जब BLS International Services को विदेश मंत्रालय ने 9 अक्टूबर 2025 को दो साल के लिए नई टेंडर्स से बाहर कर दिया, तो बाजार में हलचल मची। यह आदेश नई दिल्ली में जारी किया गया और उसी दिन कंपनी ने राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को एक नियामक फ़ाइलिंग के माध्यम से शेयरधारकों को सूचित किया। परिणामस्वरूप, सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 को शेयरों में 18% गिरावट देखी गई, जो मार्च 2020 के बाद की सबसे बड़ी एक‑दिन की गिरावट थी।
कारण और पृष्ठभूमि
वास्तव में, देबारमेंट का मूल कारण कई कोर्ट केस और वीज़ा‑आवेदनकर्ताओं की शिकायतें थीं। इस कंपनी के वीज़ा अप्लिकेशन सेंटर (VACs) पर आवेदनकर्ताओं ने देर‑से‑देर प्रोसेसिंग, छोटी‑छोटी फॉर्म त्रुटियों के कारण बार‑बार रीडोज़ की शिकायत की। एक अनाम व्यक्ति ने कहा था कि पासपोर्ट रिन्यूअल में 3‑महीने की देरी से उन्हें विदेश में एक नौकरी का मौका खोना पड़ा, जिससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ।
विदेश मंत्रालय के अधिकारिक नोटिस में कहा गया है कि "इन मामलों में कष्टदायक विलंब, गलतकारी अस्वीकृति और अस्पष्ट शुल्क संरचना" है, जो सेवा गुणवत्ता के मानकों को तोड़ते हैं।
यह फैसला अचानक नहीं आया। पिछले तीन वर्षों में सरकार ने वीज़ा‑आउटसोर्सिंग सेक्टर पर कड़ी निगरानी रखी है, और कई बार समान संस्थानों को चेतावनी दी गई थी।
शेयर बाजार पर तत्काल असर
देबारमेंट के दिन के बाद, राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर BLS International के शेयरों ने खुलते‑ही नीचे गिरना शुरू किया। शुरुआती ट्रेड में कीमत ₹330 से नीचे जा कर ₹294.3 तक पहुँच गई, जिससे कंपनी का मार्केट कैपिटल लगभग 13% घट गया। निरंतर गिरावट ने यह दर्शाया कि निवेशकों को इस कदम से भविष्य की राजस्व संभावनाओं के बारे में भय है, भले ही कंपनी ने कहा हो कि भारतीय मिशन केवल 12% राजस्व का हिस्सा बनाते हैं।
कुल मिलाकर, 2025 में अब तक BLS International के शेयरों में 39% गिरावट आई है, जबकि निफ्टी स्मॉल‑कैप इंडेक्स में 4% की गिरावट दर्ज है।
कुछ मार्केट विश्लेषकों ने इसे “खरीदारी का मौका” कहा, क्योंकि मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स अभी भी चल रहे हैं और कंपनी ने हाल ही में UIDAI से 2,055.35 करोड़ रुपये का बड़े मूल्य का कॉन्ट्रैक्ट जीत लिया था।

प्रतिस्पर्धी और उद्योग पर प्रभाव
डिबैरमेंट से सबसे बड़ा लाभ कौन उठाएगा? अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि VFS Global जैसी कंपनियां नई टेंडर बोली में उच्च हिस्सेदारी हासिल कर सकती हैं। इससे भारत में वीज़ा‑आउटसोर्सिंग की प्रतिस्पर्धा तेज होगी और संभावित रूप से सेवा गुणवत्ता में सुधार आएगा।
टेक्नोलॉजी और डिजिटल बिजनेस सर्विसेज में प्रतिस्पर्धी माहौल पहले से ही 7‑10% CAGR से बढ़ रहा है, जैसा कि Technavio के रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है। यह बढ़त निजी और विदेशी शिक्षा, प्रवास और टूरिज़्म की बढ़ती मांग से प्रेरित है।
- कंपनी के मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स का भाग केवल 12% है।
- UIDAI का कॉन्ट्रैक्ट 2,055.35 करोड़ रुपये है।
- VFS Global संभावित लाभार्थी है।
