सरकारी राजस्व वो पैसा है जो सरकार अपनी सेवाओं और योजनाओं के लिए जमा करती है। यह सीधे आपकी जेब से टAx (इन्कम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स) और indirecT टैक्स (GST, कस्टम्स) के रूप में आता है, साथ ही गैर-कर आय जैसे फीस, लाइसेंस, डिविडेंड और विनिवेश से भी आता है। जब राजस्व घटता है तो स्कूल, अस्पताल और सड़कें प्रभावित होती हैं; इसलिए हर खबर का असर आम आदमी पर भी पड़ता है।
मुख्य स्रोत — टैक्स और नॉन-टैक्स
टैक्स सबसे बड़ा स्रोत होता है। इनकम टैक्स और GST पर नजर रखने से आप समझ पाते हैं कि घरेलू मांग और कारोबार कैसा चल रहा है। GST कलेक्शन बढ़ेगा तो राज्यों को ज़्यादा फंड मिलेंगे और केंद्र-सूत्र बेहतर होंगे।
नॉन-टैक्स आय में पब्लिक सेक्टर से डिविडेंड, सरकारी सेवाओं की फीस, जुर्माने और विनिवेश (disinvestment) शामिल हैं। विनिवेश से अचानक बड़ी रकम आ सकती है, पर यह एक-बार का इनकम होता है — स्थायी नहीं।
राजस्व के बदलने का असर और क्या देखें
जब राजस्व बढ़ता है तो सरकार विकास प्रोजेक्ट्स और सब्सिडी के लिए पैसा खर्च कर सकती है। राजस्व घटने पर कटौती, नए टैक्स या उधार लेना बढ़ सकता है। बाजार, बेरोज़गारी और महंगाई पर इसका सीधा असर दिखता है।
खबरों में आपको तीन चीजें खास देखनी चाहिए: टैक्स कलेक्शन का ट्रेंड (माहाना/त्रैमासिक), बजट घोषणाएँ और विनिवेश से मिलने वाली रकम। ये संकेत देते हैं कि अगला वित्तीय कदम क्या हो सकता है।
नागरिकों के लिए भी ये जानना जरूरी है कि राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार कौन सी नीतियाँ ला रही है — क्या टैक्स बढ़ेंगे, क्या सब्सिडी कटेगी, या कौन से नए प्रोजेक्ट्स मिलेंगे। इससे घर के खर्च और नौकरी की संभावनाओं पर असर पड़ता है।
निवेशक और व्यवसाय भी सरकारी राजस्व की खबरों को ध्यान से देखते हैं। कर नीति, GST रेट में बदलाव या सरकारी खर्च बढ़ना/घटना स्टॉक्स और बॉन्ड्स पर असर डालता है।
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चंद सरल संकेत: अगर GST कलेक्शन लगातार घट रहा है तो अर्थव्यवस्था धीमी हो सकती है; अगर विनिवेश बड़ा हुआ तो सरकारी बुक्स अस्थायी रूप से मजबूत दिखेंगी। इन संकेतों से आप खबरों को बेहतर समझ पाएंगे।
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भारत सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर ₹2 प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया है। हालांकि खुदरा कीमतें स्थिर हैं, क्योंकि तेल विपणन कंपनियां अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों के उतार-चढ़ाव का फायदा उठाकर इस वृद्धि को समायोजित करेंगी। इस कदम से सरकार को ₹32,000 करोड़ की वार्षिक आय होने की उम्मीद है, जो LPG सब्सिडी के नुकसान की भरपाई करेगा।