अंतरिक्ष प्रक्षेपण — क्या होता है और आप इसे कैसे देख सकते हैं
क्या आपने कभी सोचा है कि रॉकेट धरती से निकलकर अंतरिक्ष तक कैसे पहुँचता है? एक छोटा सा पल — और टन भर तकनीक, लाखों सेंसर और सटीक गणनाएँ काम में लग जाती हैं। अंतरिक्ष प्रक्षेपण केवल वैज्ञानिक कार्यक्रम नहीं रहे; अब यह हर किसी के लिए रोमांच और जानकारी का स्रोत बन गया है।
सरल भाषा में, अंतरिक्ष प्रक्षेपण यानी रॉकेट या वाहन का पृथ्वी के वायुमंडल से निकलकर उपग्रह, लैंडर या मिशन को उसने तय किया गया मार्ग देना। ये मिशन अलग-अलग तरह के होते हैं — संचार उपग्रह, मौसम उपग्रह, शोध मिशन या मानव संवाहक चालक यान। भारत में ISRO के PSLV और GSLV जैसे लॉन्च वाहन आम हैं; निजी कंपनियाँ और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ भी नियमित रूप से लॉन्च करती हैं।
लॉन्च कैसे काम करता है?
लॉन्च को आसान शब्दों में तीन हिस्सों में समझें: उठान (लिफ्टऑफ़), चरण-दर-चरण फेज (स्टेजिंग) और कक्षा में पहुँचाना (ऑर्बिटल इनसर्शन)। पहली स्टेज रॉकेट को वायुमंडल पार करवाती है। जब ईंधन खत्म होता है तो वह अलग हो जाती है और अगली स्टेज काम शुरू करती है। अंतिम चरण में उपग्रह का वेग और दिशा तय कर उसे कक्षा में छोड़ा जाता है। पेलोड फेयरिंग (नाजुक उपकरणों का कवर) तब खुलती है जब वायुमंडल से बाहर निकल जाएँ।
कुछ शब्द जो काम आएँगे: टेलीकम (रॉकेट से डेटा), ट्रैजेक्टरी (रास्ता), लिफ्टऑफ़ विंडो (उपयुक्त समय) और फ्रेंडली मिसन टाइमलाइन (T+00:00 से इवेंट)।
लाइव लॉन्च कैसे देखें और क्या ध्यान रखें
लाइव देखना अब आसान है। ज्यादातर एजेंसियाँ और कंपनियाँ YouTube, ट्विटर/X और अपनी वेबसाइट पर लाइव स्ट्रीम देती हैं। देखने से पहले ये बातें याद रखें —
- लॉन्च का समय और टाइम ज़ोन चेक करें; देरी आम है।
- आधिकारिक चैनल चुनें (ISRO.gov.in, कंपनी का यूट्यूब खाता) — अफवाहों से बचने के लिए।
- मौसम और सुरक्षा कारणों से लॉन्च पोस्टपोन हो सकता है; नोटिफिकेशन ऑन रखें।
- अगर आप नजदीक पहुँच रहे हैं तो आधिकारिक सुरक्षा निर्देश और दूरी का पालन अनिवार्य है।
लॉन्च देखकर आप केवल एक घटना नहीं देखते — यह संचार, मौसम, नेविगेशन और शोध जैसी रोजमर्रा की सुविधाओं के पीछे की वजह भी समझ में आती है। उदाहरण के लिए, नया संचार उपग्रह आपके इंटरनेट या टीवी अनुभव को बेहतर बना सकता है।
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अग्निकुल कॉसमॉस नामक आईआईटी मद्रास-आधारित एयरोस्पेस निर्माता ने अपने पहले रॉकेट, अग्निबाण SOrTeD, को 30 मई 2024 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से लॉन्च किया। यह लॉन्च भारत के एकमात्र निजी लॉन्चपैड से हुआ था, जिसे कंपनी ने खुद डिजाइन और संचालित किया है।
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