Sensex 733 अंक गिरा, 80,426 पर बंद – मार्केट में निरंतर गिरावट के पीछे का कारण

Sensex 733 अंक गिरा, 80,426 पर बंद – मार्केट में निरंतर गिरावट के पीछे का कारण

बाजार की ताज़ा स्थिति

क्या आपने देखा कि पिछली दो छोटी‑छोटी ट्रेडिंग सत्रों में शेयर बाजार ने अपना रुझान उलटे हुए बिंदु पर रख दिया है? कल का Sensex 733.22 अंक गिरकर 80,426.46 पर आया, और Nifty 236.15 अंक गिरकर 24,654.70 पर बंद हुआ। यह केवल एक दिन की गिरावट नहीं, बल्कि लगातार चार ट्रेडिंग सत्रों में 1,298.33 अंक की कुल गिरावट का हिस्सा है।

सत्र के दौरान सीधी‑साधी आँकड़े देखते तो झलकता है कि 2,242 स्टॉक्स ने गिरावट दर्ज की, जबकि केवल 498 शेयर उछले। Nifty 50 की सुई पर 8 ही शेयर मुनाफा कमा पाए, बाकी 42 ने नुकसान के साथ सत्र समाप्त किया।

मुख्य कारण और आगे की नज़र

मुख्य कारण और आगे की नज़र

विश्लेषकों के अनुसार इस नीचे की लहर के दो बड़े कारण सामने आए हैं। पहला, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने 2,425.75 करोड़ रुपये की भारी बेचनी की, जिससे बाजार में निरंतर दबाव बना रहा। दूसरा, यू.एस. H‑1B वीज़ा शुल्क में संभावित बढ़ोतरी से भारतीय टेक‑सर्विसेज और आईटी आउटसोर्सिंग कंपनियों के मुनाफे पर सवाल उठे, जिससे निवेशकों में बेचैनी हुई।

इन दो कारकों के साथ अब तक के वैश्विक बाजार की निचली स्थिति ने भारत के शेयर बाजार को एक अतिरिक्त झटका दिया। यूरोपीय बाजारों में लगातार गिरावट और अमेरिकी शेयरों में अस्थिरता ने भारतीय निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो की सुरक्षा के लिए बेचने के इशारे पर मजबूर कर दिया।

भले ही बाजार के कई सेक्टरों ने नकारात्मक रुझान दिखाया, कुछ शेयरों ने फिर भी असाधारण प्रदर्शन किया। नीचे दिया गया क्रमबद्ध सूची इस सत्र के प्रमुख उछाल और गिरावट वाले शेयरों को दर्शाता है।

  • टॉप गेनर: Larsen & Toubro, Tata Motors, ITC, Eicher Motors
  • टॉप लेगरड: Sun Pharma, IndusInd Bank, Mahindra & Mahindra, Tata Steel
  • 52‑सप्ताह हाई: मारुति सुजुकी, JSW Steel
  • 52‑सप्ताह लो: Sun Pharma, Tata Consultancy Services (TCS)

वोलैटिलिटी इंडेक्स (VIX) के बढ़ते स्तरों ने बाजार में अनिश्चितता को और स्पष्ट किया, जिससे जोखिम‑भरे ट्रेडर और छोटे निवेशक दोनों ही सतर्क हो गए। निवेशकों को अब ध्यान देना होगा कि क्या यह गिरावट अस्थायी ताबूत है या दीर्घकालिक मंदी की दिशा में पहला कदम। अगले कुछ दिनों में FII के प्रवाह, यू.एस. वीज़ा नीति और वैश्विक आर्थिक डेटा की परवाही से बाजार की दिशा तय हो सकती है।

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

Vaibhav Kashav

है ना, जब तक Sensex गिर रहा है, तब तक तो सबको निवेश करने का मन ही नहीं करता.

saurabh waghmare

बिल्कुल सही कहा गया, निरन्तर गिरावट के पीछे विदेशी निवेशकों की भारी बिक्री है।
यह स्थिति अस्थायी हो भी सकती है और फिर बाजार अपना सामान्य प्रतिरोध स्तर पा सकता है।
आगे के दिन में हमें मौलिक आँकड़े और कंपनी के आरओआई पर ध्यान देना चाहिए।
साथ ही, दीर्घकालिक निवेशकों को अपनी पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करने पर विचार करना चाहिए।
ऐसे समय में धैर्य और सतर्कता ही प्रमुख सिद्धांत बनते हैं।

