दरजीली पहाड़ियों में भारी बारिश के कारण 5-6 अक्टूबर 2025 को हुए बवंडर में 23 लोग मारे गए, हजारों पर्यटक फँस गए, और न केवल भारत बल्कि नेपाल‑तिब्बत तक संकट फैला। यह त्रासदी वेस्ट बंगाल के दरजीली उपभाग में घनी धूप के बाद गंभीर बवंडर‑भू-स्खलन से उत्पन्न हुई, जहाँ बाढ़ की सतत बारिश ने बुनियादी ढाँचे को तहस‑नहस कर दिया।
पिछला इतिहास और मौसमी पृष्ठभूमि
दरजीली की पहाड़ी श्रृंखलाएँ हमेशा ही भारी वर्षा के दौरान अस्थिर रहती हैं। पिछले कुछ दशकों में, 2013‑14 के बवंडर और 2021 के बहेला‑संकट ने इस क्षेत्र की भौगोलिक असुरक्षा को उजागर किया था। वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के कारण इस क्षेत्र में मौसमी अनियमितताएँ तेज़ी से बढ़ रही हैं, जिससे बवंडर‑प्रेरित ढलान‑भारी बौछारें सामान्य हो रही हैं।
बवंडर की वास्तविक स्थिति और आँकड़े
बवंडर की शुरुआत शनिवार शाम से हुई, जब बाढ़‑मूसलाधार मौसमदरजीली उपभाग ने अचानक तेज़ वर्षा लोड कर दिया। स्थानीय मौसम विभाग ने बताया कि 24 घंटे में 150 mm से अधिक बारिश दर्ज हुई, जो सामान्य औसत से दोगुना थी।
- 23 मृत (रिचर्ड लेपचा, दरजीली SDO द्वारा पुष्टि)
- 60+ कुल मृत्यु (संपूर्ण उत्तर‑पूर्व भारत‑नेपाल क्षेत्र)
- 47 व्यक्ति नेपाल में, मुख्यतः एव्हरेस्ट बेस कैंप के रास्ते पर मारे गए
- एक लोहे का पुल पूरी तरह ध्वस्त, जिससे सड़क संपर्क पूरी तरह कट गया
- लगभग 1,200 पर्यटक फँसे, प्रमुख गंतव्य: मिरिक, घूम, लेपचाजगाट
बवंडर के बाद, रिचर्ड लेपचा, दरजीली उप‑विभागीय अधिकारी ने बताया कि कई घर और बुनियादी ढाँचा भूस्खलन‑प्रभावित क्षेत्रों में पूरी तरह नष्ट हो गया है।
सरकारी प्रतिक्रिया और राहत कार्य
वेस्ट बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तत्काल राहत‑कार्य आरंभ किया, और मृतकों के परिजनों को भुगतान करने का वादा किया, हालांकि राशि अभी तय नहीं हुई। उन्होंने 6 अक्टूबर को उत्तरी बंगाल का दौरा करने का कार्यक्रम तय किया, जहाँ वे स्थल देखेंगे और स्थानीय प्रशासन को निर्देश देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की, और केंद्र सरकार की सहायता के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल को तैनात करने का आश्वासन दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी कठिन समय में शहादत की भावना व्यक्त की और सभी स्तरों पर सहायता की अपील की।
एकत्रित राहत टीमों में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, तथा बीपीओ (बिंदु पुलिस) शामिल हैं। उन्होंने बंजर क्षेत्रों में स्पॉट लाइट और हेलिकॉप्टर उपयोग करके बचाव कार्य किया।
भूटान की चेतावनी और भविष्य की संभावनाएँ
भूटान सरकार ने वुंग्चु नदी (Wangchu River) में जल‑स्तर बढ़ने की चेतावनी जारी की है, जो जाल्पूरी और कूच बीहर जिलों को बाढ़‑प्रभावित कर सकता है। इससे क्षेत्र में अतिरिक्त राहत‑साधन और जल‑प्रबंधन योजना की आवश्यकता बढ़ गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बवंडर‑से‑उत्पन्न जल‑स्रोत को नियंत्रित करने के लिए ‘डैम‑बैक’ निर्माण, वेस्ट बंगाल के पहाड़ी भू‑स्रोतों के पुनरुज्जीवन और जल‑संकट प्रबंधन में डिजिटल मानचित्रण की जरूरत है।

वित्तीय और सामाजिक प्रभाव
पर्यटकों के फँसने से स्थानीय पर्यटन उद्योग को भारी झटका लगा है। दरजीली में हर साल लगभग 6 लाख पर्यटक आते हैं, लेकिन इस बवंडर ने अनुमानित ₹150 क्लेम बिलियन का नुकसान पहुंचाया है। स्थानीय व्यवसायियों, होटल‑मालिकों और टूर ऑपरेटर्स ने तुरंत राहत के लिए सरकारी सहायता की मांग की है।
सामाजिक रूप से, कई परिवारों को घर‑बार खोना पड़ा है, और बच्चों की शिक्षा पर भी असर पड़ा है क्योंकि कई स्कूल अस्थायी रूप से बंद हो गए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता और NGOs ने आपातकालीन शरण‑स्थल, भोजन और चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए स्वयंसेवकों को बुलाया है।
आगे क्या उम्मीद की जाए?
