CBSE बोर्ड परीक्षा 2026 की तिथियां जारी: कक्षा 10‑12 के एग्जाम 17 फ़रवरी से शुरू

CBSE बोर्ड परीक्षा 2026 की तिथियां जारी: कक्षा 10‑12 के एग्जाम 17 फ़रवरी से शुरू

CBSE बोर्ड परीक्षा 2026 के आधिकारिक डेट शीट का अब प्रकाशन हो गया है। लाखों छात्र और अभिभावक इस घोषणा को निकटता से देख रहे हैं, क्योंकि यह वर्ष परीक्षा की संरचना में बड़े बदलाव लेकर आया है। कुल मिलाकर दो प्रमुख वर्ग – कक्षा 10 और कक्षा 12 – के लिए शेड्यूल अलग‑अलग दिया गया है, जिससे तैयारी के रणनीति में नई दिशा मिलेगी।

कक्षा 10 की नई दो‑टर्म प्रणाली

पिछले कई सालों में कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा एक ही सत्र में आयोजित की जाती थी, लेकिन 2026 से CBSE ने इस प्रणाली को दो टर्म में बाँट दिया है। पहला टर्म 17 फ़रवरी को शुरू होकर 18 मार्च तक चलेगा। इस दौरान सभी प्रमुख विषय – गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और भाषाएँ – एक ही सत्र में लिखे जाएंगे।

दूसरा टर्म 15 मई से शुरू होकर 1 जून तक समाप्त होगा। इस टर्म में गणित (स्टैंडर्ड एवं बेसिक), साइंस, सोशल साइंस और विभिन्न भाषा पेपर शामिल हैं। विशेष ध्यान दिया गया है कि विभिन्न विषयों के बीच पर्याप्त अंतराल रखा गया है, ताकि छात्र प्रत्येक पेपर की तैयारी के लिए पर्याप्त समय पा सकें।

नया नियम यह भी कहता है कि कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार दी जा सकती है। पहला फ़ेज़ सभी छात्रों के लिये अनिवार्य है, जबकि दूसरा फ़ेज़ वैकल्पिक है। छात्र दोनों में से बेहतर स्कोर को रख सकते हैं, जिससे एक बार के प्रेशर को कम किया जा सके। यह पहल विशेषकर उन छात्रों के लिये लाभदायक मानी जा रही है जो किसी कारणवश पहले बार में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाए।

कक्षा 12 का शेड्यूल और परिणाम प्रक्रिया

कक्षा 12 का शेड्यूल और परिणाम प्रक्रिया

कक्षा 12 के लिये परीक्षा का कालावधी 17 फ़रवरी से 4 अप्रैल तक निर्धारित किया गया है। सभी पेपर सुबह 10:30 बजे शुरू होकर दोपहर 1:30 बजे समाप्त होंगे, जिससे अधिकांश विषयों के लिये तीन घंटे की परीक्षा अवधि बनी रहेगी। इस अवधि में आपत्ति हेवी विषय जैसे फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स को भी समान समय मिलेगा।

परीक्षा समाप्त होने के लगभग 12 दिनों बाद उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन शुरू होगा। उदाहरण के लिये, यदि कोई छात्र 20 फ़रवरी को फिज़िक्स लिखता है, तो उसका मार्किंग प्रक्रिया 3 मार्च को आरम्भ होगी। इस त्वरित मूल्यांकन प्रक्रिया से छात्रों को जल्दी परिणाम मिलने की आशा है।

CBSE ने दोनों कक्षा 10 और कक्षा 12 के लिये परिणाम 20 जून, 2026 तक घोषित करने का लक्ष्य रखा है। यह समय सीमा कॉलेज प्रवेश, करियर प्लानिंग और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये पर्याप्त जगह छोड़ती है।

नए शेड्यूल के साथ ही बोर्ड ने एक विस्तृत वेबिनार की भी घोषणा की है। यह वेबिनार सितंबर 2025 में आयोजित होगा, जिसमें छात्र, अभिभावक और शिक्षकों को दो‑टर्म सिस्टम, वैकल्पिक परीक्षा, और मूल्यांकन प्रक्रिया के बारे में स्पष्ट जानकारी दी जाएगी। इस सत्र के बाद कोई भी शंका या प्रश्न सीधे बोर्ड के प्रतिनिधियों सेहल किए जा सकेंगे।