Madhav Kumthekar

वर्तमान में FII की बड़े पैमाने पर बिक्री ने बाजार में तेज़ दबाव बनाया है।
यदि आप छोटे निवेशक हैं तो अल्पकालिक झटकों से बचने के लिए स्टॉप‑लेस सेट कर सकते हैं।
साथ ही, जिन सेक्टरों में अभी भी मजबूती है, जैसे कि IT‑सर्विसेज़ और कंज्यूमर ग्रॉसरी, उनपर थोड़ा वजन देना समझदारी होगी।
लॉन्ग‑टर्म ग्रोथ स्टॉक्स को रख कर आप संभावित रिवर्सल से लाभ उठा सकते हैं।
अंत में, मैक्रोइकॉनॉमिक डेटा के अपडेट पर नजर रखें।

Deepanshu Aggarwal

बाजार की अस्थिरता को देखते हुए, भावनात्मक निर्णयों से बचना ज़रूरी है 😊.
अगर आप अपने पोर्टफोलियो को रिअल एसेट्स या गोल्ड में भी अल्पांश में बाँटते हैं तो जोखिम थोड़ा कम हो जाता है।
समय-समय पर अपने निवेश लक्ष्य और जोखिम सहनशीलता को री‑सेट करना भी मददगार साबित होता है।

akshay sharma

भाई, इस गिरावट के पीछे का पैंसमिया नहीं, बल्कि एक जटिल तंत्र है जो कई स्तरों पर काम कर रहा है।
पहला, विदेशी संस्थागत निवेशकों की भारी बिक्री ने सीधे बेंचमार्क इंडेक्स को नीचे धकेला, और यह सिर्फ एक बार की घटना नहीं है, बल्कि लगातार कई सत्रों में दोहराई जा रही है।
दूसरा, यू.एस. की H‑1B वीज़ा शुल्क में संभावित वृद्धि ने भारतीय टेक‑सेक्टर्स को घबराहट में डाल दिया, जिससे निवेशकों की मनोस्थिति और भी अस्थिर हो गई।
तीसरा, यूरोप में चल रही आर्थिक मंदी और अमेरिकी मार्केट में अटकलों ने ग्लोबल जोखिम को बढ़ा दिया, जो भारतीय बाजार को एक अतिरिक्त झटका दिला रहा है।
चौथा, वोलैटिलिटी इंडेक्स (VIX) का लगातार ऊपर जाना दर्शाता है कि बाजार में अनिश्चितता की लहर अभी भी तेज है।
पांचवा बिंदु, इन सभी कारकों के मिश्रण से छोटे निवेशकों के मन में “बेचना ही बेहतर है” की भावना पनपी है, जबकि बड़े संस्थागत हातों में शांत रहने की कोशिश की जा रही है।
छठा, अब तक की डेटा से यह स्पष्ट हो रहा है कि अगर FII की निकासी फिर से तेज होती है, तो Sensex 80,000 के नीचे भी जा सकता है।
सातवां, लेकिन आशा की किरण यह है कि यदि सरकार और RBI मिलकर तरलता प्रदान करें और नीति में स्थिरता लाएँ, तो बाजार को कुछ हद तक बचाया जा सकता है।
आठवाँ, शेयरों के चयन में हमें ऐसे स्टॉक्स पर ध्यान देना चाहिए जिनकी बुनियादी शक्ति मजबूत हो, जैसे कि L&T और मारुति सुजुकी, जो अभी भी अपने 52‑सप्ताह हाई पर टिके हुए हैं।
नौवाँ, तकनीकी विश्लेषण में अगर हम 200‑दिन चलती औसत को देखेंगे तो यह हमें अगले कुछ हफ्तों में संभावित समर्थन स्तर बता सकती है।
दसवाँ, मौजूदा परिस्थितियों में डिविडेंड‑पेइंग स्टॉक्स और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REITs) भी एक स्थिर रिटर्न दे सकते हैं।
ग्यारहवाँ, जोखिम को सीमित रखने के लिए पोर्टफोलियो को विविधता देना अनिवार्य है, क्योंकि कोई भी एक सेक्टर आज की गिरावट को अकेले नहीं बचा सकता।
बारहवाँ, अगर हम इस प्रवाह को एक अवसर के रूप में देखें, तो पतले मार्जिन वाले स्टॉक्स को खरीदकर भविष्य में पुनरुद्धार का फायदा उठा सकते हैं।
तेरहवाँ, अंत में, निवेशकों को भावनाओं के बजाय डेटा‑ड्रिवेन निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि मार्केट हमेशा लॉजिक के साथ चलता है, चाहे वह कितना भी अस्थिर क्यों न हो।
चौदहवाँ, इस दौर में धैर्य और अनुशासन ही दो सबसे बड़े मित्र बनेंगे।
पंद्रहवाँ, इसलिए, यदि आप अभी भी अनिश्चित हैं, तो एक छोटा हिस्सा सुरक्षित एसेट्स में रखकर शेष को संभावित रिवर्सल की ओर देखना समझदारी होगी।