उत्पाद शुल्क — सीधे और काम की जानकारी

उत्पाद शुल्क सुनते ही कई लोग टैक्स की उलझन मान लेते हैं। असल में यह उस परकिया का नाम है जहाँ सरकार किसी वस्तु के उत्पादन या आयात पर सीधा टैक्स लगाती है। हालांकि 2017 के बाद कई परंपरागत एक्साइज टैक्स GST में आ गए हैं, लेकिन कुछ चीज़ों पर अभी भी उत्पाद शुल्क या विशेष आयात शुल्क लागू रहते हैं — जैसे पेट्रोलियम, तंबाकू व कुछ आयातित सामान।

उत्पाद शुल्क और GST/कस्टम्स में फर्क

गोपनीय अंतर सरल है: GST ज्यादातर घरेलू बिक्री और सेवाओं पर लागू होता है और इनपुट क्रेडिट मिलता है। उत्पाद शुल्क (पुराना एक्साइज) निर्माण पर सीधे लगता था; अब ज्यादातर इसे GST ने बदल दिया। पर आयात पर लगने वाला Basic Customs Duty और कई बार लगाए जाने वाले Anti-dumping या Safeguard duties भी उत्पाद पर कुल लागत बढ़ा देते हैं। यानी, खरीदते वक्त आप जो रेट देखते हैं, उस पर यह अलग-अलग टैक्स मिलकर अंतिम भाव बनाते हैं।

सरल गणना — उदाहरण के साथ

मान लीजिए कोई आयातित इलेक्ट्रॉनिक आइटम का मूल मूल्य (CIF) ₹10,000 है। ऊपर लगने वाले टैक्स ऐसे हो सकते हैं: Basic Customs Duty 10% = ₹1,000,IGST (आयात पर) 18% = (₹10,000 + ₹1,000) × 18% = ₹1,980। कुल टैक्स = ₹2,980 इसलिए अंतर्निहित लागत = ₹12,980। यह सिर्फ एक उदाहरण है पर इससे समझ आता है कि उत्पाद शुल्क या कस्टम्स सीधे कीमत में कैसे जुड़ते हैं।

क्या आप उपभोक्ता हैं या विक्रेता — दोनों के लिए जरूरी बातें अलग हैं।

उपभोक्ता के लिए: खरीद-चौकसी रखें। बिल मांगें। बिल पर HSN/स्लिप देखें और टैक्स ब्रेकअप पढ़ें। अक्सर रिटेल पर टैक्स शामिल कर के दिखाते हैं, पर अगर ब्रेकअप न हो तो पूछें।

बिजनेस के लिए: माल का सही क्लासिफिकेशन करें (HSN), नोटिफिकेशन और कस्टम्स रेट्स पर नजर रखें, इनपुट टैक्स क्रेडिट कैसे मिलेगा यह समझें और इम्पोर्ट पर लगने वाले विशेष शुल्कों का स्कैन रखें। गलत वर्गीकरण से भारी जुर्माना होता है।

कहाँ देखें रेट्स और अपडेट? सबसे भरोसेमंद स्रोत है CBIC की वेबसाइट (cbic.gov.in), केंद्रीय बजट के नोटिफिकेशन और आधिकारिक Gazette। नए टैक्स या छूट अक्सर बजट में आते हैं, तो बजट घोषणाओं पर ध्यान दें।

अगर उलझन हो तो क्या करें? टैक्स का सही कानूनी मतलब समझना जरूरी है। छोटे व्यवसायों के लिए CA या टैक्स कंसल्टेंट से सलाह लें। बड़े आयात मामलों में कस्टम्स क्लियरेंस एजेंट मददगार होते हैं।

अंत में — उत्पाद शुल्क सीधे आपकी जेब पर असर डालता है। ठीक से चेक करने से आप अनावश्यक खर्च और गलत वर्गीकरण से बच सकते हैं। सवाल हो तो बिल दिखाकर पूछिए; अक्सर साफ-सीधी जानकारी से बड़ी बचत हो जाती है।

भारत में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि, सरकार की नई राजस्व योजना

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