अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का वह प्रावधान था जिसने जम्मू और कश्मीर को केंद्र से अलग विशेष दर्जा दिया। इसका मतलब था कि केंद्र सरकार के कई कानून स्वतः वहां लागू नहीं होते थे; वहां की अपनी संवैधानिक व्यवस्था और कुछ अलग नियम लागू थे। यह व्यवस्था 1947 में जम्मू-कश्मीर के भारत में मिलने के बाद बनी राजनीतिक और संवैधानिक चर्चा का नतीजा थी।
संक्षिप्त इतिहास और कानूनी रूप
1947 में महाराजा हरि सिंह के द्वारा भारत के साथ सन्नद्ध होने के बाद जम्मू-कश्मीर के लिए अस्थायी प्रावधान बने। 1954 में राष्ट्रपति के आदेश और बाद के समय में आए फैसलों के जरिए अनुच्छेद 370 के दायरे और प्रभाव तय हुए। इससे जुड़ा एक अन्य प्रावधान अनुच्छेद 35A था, जिसने राज्य के "स्थायी निवासियों" को विशेष संपत्ति और रोजगार के अधिकार दिए।
इन प्रावधानों के कारण जमीन खरीदने, सरकारी नौकरी और कुछ नागरिक अधिकारों में अलग नियम लागू थे। कई दशकों तक यह राजनीतिक और कानूनी बहस का विषय रहा — कुछ लोग इसे सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान के लिए आवश्यक मानते थे, वहीं अन्य लोग इसे विकास और बराबरी की राह में बाधा बताते रहे।
5 अगस्त 2019 के फैसले का तरीका और असर
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति आदेश और संसद में पारित कानूनों के जरिए अनुच्छेद 370 के चार्ज को बदल दिया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों — जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख — में विभाजित कर दिया। अनुच्छेद 35A का असर भी खत्म हो गया। परिणाम? अब भारत के अधिकांश कानून जम्मू-कश्मीर पर भी लागू होते हैं और गैर-निवासी नागरिक वहां संपत्ति खरीद सकते हैं, नौकरी के नियम बदले गए और कई केन्द्र सरकार नीतियाँ वहां लागू हुईं।
व्यावहारिक रूप से यह बदलाव जमीन-स्वामित्व, निवास प्रमाण और राज्य के प्रशासन में बड़ा परिवर्तन लेकर आया। सुरक्षात्मक कदमों और घोषणा के समय लगाए गए कुछ निषेध आज भी याद किए जाते हैं, पर धीरे-धीरे संचार और नागरिक गतिविधियाँ बहाल हुईं। कई याचिकाएँ सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहीं, इसलिए कानूनी मसले अभी भी पूर्णतः सुलझे नहीं हैं।
आपको क्या ध्यान रखना चाहिए? अगर आप संपत्ति, नौकरी या निवास से जुड़े फैसले लेने जा रहे हैं तो सरकारी नोटिफिकेशन और अधिकारिक वेबपेज देखें—नए नियम और डोमिसाइल नीति का सीधा असर आप पर पड़ सकता है।
अगर आप अपडेट चाहते हैं तो भरोसेमंद स्रोत जैसे आधिकारिक गजट, उच्च न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट की बातें और राष्ट्रीय समाचार एजेंसियों की रिपोर्ट पर नजर रखें। इस विषय पर भावनाएँ तेज रहती हैं, इसलिए तथ्यों पर भरोसा रखना जरूरी है।
अगर कोई विशेष सवाल है—जैसे जमीन खरीदने के नियम, डोमिसाइल शर्तें या कानूनी चुनौती—आप बता सकते हैं; मैं सरल भाषा में स्टेप-बाय-स्टेप समझा दूंगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (पीओके) के निवासियों को भारत में शामिल होने के लिए खुला निमंत्रण दिया। उन्होने कहा कि भारत पीओके निवासियों को अपने नागरिक मानता है, जबकि पाकिस्तान उन्हें विदेशी मानता है। सिंह ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद सुरक्षा स्थिति में हुए सुधार को महत्वपूर्ण बताया।