औद्योगिक विशेषज्ञों के अनुसार, बवंडर‑जनित जोखिम को कम करने के लिए ‘स्मार्ट सिटी’ मॉडल को पहाड़ी क्षेत्रों में लागू करना होगा। इससे आपदा‑सूचना त्वरित और सटीक पहुंच पाएगी। इसके अलावा, जल‑वायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक ‘हिल‑कोऑर्डिनीशन कमेटी’ की आवश्यकता होगी, जिसमें राज्य, केन्द्र और पर्यावरण एजेंसियां शामिल होंगी।
अंत में, यह दुखद घटना हमें याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाएँ केवल दूर‑दर्शी योजना और सामुदायिक सहयोग से ही नियंत्रित की जा सकती हैं। डॉ. आरोन सियार, जल‑वायु विशेषज्ञ, ने कहा: “आज की बवंडर चेतावनी है—जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करना नहीं, बल्कि उसके साथ जीने की योजना बनाना अब अनिवार्य है।”
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
बवंडर से सबसे अधिक प्रभावित कौन‑से क्षेत्र हैं?
दरजीली उपभाग, विशेषकर मिरिक, घूम और लेपचाजगाट जैसे पर्यटन स्थल बवंडर से सबसे अधिक बाधित हुए। जल‑स्रोतों के निकट स्थित गाँवों में भी ढलान‑भारी बवंडर ने घर‑बार नष्ट कर दिया है।
सरकार ने कितनी मदद की घोषणा की?
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद देने का वादा किया, जबकि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, सेना और एअर‑फोर्स को तैनात कर बचाव कार्य तेज़ किया है। राशि अभी तय नहीं हुई, परन्तु कई ज़िलों में तत्काल राहत सामग्री वितरित की गई है।
भूटान की चेतावनी का क्या प्रभाव होगा?
वुंग्चु नदी में जल‑स्तर बढ़ने से जाल्पूरी और कूच बीहर में बाढ़ का जोखिम बढ़ गया है। स्थानीय प्रशासन ने पहले से ही बंजर क्षेत्रों में निकासी योजना तैयार की है और वुंग्चु‑डैम के निकट जल‑प्रबंधन उपायों को तेज़ करने का निर्णय लिया है।
पर्यटन उद्योग पर क्या असर पड़ेगा?
बवंडर ने कई प्रमुख ट्रेकिंग‑रूट और होटल को बंद कर दिया है, जिससे साल भर के लगभग ₹150 करोड़ के राजस्व में गिरावट आएगी। उद्योग ने तत्काल राहत के साथ, बुनियादी ढाँचे के पुनर्निर्माण और सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करने का अनुरोध किया है।
भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि सतत भू‑विज्ञान सर्वे, जल‑संकट चेतावनी प्रणालियों का डिजिटलकरण, तथा पहाड़ी क्षेत्रों में ‘स्मार्ट सिटी’ मॉडल अपनाना आवश्यक है। साथ ही, जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक समाधान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कोऑर्डिनेटेड नीति बनानी होगी।
Ajay Kumar
देखो, दरजीली की भू‑विज्ञान में पहले भी बवंडर हुए हैं, इसलिए यह कोई चौंकाने वाला नहीं है। सरकार ने हमेशा के लिये ही समान समस्याओं को हल नहीं किया है, बस बमबारी करके दिखावा किया है। इस बार बारिश की मात्रा रिकॉर्ड तोड़ थी, पर वास्तव में यह जलवायु परिवर्तन का सीधा परिणाम है। हमारे पास पहले से ही पर्याप्त डेटा है जो दिखाता है कि इस क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग की तीव्रता बढ़ रही है। तो फिर भी लोग आश्चर्यचकित होते हैं, जैसे पहली बार बारिश हुई हो। इन सबके बावजूद, स्थानीय प्रशासन ने तुरंत मदद नहीं की, बस एक मिनट में बोर हो गया।