BJP ने 2025 में दिल्ली विधानसभा में ऐतिहासिक जीत हासिल की, 27 साल बाद सत्ता में वापसी

BJP ने 2025 में दिल्ली विधानसभा में ऐतिहासिक जीत हासिल की, 27 साल बाद सत्ता में वापसी

5 फरवरी 2025 को दिल्ली में आयोजित निर्वाचित विधानसभा चुनाव ने राजनीति के मानचित्र पर एक बड़ा उलटफ़ेर कर दिया। BJP दिल्ली 2025 चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 70 में से 48 सीटें जीतीं, जिससे उन्हें दो-तिहाई से अधिक बहुमत मिला। यह जीत उन्हें 1998‑1993 के बाद फिर से राजधानी के राजदूत बनाती है।

परिणाम और सीटों का बंटवारा

भाजपा की जीत के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तेज़-तर्रार प्रचार शैली रही। उन्होंने अलग‑अलग आर्थिक वर्गों को लक्षित करते हुए कई बड़े एंट्री मंच बनाये, जहाँ उन्होंने अंमद आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इस रणनीति ने लोकप्रिय वोटों को आकर्षित किया।

भाजपा ने उत्तर दिल्ली के सभी 8 सीटें, दक्षिण‑पश्चिम दिल्ली के 7 सीटें और कई अन्य क्षेत्रों में भारी जीत दर्ज की। अंमद आदमी पार्टी ने केंद्र में दिल्ली को 22 सीटों पर रोक लगा पाई, जहाँ उनका मुख्य दावेदार अर्जुन केजरीवाल नई दिल्ली सीट से 4,089 वोटों के अंतर से हार गए। अन्य प्रमुख हारें थीं:

  • मनीष सिसोदिया (पूर्व उपमुख्य मंत्री)
  • सतींद्रा जैन (पूर्व मंत्री)
  • सौरभ भारद्वाज
  • राखी बिर्ला
  • दुर्गेश पाठक

कांग्रेस का प्रदर्शन उबड़‑खाबड़ रहा। 70 में से 67 सीटों में उनके उम्मीदवारों ने जमा राशि ही नहीं बचा पाई, यानी उन्होंने अपने ही डिपॉज़िट फेंक दिए। कुछ मैचों में कांग्रेस के वोटों ने भाजपा के जीत के अंतर को कम किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि कांग्रेस ने अप्रत्यक्ष रूप से अंमद आदमी पार्टी को नुकसान पहुँचाया।

मुख्यमंत्री का चयन और राष्ट्रीय प्रभाव

मुख्यमंत्री का चयन और राष्ट्रीय प्रभाव

परिणाम घोषित होते ही भाजपा ने 19 फरवरी को शालीमार बाग की विधायक रेखा गुप्ता को नई दिल्ली की मुख्यमंत्री नियुक्त किया। पार्टी ने कई बड़े चेहरों—जैसे पार्वेश वर्मा, विजेन्द्र गुप्ता, मनोज तिवारी—को पीछे रख कर कम ज्ञात परन्तु भरोसेमंद उम्मीदवार को चुना, जिससे पार्टी की रणनीतिक सोच स्पष्ट हुई।

बुद्धिमत्ता और विकास को लेकर यह जीत भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर नई उर्जा देती है। हरियाणा और महाराष्ट्र में हाल के सफलताओं के साथ मिलकर यह परिणाम लालफीते को पुनः स्थापित करता है, जहाँ मोदी ने खुद को मतदाता के दिल में बना लिया है।

दूसरी ओर, अंमद आदमी पार्टी के लिये यह भारी झटका है। दिल्ली में दस साल की गवर्नेंस के बाद अब उनके पास केवल पंजाब में सत्ता बची है। केजरीवाल की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को बहुत बड़ा धक्का मिला है और उनके मॉडल की व्यवहार्यता पर सवाल उठ रहे हैं।

वोटरों ने स्पष्ट रूप से विकास, बुनियादी सुविधाओं, और भ्रष्टाचार‑मुक्त शासन को प्राथमिकता दी। इस परिवर्तन ने दिखाया कि दिल्ली के नागरिक अब सिर्फ प्रचार नहीं, बल्कि ठोस कार्य करने वाले सरकार की तलाश में हैं।

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।