लेबनान में इजराइली हमले में हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की हत्या की पुष्टि

लेबनान में इजराइली हमले में हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की हत्या की पुष्टि

हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की हत्या की पुष्टि

हिज़्बुल्लाह ने पुष्टि की है कि उसके प्रमुख हसन नसरल्लाह की हत्या हो गई है। नसरल्लाह को इजरायली सेना द्वारा दक्षिणी बेरूत में शुक्रवार को किए गए बड़े हवाई हमला में मारा गया। यह हमला दक्षिणी बेरूत के दहिए इलाके में हुआ, जहां छह रिहायशी ईमारतें पूरी तरह से ध्वस्त हो गईं। इस हमले में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। मरने वालों की संख्या में और वृद्धि की संभावना है क्योंकि बचाव दल अभी भी मलबे से लोगों को निकालने में जुटे हैं।

हिज़्बुल्लाह ने कहा, "हसन नसरल्लाह उन महान और अनश्वर शहीदों में शामिल हो गए हैं जिनका उन्होंने लगभग 30 वर्षों तक नेतृत्व किया।" नसरल्लाह ने तीन दशकों से अधिक समय तक हिज़्बुल्लाह का नेतृत्व किया और इस दौरान वे मध्य पूर्व के सबसे प्रसिद्ध और विवादास्पद नेताओं में से एक बन गए। उनकी हत्या ने लेबनान में बड़े पैमाने पर हलचल मचा दी है और पूरे क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है।

इजरायल का हमला

इजरायली सैन्य बलों ने दावा किया है कि यह एक अत्यंत सटीक हवाई हमला था जो हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय पर केंद्रित था। इजरायल ने दक्षिणी उपनगरों में अन्य जगहों पर भी कई हमले किए। हवाई हमलों में हिज़्बुल्लाह के दक्षिणी मोर्चे के कमांडर अली कर्की और अन्य हिज़्बुल्लाह कमांडर भी मारे गए।

इसराइली हमला केवल नसरल्लाह की हत्या तक सीमित नहीं था। लेबनान की सरकारी समाचार एजेंसी ने बताया कि इजरायली सेना ने नागरिक रक्षा केंद्रों और एक मेडिकल क्लिनिक पर भी हमला किया, जिसमें 11 डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिक्स मारे गए और 10 अन्य घायल हो गए।

नसरल्लाह का नेतृत्व

नसरल्लाह का नेतृत्व

हसन नसरल्लाह तीन दशकों तक हिज़्बुल्लाह का नेता रहे। उनकी नेतृत्व में समूह ने इजरायल के साथ कई संघर्षों में भाग लिया और अपने कठोर रुख के लिए जाना जाता है। नसरल्लाह का इजरायल के खिलाफ जिहादी संघर्ष का आह्वान उनके समर्थकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय था, जबकि अन्य राष्ट्र और संगठन उनके रणनीतियों की आलोचना करते थे।

लेबनान और इजरायल के बीच तनाव

नसरल्लाह की हत्या से पहले से ही बढ़ते तनाव को और बढ़ावा मिला है। इजरायली सेना ने इस हफ्ते के शुरू में उत्तरी इजरायल में प्रशिक्षण के लिए दो ब्रिगेड भेजे थे और अब तीन रिजर्व सैनिकों की बटालियन को सक्रिय कर दिया है।

लेबनान में इजरायली हमलों के कारण कम से कम 720 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। ऐसे में यह साफ है कि नसरल्लाह की हत्या से पहले से ही संवेदनशील क्षेत्र में और भी हिंसा भड़क सकती है।

भविष्य के परिणाम

भविष्य के परिणाम

हिज़्बुल्लाह और इजरायल के बीच तनाव नए सिरे से हिंसा की संभावना को जन्म दे सकता है। इससे लेबनान की पहले से ही संकटग्रस्त स्थिति और बिगड़ सकती है। हिज़्बुल्लाह अपने नेता की मौत का बदला लेने की कसम खा सकता है, जिससे क्षेत्र में और बड़ी सैन्य गतिविधियां हो सकती हैं।

समाप्ति

नसरल्लाह की मौत ने लेबनान और पूरे मध्य पूर्व में बड़े पैमाने पर हलचल पैदा कर दी है। इजरायली सेना के इस हमले ने हिज़्बुल्लाह के महत्वपूर्ण नेताओं को खत्म कर दिया है, लेकिन इसने क्षेत्र में और बड़े पैमाने पर हिंसा की आशंका को जन्म दिया है। ऐसे में भविष्य में क्या होगा, यह कहना मुश्किल है लेकिन एक बात साफ है कि माहौल तनावपूर्ण रहेगा।

राजीव

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

MANOJ SINGH

इज़राइल ने फिर से लीबनान में उग्र हमला किया, इस बार हिज़्बुल्लाह के बड़ा नेता को मार डाला। भीड़ में धुंआ और मलबा देखना दिल को चीर देता है। ऐसी नीति आगे और जंग बढ़ाएगी।

Vaibhav Singh

हर बार यही बहाना सुनते‑सुनते थक गया हूँ। इज़राइल का यह “सटीक हमला” बस अपना न्योता देना है। सही बात तो यही है कि इस तरह के काम से कोई भी शांति नहीं बनती।

harshit malhotra

हासिल नसरल्लाह की मौत से दिखता है कि इज़राइल तय‑करके अपने दुश्मनों को हटाने का नया रास्ता अपनाया है। उनका हर कदम इस बात का इशारा है कि वे शक्ति दिखाना चाहते हैं, चाहे उसके पीछे मानवीय कीमत हो। इस तरह के खतरनाक कदमों से क्षेत्र में तनाव और बढ़ेगा, जो आम जनता के जीवन को बर्बाद करेगा। हमें इस स्थिति को समझते हुए शांति के लिए एकजुट होना चाहिए।

