PM2.5 स्तर: हवा में खतरनाक कण और आपकी सेहत पर उनका असर
जब आप सुबह बाहर निकलते हैं और हवा में धुंध दिखती है, तो आप सिर्फ दृश्य को नहीं देख रहे — आप PM2.5 स्तर, वायु में मौजूद 2.5 माइक्रोन से छोटे ठोस या तरल कणों की मात्रा को सांस के जरिए अंदर ले रहे हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि वे नाक और गले से गुजरकर फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं, और कभी-कभी रक्त में भी घुल जाते हैं। ये कण आग, वाहनों के धुएं, औद्योगिक उत्सर्जन और धूल से बनते हैं। जब ये कण अधिक होते हैं, तो हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है, और इसका असर सीधे आपकी सेहत पर पड़ता है।
भारत के कई शहर, जैसे दिल्ली, कोलकाता और लखनऊ, अक्सर हवा का प्रदूषण, वातावरण में अवांछित रासायनिक या भौतिक पदार्थों की उपस्थिति के कारण दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल होते हैं। IMD और स्वास्थ्य विभागों की रिपोर्ट्स में दिखता है कि श्वास संबंधी बीमारियाँ, जैसे अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों की बीमारियाँ के मामले बढ़ रहे हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में। जब एक शहर में PM2.5 स्तर 100 से ऊपर चला जाता है, तो वहां के लोगों को आंखों में जलन, खांसी और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। कई बार ये बीमारियां लंबे समय तक रहती हैं और दिल की बीमारियों का कारण भी बन जाती हैं।
भारत में ये समस्या सिर्फ एक मौसम की नहीं, बल्कि एक लगातार चल रही आपात स्थिति है। जब बिहार और उत्तर प्रदेश में भारी बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी जारी होती है, तो वहीं दिल्ली में PM2.5 स्तर 400 के पार पहुंच जाता है। ये कण बारिश के बाद भी हवा में तैरते रहते हैं, क्योंकि वे जमीन पर नहीं बैठते — वे हवा में घूमते रहते हैं। आप अपने घर में बैठे हों या बाहर चल रहे हों, ये कण आपके साथ हैं।
इस समय, आपके पास जो खबरें हैं, वो सिर्फ खेल या राजनीति की नहीं हैं। ये खबरें आपके शहर की हवा के बारे में हैं — जहां बार्सापारा और गुवाहाटी में महिला क्रिकेट टूर्नामेंट चल रहे हैं, वहीं वहां की हवा भी खतरनाक स्तर पर है। जब आप इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया की टीम को देख रहे हैं, तो क्या आपने कभी सोचा कि उनके खिलाड़ी भी इन कणों से बचने के लिए फिल्टर के साथ सांस ले रहे होंगे? ये नहीं कि आप एक खेल का दर्शक हैं — आप एक सांस लेने वाले इंसान हैं।
कानपुर में रात का तापमान 14°C तक गिर गया और हवा की गुणवत्ता AQI 284 पर पहुँच गई, जो 'गंभीर' श्रेणी में आती है। PM2.5 का स्तर खतरनाक स्तर पर है, जिससे सांस संबंधी बीमारियाँ बढ़ रही हैं।
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