ऐक्सिस बैंक के शेयरों में गिरावट, पहली तिमाही में लाभ और परिसंपत्ति गुणवत्ता ने किया निराश

ऐक्सिस बैंक के शेयरों में गिरावट, पहली तिमाही में लाभ और परिसंपत्ति गुणवत्ता ने किया निराश

ऐक्सिस बैंक के शेयरों में गिरावट के कारण

ऐक्सिस बैंक के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली जब पहली तिमाही के परिणाम सामने आए। बैंक का शुद्ध लाभ 4% की बढ़त के साथ 6,034.6 करोड़ रुपये पर पहुंचा, जो कि अनुमानों से कम था। इस गिरावट का मुख्य कारण बैंक की खराब परिसंपत्ति गुणवत्ता और बढ़ती प्रावधानें रही।

परिसंपत्ति गुणवत्ता में गिरावट

बैंक की ग्रॉस गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) अनुपात पिछली तिमाही के 1.43% से बढ़कर 1.54% हो गया, जबकि नेट एनपीए अनुपात भी 0.31% से बढ़कर 0.34% हो गया। एनपीए अनुपात की यह बढ़त निवेशकों के बीच चिंता का कारण बनी और इसका सीधा असर बैंक के शेयरों पर देखने को मिला।

कॉरपोरेट क्षेत्र में ऋण वृद्धि

हालांकि, बैंक ने अपनी ऋण वृद्धि में कुछ सुधार देखा, जो मुख्यतः कॉरपोरेट क्षेत्रों में केंद्रित रहा। लेकिन जमा दरों में सुस्ती की वजह से क्रेडिट-टू-डिपॉजिट अनुपात 92.2% पर पहुंच गया। यह स्थिति बैंक के लिए आने वाले समय में चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि उच्च क्रेडिट-टू-डिपॉजिट अनुपात संचालित करने में कठिनाइयाँ ला सकता है।

विश्लेषकों की प्रतिक्रियाएं

मोतिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के विश्लेषकों ने FY25/26 के लिए अपनी कमाई की अनुमानित दरों को क्रमशः 5.6% और 7.8% तक घटा दिया है। इनका तर्क है कि बैंक की परिसंपत्ति गुणवत्ता और क्रेडिट लागतें अगले कुछ तिमाहियों में चुनौतीपूर्ण रह सकती हैं। उन्होंने स्टॉक के लिए ‘न्यूट्रल’ रेटिंग को बनाए रखा है और लक्ष्य मूल्य 1,175 रुपये रखा है।

दूसरी ओर, नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने लक्ष्य मूल्य को 1,430 रुपये तक घटाया है लेकिन उन्होंने 'बाय' कॉल को अभी भी बनाए रखा है।

बाजार में स्थिति

शेयर बाजार में ऐक्सिस बैंक के शेयर 1,162.05 रुपये पर आ गए, जो 6.23% की गिरावट के साथ जून 5 के बाद सबसे निचले स्तर पर है। इस गिरावट के चलते बाजार में निवेशकों की चिंताएँ बढ़ गई हैं।

समग्र तिमाही परिणामों और परिसंपत्ति गुणवत्ता की गिरावट से प्रभावित होकर ऐक्सिस बैंक के शेयरों में आई गिरावट ने बाजार में हलचल पैदा कर दी है। निवेशकों के लिए यह एक कठिन समय हो सकता है, लेकिन बैंक के प्रबंधन को आने वाले समय में अपनी रणनीतियों को और अधिक मजबूत करके इन चुनौतियों का सामना करना होगा।

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

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ऐक्सिस बैंक के शेयरों में गिरावट, पहली तिमाही में लाभ और परिसंपत्ति गुणवत्ता ने किया निराश

Deepanshu Aggarwal

ऐक्सिस बैंक की पहली तिमाही के परिणाम देख कर चिंता समझ में आती है, लेकिन यह याद रखना ज़रूरी है कि बैंक ने लाभ में वृद्धि दिखाई है 😊। शुद्ध लाभ का 4% बढ़ना एक सकारात्मक संकेत है, हालांकि अनुमान से कम होना निराशाजनक है। खराब एनपीए वृद्धि को सुधारने के लिए बैंकों को प्रोडक्टिव क्लीनिंग और बेहतर जोखिम प्रबंधन पर फोकस करना चाहिए। जमा दरों की सुस्ती को कम करने के लिए आकर्षक डिपॉज़िट स्कीम्स लॉन्च कर सकते हैं। कुल मिलाकर, दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह एक अस्थायी उलटफेर हो सकता है।

