विराट कोहली की फॉर्म को लेकर गौतम गंभीर का रिकी पोंटिंग पर पलटवार

विराट कोहली की फॉर्म को लेकर गौतम गंभीर का रिकी पोंटिंग पर पलटवार

विराट कोहली की फॉर्म पर बढ़ी चर्चा

भारतीय क्रिकेट में हाल ही में एक बड़ी बहस छिड़ी, जिसका केंद्रबिंदू विराट कोहली की टेस्ट क्रिकेट में फॉर्म रही। ऑस्ट्रेलियाई पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने कोहली की फॉर्म को लेकर चिंता जताई, जिसमें उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में केवल दो टेस्ट शतक बनाना चिंता का विषय है। इस बयान ने भारतीय क्रिकेट समुदाय में हलचल मचा दी, खासकर जब गौतम गंभीर ने इसके जवाब में तीखी प्रतिक्रिया दी।

गंभीर की प्रतिक्रिया

गौतम गंभीर, जो भारतीय टीम के मुख्य कोच हैं, ने सटीकता से पोंटिंग के बयान का जवाब देते हुए कहा कि पोंटिंग के भारतीय क्रिकेट में विशेषकर रोहित शर्मा और विराट कोहली के प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है। गंभीर ने उनके प्रदर्शन की तारीफ की और कहा कि उन्हें हटाना एक हास्यास्पद विचार है, जो किसी भी दृष्टिकोण से सच से कोसों दूर है।

भारतीय क्रिकेट में कोहली और रोहित की भूमिका

विराट कोहली और रोहित शर्मा भारतीय क्रिकेट के वरिष्ठ और अनुभवहीन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने समय-समय पर अद्वितीय योग्यता और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया है। उनके अनुभव और कौशल से टीम ने कई मुश्किल मुकाबलों में शानदार परिणाम हासिल किए हैं। टेस्ट क्रिकेट जल्दबाजी में निर्णय का खेल नहीं है, और इसे समझने के लिए कोहली और रोहित ने मैच दर मैच शानदार प्रदर्शन किया है।

विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की तैयारी

आगामी पांच मैचों की टेस्ट सीरीज ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह सीरीज विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने की उम्मीदों को जिन्दा रखने के लिए आवश्यक है। टीम को 4-1 के आंकड़े से जीतना होगा। ऐसे में कोहली और रोहित पर खासा दबाव है कि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ खेलें और टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।

पूर्व सीरीज प्रदर्शन और आलोचना

हाल ही में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 0-3 की हार ने कोहली और रोहित के प्रदर्शन को लेकर सवाल उठाए हैं। रोहित ने इस साल 11 मैचों में 588 रन बनाए, जबकि कोहली ने 6 मैचों में केवल 250 रन जोड़े। लेकिन गंभीर का मानना है कि यह आंकड़े उनके मेहनत और समर्पण का सही मानदंड नहीं हैं।

रिकी पोंटिंग की टिप्पणी का असली प्रभाव

पोंटिंग की टिप्पणियों का वास्तव में कितना प्रभाव होगा यह देखना बाकी है, लेकिन गंभीर की स्पष्ट प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय कप्तानी के पास अपनी टीम के सदस्यों में पूर्ण विश्वास है। कोहली और रोहित की अद्वितीय काबिलियत और भारतीय टीम में उनका योगदान उनके समर्थन में मजबूती से खड़ा है।

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

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Madhav Kumthekar

भाइयों, विराट की फॉर्म पर इतना फोकस करना ठीक नहीं है, क्योंकि उसका अनुभव और कप्तानी की जिम्मेदारी अलग चीज़ है। टेस्ट में उम्र के साथ से इनसेंस बढ़ता है, लेकिन शतक पर फोकस कम होना चाहिए। टीम की जीत में उसका योगदान बॉलिंग और फ़ील्डिंग दोनों में दिखता है। साथ ही रोहित की स्थिति भी समझनी चाहिए, उनका इंट्रीजमेंट अभी भी किफ़ायती है। इस तरह के डीबेट से टीम को फ़ायदा नहीं, बल्कि ध्यान बंटता है।

