पैरालिंपिक: भारत की सफलता और वैश्विक मंच

जब हम पैरालिंपिक, एक अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन है जहाँ विकलांग एथलीट विभिन्न वर्गों में प्रतिस्पर्धा करते हैं. इसे कभी-कभी Paralympic Games भी कहा जाता है। इस घटना में विकलांग एथलीट, यह वे खिलाड़ी होते हैं जो शारीरिक, मानसिक या दृष्टि संबंधी चुनौतियों के साथ भी उच्च स्तर का खेल दिखाते हैं भाग लेते हैं। भारत की सहभागिता को मार्गदर्शन देने वाली संस्था इंडिया पैरालिंपिक कमिटी, राष्ट्रीय स्तर पर पैरालिंपिक खेलों की योजना, चयन और समर्थन का कार्य करती है है, जबकि स्पोर्ट्स विज्ञान, ट्रेनिंग, पोषण और पुनर्वास में वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करता है एथलीटों की तैयारी को सशक्त बनाता है। यह छोटा परिचय आगे के लेखों में दिखाए गए विस्तृत कहानियों और आँकड़ों को समझने का आधार देगा।

पैरालिंपिक की जड़ें दूसरे विश्व युद्ध के बाद शुरू हुईं, जब युद्ध के घायल सैनिकों के लिए पुनर्वास खेल आयोजित किए गए थे। समय के साथ ये कार्यक्रम विकसित होकर 1960 में रोम में पहला आधिकारिक पैरालिंपिक हुआ। यह इतिहास हमें बताता है कि पैरालिंपिक सिर्फ खेल नहीं, बल्कि सामाजिक समावेश का एक बड़ा मंच है। विभिन्न श्रेणियों—वॉलिंग, ट्रैक, बास्केटबॉल—में प्रतिस्पर्धा होती है, और प्रत्येक वर्ग में अलग-अलग क्षमताओं के अनुसार नियम बनते हैं। इस तरह का वर्गीकरण एथलीटों को अपने सर्वोत्तम प्रदर्शन के लिए अवसर देता है।

भारत ने 1984 के रोसरी में अपने पहले पैरालिंपिक सॉफ़्टबॉल टीम के साथ भागीदारी दर्ज की। तब से लेकर आज तक, भारत ने लगभग दो दशकों में 30 से अधिक मेडल हासिल किए हैं। 2024 के परिदृश्य में, हम देखते हैं कि भारतीय विकलांग एथलीटों ने एथलेथिक्स, तीरंदाजी और शूटिंग में उल्लेखनीय प्रगति की है। इन उपलब्धियों के पीछे मुख्यतः दो कारण हैं: सामूहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम और सरकारी समर्थन। जब राष्ट्रीय खेल नीति में पैरालिंपिक को बराबर मान्यता मिली, तो संसाधन, कोचिंग और सुविधाएँ बढ़ीं, जिससे एथलीटों की तैयारी में निखार आया।

इंडिया पैरालिंपिक कमिटी (IPC) ने चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। सबसे पहले, राज्य स्तर पर टैलेंट स्काउटिंग कैंप आयोजित किए जाते हैं, जहाँ युवा प्रतिभाओं की जाँच की जाती है। फिर, राष्ट्रीय ट्रायल में उन्हें लघु-समूह में विभाजित किया जाता है, जिससे उनकी क्षमताओं की सही पहचान हो सके। अंत में, कोचिंग एजेंसियों के साथ साझेदारी करके उच्च स्तरीय प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किए जाते हैं। इस ढांचे के कारण एथलीटों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए आवश्यक तकनीकी और मानसिक समर्थन मिलता है।

स्पोर्ट्स विज्ञान ने पैरालिंपिक के प्रदर्शन में एक नया आयाम जोड़ा है। एथलीटों के शरीर के विभिन्न पहलुओं—जैसे मांसपेशियों की ताकत, कार्डियोवेस्कुलर फिटनेस, और न्यूरोलॉजिकल प्रतिक्रिया—का विस्तृत विश्लेषण किया जाता है। फिर, व्यक्तिगत पोषण योजनाएँ बनाकर ऊर्जा स्तर को स्थिर रखा जाता है। पुनर्वास विशेषज्ञों की मदद से चोटों की रोकथाम और पुनर्प्राप्ति तेज़ होती है। इस विज्ञान‑आधारित दृष्टिकोण ने कई बार यह साबित किया कि सही सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर के संगम से एथलीटों की कार्यक्षमता दोगुनी हो सकती है।

राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएँ, जैसे राष्ट्रीय पैरालिंपिक चैंपियनशिप और राज्यीय खेल मेले, एथलीटों को मंच प्रदान करते हैं जहाँ वे अपने कौशल को परख सकते हैं। इन आयोजनों में भाग लेकर खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय चयन प्रक्रिया में आगे बढ़ते हैं। साथ ही, इन प्रतिस्पर्धाओं से दर्शकों को भी एथलीटों की प्रेरणादायक कहानियों से परिचित कराते हैं, जिससे समाज में समावेशी सोच का विकास होता है। इन इवेंट्स में मीडिया कवरेज बढ़ाने से पैरालिंपिक के बारे में जानकारी विस्तृत जनता तक पहुँचती है।

कई प्रमुख एथलीटों की कहानियाँ इस टैग पेज को आकर्षक बनाती हैं। उदाहरण के तौर पर, दोबारा पैरालिंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली शर्या कुमारी ने कठिनाइयों के बावजूद अपने घर से दूर नहीं हटकर प्रशिक्षण किया। उनका संघर्ष और जीत दर्शकों को सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इसी तरह, तीरंदाजी में मेडल जीतने वाले राजेश सिंग ने सर्जरी के बाद पुनर्वास में विज्ञान‑आधारित तकनीक अपनाई, जिससे उनका प्रदर्शन अभूतपूर्व स्तर पर पहुँचा। ऐसी व्यक्तिगत कहानियाँ पाठकों को प्रेरित करती हैं और पैरालिंपिक के महत्व को स्पष्ट करती हैं।

अंत में, पैरालिंपिक का प्रभाव सिर्फ खेल तक सीमित नहीं है; यह सामाजिक समानता, शारीरिक पुख्ता बनाव और राष्ट्रीय गर्व को भी बढ़ाता है। इस पृष्ठ पर आप आगे पढ़ेंगे विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत लेख—क्यों टैलेंट स्काउटिंग जरूरी है, कैसे स्पोर्ट्स विज्ञान एथलीटों के प्रदर्शन को सुधारता है, और भारत की आगामी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी कैसी चल रही है। इन लेखों को पढ़कर आपको पैरालिंपिक की गहराई समझ आएगी और आप भी इस परिवर्तनकारी यात्रा में अपना योगदान दे सकते हैं।

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