मनी लॉन्ड्रिंग — क्या है और कैसे पहचानें
मनी लॉन्ड्रिंग यानी ग़ैरक़ानूनी तरीके से कमाए गए पैसे को ऐसा दिखाना कि वह कानूनी स्रोत से आया हो। इसमें अपराध से हासिल पैसे को बैंक, व्यापार या निवेश के ज़रिए “साफ” कर दिया जाता है। अगर आप व्यवसायी हैं, बैंक कर्मचारी हैं या साधारण नागरिक, तो यह समझना जरूरी है कि किस तरह के व्यवहार संदिग्ध होते हैं।
सामान्य संकेत जो दिखा सकते हैं कि कोई गतिविधि संदिग्ध है
क्या आपको अचानक बड़े नकद जमा, बार-बार छोटे-छोटे भुगतान, या बिना स्पष्ट व्यापार कारण के विदेशी ट्रांसफर दिख रहे हैं? ये कुछ आम संकेत हैं। कुछ और ध्यान देने योग्य बिंदु:
- ग्राहक पहचान करने में हिचकिचाना या पहचान दस्तावेज़ देने से इंकार।
- बार-बार बड़े नकद लेनदेन जिनका कोई व्यावसायिक आधार न हो।
- एक ही खाते से अलग-अलग खातों में छोटे-छोटे ट्रांसफर ताकि स्रोत छिपे रहें (smurfing)।
- व्यापार के कागज़ात और कच्चे माल में असंगति, जैसे बिक्री बढ़ी दिखती है पर वास्तविक माल-आवक नहीं।
भारत में कानून और कौन कार्रवाई करता है
भारत में मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए कानून और संस्थाएँ हैं। प्रमुख संस्था Enforcement Directorate (ED) है, जो जांच और जब्ती करती है। Financial Intelligence Unit — India (FIU-IND) बैंक और वित्तीय संस्थाओं से मिले संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्टों को देखता है। PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) अंतर्गत कड़ी कार्रवाई होती है। सजा और जुर्माना गंभीर होते हैं, इसलिए व्यवसायों और व्यक्तियों को सावधानी बरतनी चाहिए।
आप सोच रहे होंगे: "अगर मुझे संदिग्ध गतिविधि दिखे तो क्या करूँ?" सबसे पहला कदम—रिपोर्ट करें। बैंक या फाइनेंशियल संस्थान में काम कर रहे हों तो अपनी संस्था के AML (Anti-Money Laundering) अधिकारियों को तुरंत सूचित करें। आम नागरिकों के लिए स्थानीय पुलिस या ED/ FIU-IND को जानकारी देना मददगार रहता है।
व्यवसाय और नागरिक क्या कर सकते हैं — सरल और व्यावहारिक कदम
1) KYC अपनाएँ: ग्राहकों की पहचान और व्यवसाय का वास्तविक उद्देश्य लिखित में रखें। ID, एड्रेस और वैरिफिकेशन की प्रतियाँ रखें।
2) रिकॉर्ड रखें: सभी बड़े लेनदेन का डिजिटल या कागज़ी रिकॉर्ड रखें—रसीदें, आर्डर, इनवॉइस।
3) संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (STR): बैंक और वित्तीय संस्थाएँ अनियमित गतिविधि की रिपोर्ट करती हैं। जैसे आपको कुछ असामान्य लगे, रिपोर्ट कराएँ।
4) नकद पर नियंत्रण: बड़े नकद लेन-देन से बचें। डिजिटल भुगतान और बँक ट्रांसफर को तरजीह दें।
5) प्रशिक्षण और ऑडिट: व्यवसायों में कर्मचारियों को AML के बारे में ट्रेन करें और समय-समय पर अंदरूनी ऑडिट करें।
मनी लॉन्ड्रिंग रोकना मुश्किल है, पर छोटे-छोटे सावधान कदम इसे बहुत घटा सकते हैं। पहचान रखें, रिकॉर्ड रखें और संदिग्ध गतिविधि को छूही-छूही न छोड़ें। अगर आप सतर्क रहेंगे तो न केवल खुद का जोखिम कम होगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी सुरक्षित रहेगी।
झारखंड हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत देते हुए कहा कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का कोई कारण नहीं है। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय के दावे की आलोचना की कि समय पर कार्रवाई से जमीन की अवैध खरीदारी रोकी गई थी। सोरेन ने 2010 से ही जमीन का अधिग्रहण किया था और इस संदर्भ में कोई शिकायत नहीं की गई थी।
जारी रखें पढ़ रहे हैं...