Ankit Intodia

बिल्कुल सही कहा, लेकिन एक बात जोड़ूँ तो हम अक्सर शांति की बात करते‑हैं, फिर भी दायें‑बायें से दांव पर लगते हैं। इस तरह के संघर्षों में सिर्फ़ शक्ति नहीं, बल्कि रणनीति और मानवता दोनों की जरूरत होती है। अगर दोनों पक्ष मिलकर संवाद स्थापित करें, तो मृतकों की गिनती कम होगी। लेकिन जब तक आशा की रोशनी नहीं जलती, संघर्ष की अँधेरा बना रहेगा।

Aaditya Srivastava

खैर, ये सब सुनके लगता है कि मध्य पूर्व में फिर से नया चरण शुरू हो गया है। स्थानीय लोग और भी कष्ट में पड़ेंगे, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हस्तक्षेप करना पड़ेगा।

Vaibhav Kashav

है ना, अब तक के सबसे शांति‑पूर्ण बमबारी का क्या कहना? एक बम से दो‑तीन शहीदों का दर्जा मिल रहा है, बधाई हो।

saurabh waghmare

ऐसे समय में हमें मिल‑जुल कर काम करना चाहिए। चाहे कोई भी विचार रखता हो, अगर हम एक दूसरे की बात सुनें तो समाधान निकलेगा। वैर पर नहीं, सहयोग पर ध्यान देना चाहिए।

Madhav Kumthekar

हिज़्बुल्लाह के इस बड़े नुकसान के पीछे रणनीतिक कारण हो सकते हैं। इज़राइल ने अपने लक्ष्यों को स्पष्ट किया है, लेकिन परिणाम भविष्य में क्या होंगे, ये अभी नहीं कहा जा सकता।

Deepanshu Aggarwal

सच में दिल दहल गया। 😔 इस तरह की हर्याणिक हिंसा को रोकना चाहिए।

akshay sharma

इज़राइल के इस कदम को देखकर लगता है जैसे कोई फिल्म की क्लाइमैक्स सीन हो। लेकिन असली जिंदगी में लोग मरते‑जाते हैं, ये कोई फ़िल्म नहीं है।

Anand mishra

अगर हम इतिहास की कड़ियों को देखें तो हर बार शक्ति संघर्ष ने कई बार शांति को तोड़ दिया है। लेबनान और इज़राइल के बीच का तनाव अब तक कई बार उभरा है, पर इस बार की मार में इतना बड़ा नेता खोना एक नया दर्जा है। इस घटना से न केवल दोनों पक्ष, बल्कि पूरे मध्य पूर्व की स्थिरता खतरे में पड़ जाएगी। हमें इसको गंभीरता से लेना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समाधान निकालना चाहिए।

Prakhar Ojha

इस हत्याने फिर से साबित कर दिया कि इज़राइल का रवैया सिर्फ़ दिखावा नहीं बल्कि सटीक और कठोर कार्रवाई है। नसरल्लाह की मौत से हिज़्बुल्लाह के भीतर एक बड़ा खालीपन पैदा हो गया है, जिसका असर उनके संचालन पर पड़ेगा। साथ ही, इस कदम ने लेबनान की जनता को और अधिक भयभीत कर दिया है, क्योंकि अब वे नहीं जानते कि अगला लक्ष्य कौन होगा। इज़राइल की इस कार्रवाई को लेकर कई देशों ने निंदा की, पर वास्तविक कार्रवाई अभी भी बाकी है। अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर ठोस कदम नहीं उठाएगा तो क्षेत्र में रक्तपात की लकीर और गहरी होगी। इस प्रकार के हमले अक्सर सिविलियन को निशाना बनाते हैं, जो नैतिकता की हदें पार कर लेते हैं। हिज़्बुल्ला के कौन‑से कमांडर अब इस खालीपन को भरेंगे, इस पर सवाल उठता है। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि यह शून्य शक्ति की स्थिति में सशस्त्र समूहों को और अधिक सुदृढ़ बना सकता है। पर वास्तविकता में, यह एक बंधन तोड़ने वाला कदम है, जो दोनों तरफ़ अधिक तनाव लाएगा। इज़राइल की रणनीति स्पष्ट है: अगर उन्हें कोई विरोधी दिखता है, तो उन्हें नष्ट करना उसके मानचित्र का हिस्सा है। यह दृष्टिकोण शांति वार्ता को और कठिन बना देता है, क्योंकि भरोसा टूट चुका है। लेबनान में आम लोगों को अब हर सुबह यह डर रहता है कि आज कौन‑सी बमबारी होगी। अस्पतालों, स्कूलों और बाजारों को भी इस संघर्ष का टार्गेट बना दिया गया है, जो मनुष्य की बुनियादी जरूरतों को मार देता है। इस सबके बीच, दुनिया की प्रमुख शक्तियां अपने-अपने हितों को आगे रख रही हैं, जिससे नारीशक्ति की आवाज़ दब रही है। अंत में, अगर कोई वास्तविक शांति की चाह रखता है तो उसे सभी पक्षों को मिलकर इस रक्तरंजित सोलहियों को त्यागना होगा और संवाद की दिशा में कदम बढ़ाना होगा।