युवा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का बढ़ता खतरा: जानें कब कराएं स्क्रीनिंग

युवा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का बढ़ता खतरा: जानें कब कराएं स्क्रीनिंग

युवा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का बढ़ता खतरा

ब्रेस्ट कैंसर एक ऐसा विषय है जो अब केवल बुजुर्ग महिलाओं तक ही सीमित नहीं रहा है। यह कैंसर अब युवा महिलाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। टीवी की लोकप्रिय अभिनेत्री हिना खान, जो कि स्टेज 3 ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं, इसका ज्वलंत उदाहरण हैं। हिना खान ही नहीं, बहुत सी अन्य युवा महिलाएं भी इस गंभीर बीमारी का सामना कर रही हैं।

कैंसर के कारण

इंड्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. रमेश सरीन के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण जेनेटिक म्यूटेशन हो सकता है। विशेषकर BRCA1 और BRCA2 जैसी जेनेटिक म्यूटेशन, जो परिवार के सदस्यों से विरासत में मिलती हैं। इसके अलावा, जीवनशैली कारक भी एक बड़ा भूमिका निभाते हैं। प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों की कमी, धूम्रपान और लंबे समय तक हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी का उपयोग भी ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।

स्क्रीनिंग का महत्व

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्वास्थ्य संबंधी जांच को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बिमारियों से बचने के लिए समय-समय पर स्क्रीनिंग कराना बेहद जरूरी है। पारंपरिक दिशानिर्देशों के अनुसार, महिलाओं को 40 वर्ष की उम्र से मामोग्राम्स करवाने की सलाह दी जाती है। लेकिन जिन महिलाओं का परिवार में ब्रेस्ट या ओवरी क्यानसर का इतिहास है, उन्हें 40 वर्ष की उम्र से पहले ही स्क्रीनिंग शुरू करनी चाहिए।

भारत में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों की संख्या द्रुत गति से बढ़ रही है। साल 2016 में यह नंबर 1.5 लाख था, जो कि 2022 में बढ़कर 2 लाख हो गया है। यह स्थिति चिंताजनक है और युवा महिलाओं को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

निवारक उपाय

ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए कुछ निवारक उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले, नियमित रूप से स्व-परिक्षण करना चाहिए। आत्म-जांच के माध्यम से समय पर जानकारी मिल सकती है। दूसरे, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। मानसिक तनाव को कम करें और नियमित व्यायाम करें। धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें, और स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन करें। तीसरे, डॉक्टर के साथ नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराएं। विशेषकर अगर परिवार में ब्रेस्ट या ओवरी क्यानसर का इतिहास है, तो सतर्कता बरतनी चाहिए।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बिमारी से बचने के लिए वक्त रहते एहतियाती कदम उठाना बेहद जरूरी है। आज के युवाओं को इस बात का ज्ञान हो और वे सतर्क रहें, तभी इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। हिना खान जैसे प्रेरणास्त्रोत हमें यह सिखाते हैं कि हिम्मत और जागरूकता से किसी भी बीमारी का सामना किया जा सकता है।

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

Vaibhav Kashav

अरे, ब्रेस्ट कैंसर की खबर सुनते ही याद आ गया कि मेरी निकट की बीमारी का भी स्क्रीनिंग कब करनी है। आज‑कल तो हर कोई डॉक्टर के पास भाग रहा है, पर हम लोग अभी भी देर कर रहे हैं।

saurabh waghmare

समय पर जांच कराना सच में जीवनरक्षक हो सकता है।

Madhav Kumthekar

ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम में सबसे पहला कदम है स्वयं की जाँच। यदि आप हर महीने खुद को पैलपेट कर लें, तो शुरुआती धब्बा पकड़ना आसान हो जाता है। इसके अलावा, नियमित मैमोग्राम, विशेषकर यदि परिवार में इतिहास है, तो 30 वर्ष की आयु से ही करना चाहिए। पोषण संतुलित रखें, प्रोसेस्ड फूड्स कम करें और व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। डॉक्टर की सलाह से एंटी‑हॉर्मोन थैरेपी का उचित समय पर उपयोग भी मददगार हो सकता है।

Deepanshu Aggarwal

बिल्कुल सही कहा, दोस्तों 😊। अपनी शरीर की आवाज़ सुनना सबसे ज़रूरी है, और समय‑समय पर प्रोफेशनल चेक‑अप को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।

akshay sharma

वाह! क्या बेफिक्री है तुम्हारी, जैसे कि ब्रेस्ट कैंसर कोई फेवरिट ड्रिंक है। असल में, हर मौँके पर डॉक्टर के पास धकेलना सिर्फ़ पैराशूट को बार‑बार खोलने जैसा है-बर्बाद! चलो, थोड़ा गंभीर हो जाएँ और इस गंभीर बीमारी को हलचल नहीं, बल्कि सावधानी से देखें।