Deepanshu Aggarwal

सही बात कह रहे हो, और ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि क्रिकेट सिर्फ़ आंकड़ों का खेल नहीं है 😊। कोहली का बैटिंग स्टाइल अभी भी कई बार मैच सिचुएशन को बदल देता है। पोंटिंग की बातों को सुनकर नहीं, बल्कि टीम की फील्ड में दिखी मेहनत को देखना चाहिए।

akshay sharma

बिलकुल देखो, रिकी पोंटिंग का हर शब्द एकदम शॉर्टकट जैसा है, जैसे उसने कोहली को मोटा-पीला बना दिया! उनकी "केवल दो शतक" वाली टिप्पणी एकदम बेतुकी और दिखावटी है। करियर में पांच साल में दो शतक होना कोई बिगड़ने की निसानी नहीं, बल्कि वॉरिएबल पिच औसत का परिणाम है। अगर पोंटिंग को सच में कुछ समझना था तो उसने बंगाली बॉलर की फॉर्म को भी जांच लेता। इस तरह की टॉक्स से भारतीय क्रिकेट को कुछ नहीं मिलता, सिर्फ़ फ्रंट पेज पर क्लिक बढ़ता है।

Anand mishra

देखिए भाई, यहाँ पर सिर्फ़ कोहली की फॉर्म नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट का सांस्कृतिक पटल भी बात कर रहा है। हर बार जब हम किसी विदेशी कोच की आलोचना सुनते हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास एक लम्बी परंपरा है जहाँ बड़े खिलाड़ी अपना अनुभव अगली पीढ़ी को देते हैं। इस कारण से पोंटिंग का हर बयां एक तरह से हमारी संगीत धरोहर को कम आँकने जैसा है। इसलिए, हमें अपनी टीम को सपोर्ट करना चाहिए, न कि बाहरी आवाज़ों को बढ़ावा देना।

Prakhar Ojha

रही बात पोंटिंग की, तो उनका ड्रामा यही दिखाता है कि वह स्वयं को हीरो मानते हैं, जबकि असली हीरो मैदान में कोहली और रोहित हैं। उनका एंगेजमेंट ट्रैश है, बस अपने ही फॉलोअर्स को फ़्लैट कर रहा है।

Pawan Suryawanshi

सही कहा, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि हर खिलाड़ी का अपना रिदम होता है, और कोहली का रिदम अभी भी टीम के लिये फायदेमंद है 🏏। चाहे पोंटिंग कितना भी बोलें, असली आँकड़े और टीम की जीत ही बात करती है। इसलिए मैं सोचता हूँ कि हमें इन बाहरी निंदा से नहीं, बल्कि अपने प्लेयरों की मेहनत को सराहना चाहिए।

Harshada Warrier

यकीन नहीं होता, पोंटिंग की बकवास से इंडियन टीम में कन्फाईडेंटली काप्लॉट्स फेल हो रहे हैं।

Jyoti Bhuyan

दोस्तों, अब वक्त है कि हम सब मिलकर इस बहस को रचनात्मक दिशा दें। सबसे पहले, विराट कोहली ने पिछले कई सालों में टीम को बहुत सारा अनुभव दिया है, और वह अभी भी बहुत महत्वपूर्ण रोल निभा रहे हैं। उनका बैटिंग सिर्फ़ शतक जड़ नहीं, बल्कि उन पलों में टीम को स्थिर रखने की क्षमता है। रोहित शर्मा भी उसी लीग में अपना स्थान बना रहे हैं, जहाँ वह दबाव में भी चमक दिखाते हैं। हमें यह समझना चाहिए कि टेस्ट क्रिकेट में फॉर्म के उतार-चढ़ाव सामान्य हैं, और इसे व्यक्तिगत स्तर पर नहीं ले जाना चाहिए।
जब हम पोंटिंग जैसी आवाज़ों को सुनते हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि ये एक बाहरी टिप्पणी है और भारतीय कोचिंग स्टाफ इसका सही मूल्यांकन कर रहा है। हमारा कोच गौतम गंभीर ने स्पष्ट शब्दों में बताया है कि कोहली और रोहित की मूल्यांकन को केवल शतक या रन से नहीं कर सकते। टीम के भीतर का बॉलिंग, फ़ील्डिंग और लीडरशिप भी महत्वपूर्ण है।
इस गैली में, हमें सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए। अगर हम सभी एकजुट रहें, तो टीम का मनोबल बढ़ेगा, और खिलाड़ी अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देंगे। याद रखें कि एक टीम की सफलता केवल एक खिलाड़ी पर नहीं, बल्कि पूरी इकाई पर निर्भर करती है।
आइए, हम सभी इस चर्चा को प्रेरणा के रूप में लेते हुए, कोहली और रोहित को समर्थन दें और उनका हौसला बढ़ाएँ। बेस्ट ऑफ़ लकी, टीम इंडिया!