एनपीए (Non-Performing Assets) — आसान भाषा में समझें
एनपीए यानी जब उधार लिया गया पैसा समय पर वापस नहीं आता। क्या किसी कर्ज का ब्याज और किस्त 90 दिनों से अधिक बकाया है? तो बैंक उसे एनपीए मान लेते हैं। यह सिर्फ बैंक की एक रिपोर्ट वाली समस्या नहीं — बचत करने वाले, करदाता और अर्थव्यवस्था सब पर असर पड़ता है।
संक्षेप में: बैंक का पैसा फंसा हुआ है, नकदी पर दबाव बढ़ता है और नए लोन देने की शक्ति घटती है। इससे ब्याज दरें बढ़ सकती हैं और व्यवसायों का विस्तार रुक सकता है।
एनपीए के प्रमुख कारण
कई बार एनपीए व्यक्तिगत वजहों से बनते हैं और कई बार सिस्टमिक कारण होते हैं। कुछ आम कारण:
- कमजोर बिजनेस मॉडल या रुपये की कमाने की क्षमता।
- खराब क्रेडिट जाँच या दस्तावेजी कमी।
- अचानक आर्थिक मंदी, मांग में गिरावट या महंगाई का असर।
- ऊँचे ब्याज दरों के कारण रिफाइनेंसिंग का बोझ।
- अनुचित गारंटी और कम वैल्यूएशन ऑफ़ कॉलैटरल।
- सरकारी नीतियों में बदलाव या क्षेत्रीय संकट (जैसे कृषि पर सूखा)।
एनपीए का असर और पहचान कैसे करें
बैंक के बैलेंस शीट पर एनपीए बढ़ना: प्रॉफिट घटेगा, प्राविजनिंग बढ़ेगी और शेयरहोल्डर्स का भरोसा कमजोर होगा। छोटे निवेशक के लिए इसका मतलब — बैंक क्रेडिट देने में सावधानी बरतेगा और आपके लोन के लिए कड़ी शर्तें आ सकती हैं।
पहचान के सिग्नल: EMI अकसर टलती हो, व्यवसाय के कॅश फ्लो में गिरावट, बार-बार ऋण पुनर्गठन की मांग। बैंक में अगर वितरण और निगरानी कमजोर है तो छोटे कर्ज भी जल्दी एनपीए बन सकते हैं।
अब सवाल: एनपीए कम कैसे करें? यह काम बैंक, नीति निर्माता और उधारकर्ता तीनों को मिलकर करना होगा। नीचे व्यवहारिक कदम दिए जा रहे हैं।
बैंकों के लिए प्रभावी कदम — सख्त but स्मार्ट क्रेडिट चेक, कागजी प्रक्रिया मजबूत करना, समय पर रिमाइंडर और रीकवरिशन टीम का त्वरित एक्शन। एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों (ARCs) और SARFAESI/IBC जैसे कानूनी टूल का सही उपयोग जरूरी है।
नीति और सिस्टम स्तर — जल्द रिस्क रेटिंग, पारदर्शी रिपोर्टिंग और रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क तेज करना। आरबीआई और कानूनों द्वारा तय नियमों का पालन करना एनपीए नियंत्रित करने में मदद करता है।
उधारकर्ता के लिए सुझाव — समय पर किस्त दें, नकदी प्रबंधन सुधारें, बैंक से खुलकर बातचीत करें अगर समस्याएँ दिखें। समय रहते रिस्ट्रक्चरिंग या रिफाइनेंस विकल्प लेने से नुकसान कम होता है।
अंत में, एनपीए केवल आंकड़ा नहीं है — यह संकेत है कि कहीं नकदी चेन में कोई रुकावट है। अगर बैंक, ग्राहक और नीति‑निर्माता मिलकर तेज निर्णय लेते हैं तो एनपीए को काबू में रखा जा सकता है। आप अगर उधारकर्ता हैं तो हिसाब किताब साफ रखें; बैंक हैं तो निगरानी और सक्रिय रीकवरी को प्राथमिकता दें। छोटे बदलाव बड़े नतीजे दे सकते हैं।
ऐक्सिस बैंक के शेयरों में पहली तिमाही के परिणामों के बाद गिरावट दर्ज की गई है। बैंक का शुद्ध लाभ पिछले साल की तुलना में 4% बढ़ा, लेकिन अनुमानों से कम रहने के कारण निवेशकों में निराशा फैली। बैंक की ग्रॉस एनपीए और नेट एनपीए में भी वृद्धि हुई है।