Anand mishra

पहला, ब्रेस्ट कैंसर अब सिर्फ़ बुजुर्गों की समस्या नहीं रह गया है, यह युवा पीढ़ी में भी तेजी से फैल रहा है।
दूसरा, ऐसी बीमारी को समझने के लिए हमें वैज्ञानिक डेटा और वास्तविक केस स्टडी दोनों को देखना चाहिए।
तीसरा, भारत में औसत आयु 40 के बाद भी कई महिलाएँ इस बीमारी से निपटती हैं, पर अब 30‑35 की उम्र में भी केस बढ़ रहे हैं।
चौथा, जीन परिवर्तन जैसे BRCA1 और BRCA2 की जाँच से जोखिम का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
पांचवा कदम है जीवनशैली में बदलाव-वज़न कम करें, शारीरिक सक्रियता बढ़ाएँ, और धूम्रपान से दूर रहें।
छठा, प्रोसेस्ड फूड का सेवन कम करना और फाइबर‑रिच भोजन को अपनाना भी लाभदायक सिद्ध हुआ है।
सातवाँ, हर महीने स्व‑जाँच एक निरंतर अभ्यास बन जाए, यही सबसे प्रभावी प्रिवेंशन लेवल है।
आठवाँ, यदि कोई हल्की असामान्यता दिखे तो तुरंत डॉक्टर से मिलें, समय पर बायोपीसी बहुत मददगार हो सकता है।
नौवाँ, मौसमी बदलाव और तनाव भी हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकते हैं, इसलिए मन को शांत रखने की कोशिश करें।
दसवाँ, सामाजिक समर्थन समूहों में जुड़ना महिला को मानसिक सहारा देता है और उपचार में मदद करता है।
ग्यारहवाँ, स्वास्थ्य बीमा को सही रूप से उपयोग करना चाहिए ताकि आर्थिक बोझ कम हो सके।
बारहवाँ, भारत में कई गैर‑सरकारी संस्थाएँ फ्री स्क्रीनिंग कैंप आयोजित करती हैं, उनका फायदा उठाएँ।
तेरहवाँ, यह याद रखें कि ब्रेस्ट कैंसर का इलाज संभव है, अगर शुरुआती चरण में पकड़ा जाए।
चौदहवाँ, इसलिए नियमित मैमोग्राम को एक साल में एक बार जरूर करवाएँ, चाहे वह निजी क्लिनिक हो या सरकारी।
पंद्रहवाँ, अंत में, जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है; हमारी छोटी‑छोटी बातें ही सामूहिक स्वास्थ्य को दिशा देती हैं।

Prakhar Ojha

तेरी लंबी हिसाब‑किताब सुनकर तो लगता है जैसे डॉक्टर की फीस भी गिनती में जोड़ दी हो। असली बात तो ये है कि लोग अपनी ज़िंदगी को इतना जटिल बना लेते हैं, जबकि बस एक सादा स्व‑जाँच काफी है।

Pawan Suryawanshi

😂 ठीक कहा! कभी‑कभी सादगी में ही सच्ची शक्ति होती है।

Harshada Warrier

khuob dekhne ki baat hai lekin ye sab report government ki hi toh hoti h, sach mai sab kuch milta nahi.

Jyoti Bhuyan

चिंता मत करो, सही जानकारी लेकर और सही डॉक्टर चुनकर हम इस समस्या से लड़ सकते हैं! चलो, एक दूसरे को प्रेरित करें और स्क्रीनिंग करवाने के लिए प्रोत्साहित करें।

Sreenivas P Kamath

अरे वाह, अब तो डॉक्टर भी हमें दवाओं की बजाय लाइफस्टाइल की सलाह देना शुरू कर देंगे।

Chandan kumar

बिलकुल, पर कभी‑कभी तो आलस भी एक दवा ही हो सकता है।

Swapnil Kapoor

आलस को बोटल करने से बीमारी नहीं रुकती, एक बार फिर से याद दिलाते हैं कि कार्रवाई जरूरी है, मुँह में मीठा नहीं टालना चाहिए।

kuldeep singh

हाहा, ये लोग तो बातों में जाना‑जाने वाले हैं! लेकिन सच में, ब्रेस्ट कैंसर के बारे में चर्चा ही पहला कदम है, इसलिए चलिए इसे खुले दिल से बात करते रहें।

Shweta Tiwari

भविष्य में अधिक व्यापक जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है, विशेषतः शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में समान पहुँच सुनिश्चित करने हेतु।

Harman Vartej

जाँच जल्द करो, समय कम है।

Amar Rams

सचेतनता‑सम्पन्न स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल का अनुपालन नैदानिक‑परिणामों को इष्टतम बनाता है, अतः इसे व्यवस्थित रूप से कार्यान्वित करना अनिवार्य है।