मनमोहन सिंह – भारतीय आर्थिक सुधारों के प्रमुख वास्तुकार
जब हम मनमोहन सिंह, एक अग्रणी अर्थशास्त्री, 2004‑2014 तक भारत के प्रधानमंत्री, और आर्थिक उदारीकरण के प्रमुख प्रेरकडॉ. मनमोहन सिंह की बात करते हैं, तो उनका नाम तुरंत ही तीन बड़े घटकों से जुड़ जाता है – आर्थिक सुधार, वित्तीय स्थिरता, वस्तु आयात गति और कर संरचना में बदलाव, भारत सरकार, संघीय शक्ति, नीतियों का निर्माण और कार्यान्वयन और पर्यावरण नीति, हरित ऊर्जा, सतत विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटना। इस संबंधों के जाल में "मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार शुरू किए", "आर्थिक सुधार ने भारत की GDP दर को तेज किया" और "पर्यावरण नीति ने ऊर्जा मिश्रण को नवीकरणीय बनायाँ" जैसे सैमान्टिक त्रिपल बनते हैं। नीचे इन पहलुओं को विस्तार से देखेंगे, ताकि आप समझ सकें कि उनके फैसलों का भारत पर क्या असर रहा।
पहला बड़ा कदम था 2004 के चुनावों के बाद सरकार में आए वित्तीय नीति, डिजिटल लेन‑देन, कर सुधार और विदेशी मुद्रा आरक्षित वृद्धि। इस नीति ने ब्याज दरों को घटाया, पूंजी इनफ्लो को प्रोत्साहित किया और नई टेक‑स्टार्ट‑अप्स को बूटस्ट्रैप करने का मंच तैयार किया। परिणामस्वरूप, उन पाँच सालों में भारत की औसत वार्षिक वृद्धि 7‑8 % तक पहुँच गई। इसी दौरान, मैन्युअल रिटेल से ई‑कॉमर्स की ओर बदलाव ने रोजगार संरचना को भी बदल दिया – ग्रामीण क्षेत्रों में नई नौकरी के अवसर पैदा हुए, जबकि शहरी युवा डिजिटल स्किल्स में निपुण हुए।
दूसरा महत्वपूर्ण तत्व है राजनीतिक स्थिरता, बहु‑पार्टी लोकतंत्र में निरंतर सरकार, नीतियों का दीर्घकालिक असर। मनमोहन सिंह ने अपना समय बहुपक्षीय समन्वय में बिताया, जिससे वित्तीय सुधारों को धारा के रूप में नहीं, बल्कि सतत प्रक्रिया के रूप में लागू किया गया। इस स्थिरता ने विदेशी निवेशकों को भरोसा दिलाया, जिससे FDI में 2010‑2013 के बीच 30 % की बढ़ोतरी देखी गई। साथ ही, सामाजिक आय कार्यक्रमों जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा (आरएमजी) और मिड-डेज़ी लोन स्कीम ने आर्थिक विकास को समावेशी बनाया।
पर्यावरण और ऊर्जा में नए मोड़
तीसरा पहलू है पर्यावरण नीति, सौर, पवन और जल ऊर्जा को मुख्य ग्रिड में जोड़ना, कार्बन फुटप्रिंट घटाना। 2008 में शुरू हुए राष्ट्रीय सौर मिशन ने अगले एक दशक में 20 GW की स्थापित क्षमता हासिल की, जबकि पवन ऊर्जा ने 10 GW से अधिक क्षमता जोड़ ली। इन नीतियों ने कोयला‑आधारित पावर प्लांट्स की हिस्सेदारी को घटाया, जिससे धुएँ के कारण सासण में कमी आई। इस बदलाव ने भारत को अंतरराष्ट्रीय जलवायु मंच पर एक उल्लेखनीय स्थिति दिलाई, जिससे सतत विकास लक्ष्य (SDGs) की दिशा में गति मिलती है।
इन सभी क्षेत्रों में मनमोहन सिंह की भूमिका को समझने के लिये हम उनके प्रमुख भाषणों और दस्तावेज़ों को देख सकते हैं। उनका दावा था, "आधुनिक भारत को आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय तीनों आयामों में संतुलन चाहिए"। इस विचारधारा ने कई युवा नीतिनिर्माताओं को प्रेरित किया, जिनमें आज के वित्तीय टेक‑उद्यमी और सतत ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिक शामिल हैं।
जब आप इस टैग पेज पर नीचे सूचीबद्ध लेखों को पढ़ेंगे, तो आप पाएंगे कि कई विषय मनमोहन सिंह के समय की प्रतिबिंबित हैं – चाहे वो भारत‑चीन व्यापार तनाव, असमानता को कम करने के लिए कर सुधार, या 2025 के जलवायु लक्ष्य। ये सब एक ही मूलधारा से जुड़ते हैं: "उन्नत, समावेशी और सतत विकास"। इसलिए, इन लेखों को पढ़ते समय आप न केवल इतिहास को देखेंगे, बल्कि आज के निर्णयों पर भी नई दिशा तय कर सकते हैं। अभी नीचे दी गई सामग्री में आप आर्थिक नीतियों, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, और पर्यावरणीय पहल के विस्तृत विश्लेषण पाएंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह 26 दिसंबर को AIIMS दिल्ली में 92 साल की उम्र में नश्वर हो गए। अचानक बेहोशी और अस्पताल में घातक प्रयासों के बाद उनका निधन हुआ। देश ने सात दिनों का शोक मानते हुए 28 दिसंबर को 21‑तोपहल्ला सहित राज्य अंत्यसंस्कार किया। विश्व नेताओं ने उनकी आर्थिक सुधारों और विनम्र व्यक्तित्व को सराहा। सरकार ने उनकी स्मृति में एक ट्रस्ट बनाकर स्मारक स्थापित करने का निर्णय लिया।