गोवर्धन पूजा: तिथि, महत्व और सरल पूजा विधि

क्या आप जानते हैं कि गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है और इसका मकसद प्रकृति और ग्रामीण जीवन को सम्मान देना है? यह त्योहार कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ा है — तब भगवान कृष्ण ने इंद्र की वर्षा से गांव बचाने के लिए छोटे‑से पहाड़ का सहारा लिया था। इसलिए आज भी लोग गोवर्धन की पूजा करके धन्यवाद देते हैं और खेत‑खलिहान, गाय‑भैंस की सुरक्षा की कामना करते हैं।

कब और क्यों मनाते हैं?

गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है, यानी दिवाली के अगले दिन। ब्रज और उत्तर भारत में इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं—लाखों लोगों के लिए यह भोग और सामूहिक भोज का दिन होता है। परंपरा का मतलब सिर्फ कथा याद रखना नहीं, बल्कि प्रकृति को सम्मान देना और किसान, गौपालकों की मेहनत को सराहना भी है।

घर पर गोवर्धन पूजा — आसान स्टेप्स

घर पर मनाना हो तो भारी तैयारी की जरूरत नहीं। ये आसान स्टेप्स फॉलो करें:

  • साफ‑सफाई: पूजा स्थान साफ रखें और छोटा आसन बिछाएँ।
  • गोवर्धन पर्वत बनाना: मिट्टी, गोबर का लोई, रेत या चावल‑ढेर से छोटा पर्वत बनाएं। अगर बच्चे हैं तो वो इसे गलीठ आकार दे सकते हैं।
  • मूर्ति या तस्वीर: कृष्ण की छोटी मूर्ति या तस्वीर रखें। मूर्ति न हो तो गोवर्धन पर श्रद्धा से दीप जलाकर भी पूजा हो जाती है।
  • भोग/अन्नकूट: चावल, दाल, सब्जी, हलवा, लड्डू जैसे घर के बने पकवान अर्पित करें। अन्नकूट में 56 पदार्थ परंपरागत हैं, पर घर में 5–10 पकवान से भी काम चल जाता है।
  • प्रार्थना और मंत्र: सरल मंत्र जैसे "ॐ गोवर्धनाय नमः" या "जय श्री कृष्ण" बोलकर अर्पण करें। माता‑पिता मिलकर बच्चों को कथा भी सुना सकते हैं।
  • पशु‑भोजन: अगर पास में गाय‑भैंस हों तो उन्हें चारा या गुड़‑भोग भी दें — यह परंपरा का अहम हिस्सा है।

समय की बात करें तो सुबह सूर्योदय के बाद या शाम को आरती के वक्त करना अच्छा रहता है। पूजन के बाद भोजन प्रसाद के रूप में बांटें — जितना संभव हो, आसपास के लोगों और जरूरतमंदों को भी खिलाएं।

छोटी‑छोटी आदतें त्योहार को असरदार बनाती हैं। प्लास्टिक के थाल और पैकेट की बजाय मिट्टी के बर्तन या स्टील का इस्तेमाल करें। पटाखे न चलाएँ — गोवर्धन पूजा प्रकृति को समर्पित है, तो सफाई और कम प्रदूषण ही सही भावना दिखाएगा।

अगर आप ब्रज‑मुरादाबाद‑मथुरा की यात्रा कर रहे हैं तो वहां के मुख्य मठों और गोवर्धन पर्वत पर स्थानीय रीति‑रिवाज देखने लायक हैं। भीड़ अधिक होती है, तो समय पहले से तय कर लें और स्मार्टफोन में नक्शे और संपर्क नंबर रखें।

गोवर्धन पूजा धर्म और लोकजीवन का वह मोड़ है जहाँ हम प्रकृति, पशुपालकों और जमीन का धन्यवाद देते हैं। आप इसे सरल, सच्चे मन से मनाएँ — यही सबसे बड़ा अर्थ है।

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गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, 2024 में 2 नवंबर को मनाई जाएगी। यह त्योहार भगवान कृष्ण की इंद्र पर विजय को याद करता है। इस दिन को दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है और हिंदू परंपराओं में इसका विशेष महत्व है। पूजा का प्रथम कलम मुहूर्त 2 नवंबर को प्रातः 6:14 से 8:33 बजे के बीच है। दोपहर के पूजन के लिए मुहूर्त 3:33 से 5:53 बजे है।

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