akshay sharma

यार, यह तो बैंकों की सर्दी है!📉 एनपीए में जो बढ़ोतरी देखी जा रही है, वह न सिर्फ़ एक आकड़ा है, बल्कि एक चेतावनी संकेत है कि जहाँ तक जोखिम प्रबंधन की बात है, बैंक ने फायरसेफ़्ट को बंद कर दिया है। मौलीओस की तरह, यह परिणाम हमारे पोर्टफ़ोलियो को भी जलाने की धमकी देता है। यदि नयी रणनीतियों को तुरंत लागू नहीं किया गया, तो शेयरों की गिरावट एक भयानक भू‑भविष्य बन सकती है। नतीजतन, इस अँधेरे में निवेशकों को टॉर्च की जरूरत है।

Anand mishra

पहली तिमाही के आँकड़े देखते ही मेरे दिमाग में कई रंगीन चित्र चमक उठे; जैसे एक पुराने बॉलीवुड फिल्म का गीत, जहाँ हर लिरिक्स में नयी आशा और निराशा का संगम है। बैंकों की दुनिया में जैसा कि हम सब जानते हैं, लाभ और हानि का नृत्य हमेशा चलता रहता है, लेकिन इस बार की एनपीए वृद्धि ने वास्तव में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। एनपीए 1.43% से 1.54% तक बढ़ना, यह केवल प्रतिशत नहीं, बल्कि वह परत है जिसमें बैंकों की लचीलापन की परीक्षा ली जाती है। इस लचीलापन को देख कर हमें समझना चाहिए कि लोन पोर्टफोलियो की गुणवत्ता सीधे तौर पर बैंक की छवि को प्रभावित करती है। जब प्रावधान बढ़ते हैं, तो यह दर्शाता है कि बंक ने भविष्य की संभावित डिफॉल्ट्स के लिए पहले से ही तैयारी कर रखी है। लेकिन इस तैयारी का अर्थ यह नहीं है कि वे सभी समस्याओं को हल कर पाएंगे, क्योंकि कॉरपोरेट सेक्टर में अभी भी कई अनसुलझे मुद्दे हैं। जमा दरों का सुस्त होना, क्रेडिट‑टू‑डिपॉजिट अनुपात को 92.2% तक ले जाना, यह सब बैंकों के लिए दोधारी तलवार की तरह काम करता है। एक ओर, यह बैंकों को लोन देने की क्षमता देता है, वहीं दूसरी ओर यह जोखिम को बढ़ा देता है। विश्लेषकों की राय में, मोतिलाल ओसवाल की न्यूट्रल रेटिंग को अभी भी ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि यह संकेत देती है कि बाजार में अभी भी अनिश्चितता है। नुवामा इंस्टीट्यूशनल की 'बाय' कॉल एक आशावाद की झलक देती है, लेकिन उनका लक्ष्य मूल्य घटाना भी इसका विरोधाभास है। इस तरह के विरोधाभास हमें यह सिखाते हैं कि वित्तीय बाजार में हमेशा दो पहलू होते हैं – आशा और भय। निवेशकों को चाहिए कि वे इस घुली‑मिली जानकारी को समझ कर अपनी रणनीति बनाएं, न कि केवल तीखे शब्दों पर भरोसा करें। अंत में, मैं यही कहूँगा कि चाहे बाजार कितना भी थरथराए, हमें अपने पोर्टफ़ोलियो को संतुलित रखकर, विविधता लाते हुए, और जोखिम प्रबंधन पर फोकस करके आगे बढ़ना चाहिए। यही रास्ता है जो दीर्घकालिक सफलता को सुनिश्चित करेगा।

Prakhar Ojha

क्या बात है, इतना 'सकारात्मक' बनकर भी इस गिरावट को नहीं देख पा रहे? वास्तविकता में, एनपीए की बढ़ोतरी कोई हल्का‑फुल्का मुद्दा नहीं है, यह बैंक की पुख्ता नींव को हिला रहा है। अगर प्रावधानों को इतना बढ़ा दिया जाए, तो वह स्वयं में एक चेतावनी है कि लोन डिफॉल्ट्स की बाढ़ आने वाली है। इस उम्मीद से, शेयरधारकों को अपना पैसा निकाल देना चाहिए, नहीं तो आगे और नुकसान होगा।

