रेप‑मर्डर केस — खबरें, बढ़ते कदम और तुरंत करने लायक काम
ऐसी खबरें पढ़कर कोई भी सहम जाता है। अगर आप किसी मामले के बारे में जानकारी ढूँढ रहे हैं या किसी पीड़ित की मदद करना चाहते हैं, तो यहां सीधे और काम की जानकारी मिलेगी — क्या करना है, किससे संपर्क करना है और क्या-क्या दस्तावेज ज़रूरी होते हैं।
तुरंत क्या करें (यदि आप पीड़ित हैं या नज़दीक का व्यक्ति हैं)
पहला कदम शांत होना और सुरक्षित जगह पर पहुँचना है। आप तुरंत पुलिस को सूचित करें—आप 112 या स्थानीय पुलिस नंबर पर कॉल कर सकते हैं। FIR दर्ज कराना ज़रूरी है; अगर पुलिस FIR दर्ज करने से कतरा रही हो तो ऑनलाइन FIR या सुपरवाइज़र से संपर्क मांगे।
शरीर के सबूत बचाने के लिए नहाएं या कपड़े न बदलें। जितना संभव हो उतनी जल्दी एक मेडिकल/मेडिको‑लीगल जांच कराएं — अस्पताल में डॉक्टरी रिपोर्ट और सैंपल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। घाव और चोटों की फोटो लें, गवाहों का नाम और संपर्क रखें।
कानूनी धाराएँ और मदद कहाँ मिलेगी
ऐसे मामलों में प्राय: IPC 376 (बलात्कार) और IPC 302 (हत्या) जैसी धाराएँ लागू होती हैं; बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के लिए POCSO Act लागू होता है। 2013 के बाद कानूनों में कड़ी धाराएँ और तेज सुनवाई के प्रावधान बढ़ाए गए हैं।
कानूनी मदद के लिए आप निम्मलिखित संस्थाओं से संपर्क कर सकते हैं: नालसा (मुफ्त कानूनी सहायता), वन‑स्टॉप सेंटर (Sakhi) — जहाँ चिकित्सा, सलाह और कानूनी मदद मिलती है, तथा स्थानीय महिला आयोग या National Commission for Women पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आप NGO या लोकल वॉक‑इन क्राइसिस सेंटर से काउंसलिंग भी ले सकते हैं।
आपातकालीन नंबर: 112 (इमरजेंसी), महिला हेल्पलाइन: 181, बाल हेल्पलाइन: 1098 — इन्हें नोट कर लें।
नोट: अगर आप किसी खबर की सच्चाई जानना चाहते हैं या हमारे पास कोई नया सबूत/सूचना है, तो स्थानीय पुलिस से साथ ही मान्य स्रोतों को सूचना दें। मीडिया रिपोर्ट किसी भी मामले में संवेदनशील होती है—पीड़िता की पहचान और निजता का सम्मान ज़रूरी है।
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अगर आप आगे की मदद चाहते हैं—किस तरह FIR लिखवाना है, किस डॉक्टर से संपर्क करें या कानूनी फार्मेट में शिकायत कैसे दर्ज करें—हमारी टीम से टैग पेज पर जुड़े लेख पढ़ें या साइट के संपर्क पेज के जरिए पूछें। हम कोशिश करेंगे कि उपयोगी, स्पष्ट और संवेदनशील जानकारी मिलती रहे।
कोलकाता में एक 31 वर्षीय ट्रेनिंग डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में सीबीआई को पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष और चार डॉक्टरों के पॉलिग्राफ टेस्ट करने की मंजूरी मिल गई है। यह घटना 9 अगस्त को मेडिकल कॉलेज के परिसर में हुई थी। सीबीआई ने इस मामले की गहन जांच के लिए यह कदम उठाया है।
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