- इंडस्ट्री CAGR 7‑10% (2025‑2029) अनुमानित।
भविष्य की संभावनाएँ और कानूनी कदम
यदि BLS International इस आदेश को कोर्ट में चुनौती देता है, तो दो‑साल की अवधि से पहले ही डिबैरमेंट रद्द हो सकता है। अभी तक कंपनी ने आधिकारिक तौर पर कोई कानूनी कार्रवाई का एलान नहीं किया है, पर कानूनी टीम की गतिविधियाँ घनीभूत हो रही हैं।
दूसरी ओर, कंपनी ने कहा है कि वह निजी सेक्टर और गैर‑MEA सरकारी प्रोजेक्ट्स पर अपना फोकस बढ़ाएगी। विशेष रूप से, UIDAI के साथ चल रहा "आधार सेवा केंद्र" प्रोजेक्ट कंपनी के राजस्व का बड़ा हिस्सा बनने की संभावना रखता है।
विदेश मंत्रालय ने यह संकेत नहीं दिया है कि डिबैरमेंट के दौरान वर्तमान कॉन्ट्रैक्ट्स में कोई व्यवधान होगा, इसलिए वीकली वीज़ा अपॉइंटमेंट्स में अभी भी निरंतरता बनी रहेगी।

निष्कर्ष: उद्योग में नई सवयता
सारांश में, यह डिबैरमेंट भारतीय वीज़ा‑आउटसोर्सिंग सेक्टर में बढ़ती नियामक सतर्कता को उजागर करता है। ग्राहकों की शिकायतों को अनदेखा नहीं किया जा सकता, और भविष्य में कंपनियों को सेवा गुणवत्ता और पारदर्शिता पर अधिक ध्यान देना पड़ेगा। BLS International के लिए यह एक चुनौती है, लेकिन साथ ही एक मौका भी कि वह अपने बिजनेस मॉडल को विविधित करके गैर‑सरकारी क्षेत्रों में विस्तार कर सके।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
डिबैरमेंट से BLS International के मौजूदा ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा?
वर्तमान में चल रहे कॉन्ट्रैक्ट्स, विशेषकर भारतीय मिशनों के साथ, जारी रहेंगे। इसलिए वीज़ा आवेदन प्रक्रिया में कोई व्यवधान नहीं होगा, लेकिन नई टेंडर जीतने का अवसर बंद हो गया है।
क्या इस डिबैरमेंट को चुनौती देना संभव है?
कम्पनी ने अभी तक आधिकारिक तौर पर नहीं कहा, पर कंपनी की कानूनी टीम ने संकेत दिया है कि वह प्रशासनिक आदेश के विरुद्ध न्यायालय में रिट प्रयोग कर सकती है। सफलता मिलने पर डिबैरमेंट अवधि घट सकती है।
UIDAI के साथ नया कॉन्ट्रैक्ट BLS International को कैसे मदद करेगा?
2,055.35 करोड़ रुपये मूल्यों वाला यह कॉन्ट्रैक्ट कंपनी के राजस्व का उल्लेखनीय हिस्सा बन जाएगा, जिससे डिबैरमेंट के आर्थिक प्रभाव को कुछ हद तक संतुलित किया जा सकेगा।
विज़ा मार्केट में VFS Global को कौन से अवसर मिलेंगे?
BLS International की बोली से बाहर होने से VFS Global को विदेश मंत्रालय की नई टेंडर में अधिक हिस्सेदारी मिलने की संभावना है, जिससे उसकी भारत में उपस्थिति मजबूत होगी।
निवेशकों को इस विकास को देख कर क्या करना चाहिए?
कई विश्लेषकों का मत है कि वर्तमान गिरावट को अल्पकालिक मूल्यांकन के रूप में देखा जा सकता है, पर दीर्घकाल में कंपनी के विविधित पोर्टफ़ोलियो को देखते हुए सावधानीपूर्वक पोज़िशनिंग आवश्यक है।
Sonia Arora
देश के वीज़ा आउटसोर्सिंग सेक्टर में यह कदम बड़े बदलाव का संकेत देता है। विदेश मंत्रालय का यह निर्णय कई सालों की शिकायतों के बाद आया है। BLS International के ग्राहकों ने बार‑बार प्रोसेसिंग में देरी और शुल्क की अस्पष्टता की शिकायत की थी। अब जब कंपनी दो साल के लिए नई टेंडर नहीं ले सकती, तो प्रतिस्पर्धी कंपनियों को मौका मिलेगा। उम्मीद है कि यह बदलाव सेवा की गुणवत्ता को भी सुधारेगा।