Pawan Suryawanshi

व्वा, इस स्टॉक्स की डैन्स अद्भुत है! 📊 जब तक एनपीए नहीं बढ़ता, ये शेयर मज़े से चलते रहेंगे, पर अब तो ऐसा लगता है जैसे बारिश में बिच्छुओं की तरह डूब रहा है 😅। फिर भी, बाजार में कई लोग अभी तक इस बात को समझ नहीं पाए हैं कि कैसे डिपॉज़िट दरों की सुस्ती बैंकों को थकाऊ बनाती है। तो चलो, इस मौसम में एक गरम चाय के साथ इस केस को देखिए, शायद थोड़ा आराम मिले।✨

Harshada Warrier

सचमें? मैं तो कहूँगी कि इस सबका पीछे कोई छुपा हुआ प्लान है, जैसे बैकएंड में जुड़ा हुआ बड़ा साजिश!💥 एनपीए बढ़े तो क्यों नहीं कह रहे कि दमनकारी बैंकिंग एलाइट्स ही जिम्मेदार है? असल में ये सब डेटा फेक हो सकता है, और शेयरों को नीचे खींचकर बड़ी कंपनिया लाभ कमा रही हैं। सबको झाँप लेनी चाहिए।

Jyoti Bhuyan

ऐक्सिस बैंक की इस चुनौती को एक सीख के रूप में ले लो! 🚀 हर गिरावट एक अवसर भी होती है, जहाँ हम अपने निवेश को फिर से व्यवस्थित कर सकते हैं। एनपीए का बढ़ना हमें जोखिम प्रबंधन में सुधार करने का संकेत देता है, और यह एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में पहला कदम हो सकता है। तो चलो, आत्म‑विश्वास बनायें रखें और अपने पोर्टफ़ोलियो को संतुलित करने की ओर आगे बढ़ें।

Sreenivas P Kamath

ओह, बिल्कुल सही कहा, जैसे हर गिरावट में तितली के पंखों की तरह जादू है! 🙄 लेकिन अगर आप सच में देखना चाहते हैं तो आपको इस एनपीए की बढ़ोतरी के पीछे की वास्तविक कारणों को समझना पड़ेगा, न कि सिर्फ़ प्रेरक स्लोगन से। वरना, यह सब मोटिवेशनालॉजी केवल धुंध में तैरते रहेंगे।

Chandan kumar

ऐक्सिस के शेयर अभी बहुत झटके खा रहे हैं।

Swapnil Kapoor

वित्तीय आँकड़ों का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण करने पर स्पष्ट होता है कि एनपीए में हुई इस वृद्धी का प्रभाव केवल शेयर मूल्य तक सीमित नहीं रहता, बल्कि बैंक की पूँजी पर्याप्तता और जोखिम वितरण पर भी गहरा प्रभाव डालता है। यदि प्रावधान स्तर इस गति से जारी रहता है, तो बैंकर प्रोफ़ाइल में टेढ़े‑मेढ़े मोड़ आने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, निवेशकों को अपनी एसेट अलोकेशन को पुनः समीक्षा करना चाहिए और संभावित जोखिमों को कम करने हेतु विविधीकरण पर विचार करना चाहिए।

kuldeep singh

क्या कहूँ, इस गिरावट ने तो दिल की धड़कनें तेज़ कर दी! 🎭 यह बीता हुआ नहीं, यह तो एक नई कड़वी कहानी की शुरुआत है जहाँ हर कोई अपनी ताल में नाच रहा है। फिर भी, मैं यहाँ हूँ, आपके साथ इस द्रामा को शेयर करने के लिए, ताकि हम मिलकर इस झंझट को समझ सकें।

Shweta Tiwari

आदरणीया, प्रस्तुत आँकड़ों के विभिन्न पहलुओं का गहन विश्लेषण आवश्यक है। यदि हम इस एनपीए की वृद्धी को केवल एक अल्पकालिक व्यवधान मानेंगे तो यह त्रुटिपूर्ण निष्कर्ष हो सकता है। अतः, मैं सुझाव देती हूँ कि विस्तृत वित्तीय मॉडलिंग के माध्यम से संभावित प्रभावों को मापना चाहिए। यह प्रक्रिया सूक्ष्म एवं व्यापक दोनों दृष्टिकोणों को सम्मिलित करके अधिक प्रामाणिक परिणाम देगी।

Harman Vartej

बाजार में सावधानी बनी रहे।