात तो मेहनत में है।