NEET 2025 परीक्षा में बिजली कटौती: छात्रों की मुश्किलें और कोर्ट का फैसला
इंदौर के परीक्षा केंद्रों पर हुए एक बड़े हादसे ने छात्रों के भविष्य को अधर में लाकर खड़ा कर दिया है। दरअसल, 4 मई को नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) के दौरान भीषण तूफान की वजह से इंदौर के कई परीक्षा केंद्रों में बिजली गुल हो गई थी। इससे 75 छात्रों की परीक्षा में भारी मुश्किलें आईं। कुछ केंद्रों में तो हालात इतने खराब थे कि परीक्षार्थियों को NEET 2025 की उत्तर पुस्तिका मोमबत्ती की रोशनी में ही भरनी पड़ी। इस घटनाक्रम ने परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठा दिए।
असुविधा की वजह से छात्रों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 94 छात्रों ने याचिका में दावा किया कि बिजली कटौती के कारण वे प्रश्नपत्र अच्छे से पढ़ नहीं पाए। उन्होंने परीक्षा दोहराने या विशेष व्यवस्था की मांग की। इस मामले की सुनवाई 9 जून 2025 को हुई, जिसमें मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को आदेश दिया कि 75 प्रभावित विद्यार्थियों के रिजल्ट फिलहाल न जारी किए जाएं। कोर्ट का कहना है कि इन छात्रों का भविष्य अनिश्चितता में नहीं छोड़ा जा सकता।
हालांकि, ऐसी दिक्कतें झेलने के बावजूद करीब 8,790 छात्रों ने किसी तरह परीक्षा पूरी की। हाई कोर्ट ने इनके लिए रिजल्ट 14 जून तक जारी करने की अनुमति दे दी। कोर्ट ने माना कि बाकी छात्रों की मेरिट का इंतजार करना भी अनुचित होगा। लेकिन जिन 75 उम्मीदवारों की परीक्षा सबसे ज्यादा प्रभावित हुई, उनके रिजल्ट पर अगली सुनवाई तक रोक रहेगी। अब अगली सुनवाई 23 जून को तय है, जिसमें इन छात्रों के पुन: परीक्षा कराने या अन्य विकल्पों पर फैसला हो सकता है।

छात्रों का तनाव और आगे की चुनौतियां
इन घटनाओं से प्रभावित छात्र और उनके परिवार बेहद तनाव में हैं। रिजल्ट रुके रहने से उनकी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन और काउंसलिंग शेड्यूल दोनों ही अधर में लटक गए हैं। संभावना जताई जा रही है कि इन्हें फिर से परीक्षा देने के लिए कहा जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो बाकी सभी छात्रों के मुकाबले इनके एडमिशन में देरी होगी।
इस केस का निर्णय आने वाले दिनों में उन छात्रों की मेरिट पर सीधा असर डाल सकता है, जो इस तकनीकी गड़बड़ी की चपेट में आए। ऐसे मामलों में छात्रों की उम्मीद प्रशासन के न्याय पर ही टिकी है। फिलहाल, सभी की निगाहें कोर्ट के अगले फैसले पर टिकी हैं कि इन 75 उम्मीदवारों का भविष्य किस दिशा में जाता है।
Pawan Suryawanshi
ऊँट के गले में घड़ी कसके बाँध लो, क्योंकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने इस बार सोचा होगा कि बिजली कटौती भी एक नया प्रश्नपत्र हो सकता है 😂
इंदौर के केंद्रों में बिजली की गड़बड़ी ने छात्रों को मेंहदी‑वाले मोमबत्ती से उत्तर भरने को मजबूर कर दिया, जो बीते दानव के साइड‑इफ़ेक्ट जैसा था।
अब जो 75 छात्र इस अंधेरे में फँसे हैं, उनके रिज़ल्ट पर रोक लगना एक तरह से न्याय का बकवास नहीं, बल्कि उनका हक़ भी है।
समझदारी यह है कि कोर्ट ने उन्हें एक अतिरिक्त अवसर देना तय किया, जिससे कि ये लोग फिर से अपने सपनों की ओर धावन कर सकें।
हाई कोर्ट का यह कदम इस बात का इशारा है कि परीक्षा की निष्पक्षता में कोई भी तकनीकी त्रुटि नहीं छूटनी चाहिए।
परंतु, इस निर्णय के पीछे कुछ और भी मोटी बात छिपी हो सकती है, जैसे कि NTA की तैयारी में कमी या फिर सरकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर की लापरवाही।
जो भी हो, छात्रों को अब अपने जीवन कीरें को दोबारा सँभालना पड़ेगा, कॉफ़ी की जगह मोमबत्ती लेकर, और फिर से लड़ना पड़ेगा।
इन 75 छात्रों का तनाव इतना बढ़ा है कि उनका फोकस बस एक ही चीज़ पर टिका है – अगली सुनवाई में सफल होना।
यदि कोर्ट ने उन्हें दोबारा परीक्षा देने का आदेश दिया तो बाकी 8,790 छात्रों के साथ के काउंसलिंग शेड्यूल में भी बदलाव आ सकता है।
किसी भी स्थिति में, इस तरह की अनिश्चितता के बीच छात्रों को मानसिक समर्थन की जरूरत है, न कि सिर्फ़ काग़ज़ी आदेशों की।
काउंसलिंग सत्र में अब शायद टेंशन की बात नहीं होगी, बल्कि इस सवाल पर चर्चा होगी कि मोमबत्ती की रोशनी में लिखा गया उत्तर किन पैमानों पर मंा जाया जाएगा।
साथ ही, यह भी जरूरी है कि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के लिए पहल की जाए, जैसे बैकअप जनरेटर या मोबाइल हॉटस्पॉट की व्यवस्था।
अगर NTA अपने टेस्ट सेंटर में ऐसी सुविधाएँ नहीं देगा तो यह एक बार फिर छात्र वर्ग की निराशा को बढ़ा देगा।
हम सबको मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए, ताकि कोई भी छात्र अपने सपनों को अधूरा न छोड़ना पड़े।
आख़िर में, मैं कहूँगा कि यह मामला सिर्फ़ 75 छात्रों की नहीं, बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी को उजागर करता है।
सभी को शुभकामनाएँ और उम्मीद है कि कोर्ट का अगला फ़ैसला सभी के हित में होगा।