FATF ग्रे लिस्ट सुनकर कभी-कभी लगता है कि यह सिर्फ देशों की काली-जीरो रिपोर्ट है। असल में यह एक चेतावनी है: किसी देश के मनी लॉन्ड्रिंग या आतंकी फंडिंग के खिलाफ नियम और उनका पालन कमजोर हैं। नाम ग्रे है, पर असर तेज और सीधे अर्थव्यवस्था पर दिखता है।
FATF ग्रे लिस्ट के संकेत
जब कोई देश ग्रे लिस्ट में आता है तो बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए उस देश के साथ लेन-देन करना महँगा और जोखिम भरा हो जाता है। कॉरस्पॉन्डेंट बैंकिंग रिलेशन घट सकती है, विदेशी निवेश में देरी होती है और बीमा व ट्रेड फाइनेंस की शर्तें कड़ी हो सकती हैं। इसका असर शेयर बाजार, व्यापार लागत और मुद्रा स्थिरता पर भी दिखाई देता है।
यहां ध्यान दें: ग्रे लिस्ट होना हमेशा स्थायी नहीं होता। देश सुधारात्मक उपाय करके बाहर भी आ सकते हैं। उसी तरह, ग्रे लिस्ट में बने रहने पर अंतरराष्ट्रीय भरोसा कम होता है और क्रेडिट लागत बढ़ सकती है। उदाहरण के तौर पर, किसी छोटे-से-बीच के व्यापार को लोन मिलना महँगा पड़ सकता है क्योंकि बैंक अतिरिक्त जांच और रिपोर्टिंग के बोझ से बचना चाहते हैं।
आपको क्या पढ़ना चाहिए और क्यों
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अंत में, FATF ग्रे लिस्ट सिर्फ एक शब्द नहीं—यह किसी देश की वित्तीय साख का संकेत है। समझने से आपको निवेश और व्यापार के फैसले बेहतर करने में मदद मिलेगी। इस टैग पर नियमित पढ़ते रहें ताकि आप किसी भी बड़े बदलाव को पहले जान सकें और समय पर निर्णय ले सकें।
पहल्गाम हमले पर शाहिद अफरीदी के आरोपों का ओवैसी ने करारा जवाब दिया है। ओवैसी ने अफरीदी को 'जोकर' कहा और पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग के लिए फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में डालने की बात कही। इस घटना ने भारत-पाक तनाव को और हवा दी है, वहीं डेनिश कनेरिया ने भी अफरीदी के बयानों की आलोचना की।