डीजल: क्या बदल रहा है और आप क्या कर सकते हैं

डीजल हर रोज़ की जिंदगी में सबसे ज़रूरी चीज़ों में से एक बन गया है। ट्रक-ट्रांसपोर्ट, खेत, लोकल डिलीवरी और कई छोटे व्यवसाय सीधे डीजल की कीमतों से प्रभावित होते हैं। आप सोच रहे होंगे कि कीमतें अचानक क्यों बढ़ती या घटती हैं और इससे अपने बजट को कैसे संभालें — यहाँ सरल और काम आने वाली जानकारी है।

डीजल की कीमतें क्या निर्धारित करती हैं?

डीजल की कीमतें कई कारकों से तय होती हैं: अंतरराष्ट्रीय क्रूड ऑयल की कीमतें, डॉलर-रुपया विनिमय दर, रिफाइनिंग और परिवहन लागत, और सरकार द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स। राज्य स्तर पर वैट या अतिरिक्त कर अलग-अलग चलते हैं, इसलिए एक ही दिन पर अलग शहरों में कीमतें भिन्न हो सकती हैं। जब क्रूड महंगा होता है या विदेशी मुद्रा कमजोर होती है, वैसे ही पंप पर दाम ऊपर जाते हैं।

इसके अलावा मौसमी मांग—जैसे फसल कटाई के समय या त्योहारों के मौसम में—कीमतों पर दबाव बना सकती है। लॉजिस्टिक्स (यानी माल ढुलाई) की लागत बढ़े तो वह भी सीधे उपभोक्ता पर असर डालती है।

इकономी बढ़ाने के सरल उपाय

आपके रोज़मर्रा के खर्च कम करना मुश्किल नहीं है। नीचे दिए उपाय आसान हैं और तुरंत असर दिखाते हैं:

  • संयम से ड्राइव करें: तेज़ी और अचानक ब्रेक लगाने से ईंधन ज्यादा खर्च होता है। आराम से क्रूज़िंग रखें।
  • टायर प्रेशर ठीक रखें: कम हवा से माइलेज घटता है। महीने में कम-से-कम एक बार चेक कर लें।
  • अनावश्यक वजन हटाएँ: गाड़ी में भारी सामान रखने से इंधन ज्यादा जाता है। छत पर सामान सिर्फ ज़रूरत में रखें।
  • एसी का सही इस्तेमाल: शहर में धीमी गति पर एसी बंद कर खिड़कियाँ खोल लेना बेहतर है; हाईवे पर एसी चलाना ज्यादा प्रभावी है।
  • समय पर सर्विस करवाएँ: फ्यूल फिल्टर और इंजेक्टर की सफाई से डीजल की खपत कम होती है। नियमित सर्विस से इंजन स्वस्थ रहता है।
  • गियर बदलने की आदत: मैन्युअल गियर वाली गाड़ियों में सही समय पर गियर बदलना माइलेज बढ़ाता है।
  • कार पूलिंग और पब्लिक ट्रांसपोर्ट: रोज़ की दूरी साझा करना या बस/ट्रेन का उपयोग खर्च घटाता है।
  • विकल्पों पर विचार करें: अगर दैनिक दूरी कम है तो CNG या इलेक्ट्रिक वाहन पर स्विच करना लंबी अवधि में सस्ता पड़ सकता है।

छोटे बदलाव—जैसे सही टायर प्रेशर और संतुलित ड्राइविंग—तेज़ असर दिखाते हैं। अगर आप व्यवसाय चलाते हैं तो नियमित मार्ग योजना और लोड अनुकूलन पर ध्यान दें; इससे डिलीवरी लागत घटेगी।

अंत में, पैसों की बचत के साथ-साथ पर्यावरण पर भी फर्क पड़ता है। बेहतर माइलेज का मतलब कम उत्सर्जन और लंबे समय में कम खर्च। आप तुरंत ही ऊपर दिए उपाय आज़मा सकते हैं और महीने के अंत में अपने बिल में फर्क देख पाएँगे।

भारत में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि, सरकार की नई राजस्व योजना

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भारत सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर ₹2 प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया है। हालांकि खुदरा कीमतें स्थिर हैं, क्योंकि तेल विपणन कंपनियां अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों के उतार-चढ़ाव का फायदा उठाकर इस वृद्धि को समायोजित करेंगी। इस कदम से सरकार को ₹32,000 करोड़ की वार्षिक आय होने की उम्मीद है, जो LPG सब्सिडी के नुकसान की भरपाई करेगा।

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