डायरेक्टरी में PDF स्वरूप में उपलब्ध डेट शीट को CBSE की आधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नई व्यवस्था से छात्रों पर शैक्षणिक दबाव कम होगा और उन्हें अपने सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने का अवसर मिलेगा। साथ ही, कक्षा 12 की परीक्षा का समाप्ति समय राष्ट्रीय स्तर की प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं से पहले ही हो जाता है, जिससे छात्रों को आगे की तैयारी में भी मदद मिलती है।

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

Ankit Intodia

CBSE की नई दो‑टर्म प्रणाली पर विचार करना दिलचस्प है। यह बदलाव छात्र की मानसिक दबाव को कम कर सकता है, यही हम सबको चाहिए। साथ ही, वैकल्पिक टर्म से बेहतर अंक के लिए दूसरा मौका मिलता है, जो सीखने की प्रक्रिया को गहरा बनाता है। आशा है कि स्कूल इस नई योजना को सही ढंग से लागू करेंगे।

Aaditya Srivastava

भाइयों, दो टर्म वाला स्केड्यूल समझ में आया तो लगता है अमेज़िंग है। अब पहले टर्म में फेल हो गया तो दूसरे टर्म में फिर से ट्राय कर सकेंगे। ऐसा लग रहा है कि माँ-बाप के टेंशन भी थोड़ा घटेगा।

Pawan Suryawanshi

दो‑टर्म सिस्टम वास्तव में एक सामाजिक प्रयोग जैसा लग रहा है, जहाँ छात्र को व्यापक समयावधि में अपने शैक्षणिक प्रदर्शन को पुनः परिभाषित करने का अवसर मिलता है। पहले टर्म में जो छात्र मेहनत नहीं कर पाते, उन्हें दूसरे टर्म में सुधार का मंच मिलता है, जिससे शैक्षणिक संस्था में समता का बोध विकसित होता है। इसके अतिरिक्त, दो टर्म तक सीमित होने से परीक्षा के भय को कम करने में मदद मिलती है, जिससे छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
विचार किया जाए तो इस प्रणाली में विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान जैसे मुख्य विषयों को अलग‑अलग समय पर देने से छात्रों को फोकस करने का मौका मिलता है, जिससे ज्ञान की गहराई भी बढ़ती है।
भविष्य में यदि इस मॉडल को और भी विस्तारित किया जाए, तो कक्षा 9‑10 के बीच भी दो टर्म लागू की जा सकती है, जिससे प्रारंभिक आयु में ही निरंतर सीखने की लहर बनी रहेगी।
वॉल्युम के हिसाब से देखें तो बोर्ड को प्रश्न पत्रों की तैयारी में भी अधिक समय मिलेगा, जिससे अधिक क्वालिटी कंटेंट तैयार किया जा सकेगा।
आइए, इस नई प्रणाली को अपनाने के साथ साथ हम अपने स्वयं के घर में भी एक अध्ययन‑शेड्यूल तैयार करें, जिससे बच्चे घर पर भी टाइम‑टेबल फॉलो कर सकें।
साथ ही, टर्म‑टु‑टर्म मूल्यांकन के बीच अंतराल का उपयोग स्कूलों को विभिन्न मॉड्यूल्स, जैसे प्रैक्टिकल्स और प्रोजेक्ट कार्यों को सम्मिलित करने के लिए किया जा सकता है।
यहाँ तक कि कक्षा 12 के लिये भी समान रीति से दो टर्म लागू करने से कॉलेज प्रवेश की तैयारी में लचीलापन आएगा।
बोर्ड द्वारा वेबिनार का आयोजन भी एक सकारात्मक कदम है, जो छात्रों एवं अभिभावकों को नई प्रक्रिया को समझने में मदद करेगा।
यदि वेबिनार में इंटरैक्टिव सत्र रखे जाएँ तो और अधिक स्पष्टता मिलेगी।
इसी प्रकार, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर डेट शीट उपलब्ध होना सभी के लिये सहूलियत प्रदान करता है।
सभी स्टेकहोल्डर्स को मिलकर इस बदलाव को सफल बनाना चाहिए, ताकि शिक्षा प्रणाली का भविष्य उज्ज्वल हो।
अब समय है कि हम सब इस नई योजना को अपनाएँ और इसे और बेहतर बनाने के लिए अपने विचार साझा करें। 😊

Harshada Warrier

ये योजना तो सबको धोखा देगी, देखो!