When working with संविधान, देश का मूलभूत कानूनी दस्तावेज़, जो सरकार की शक्ति की सीमाएँ, नागरिकों के मौलिक अधिकार और कर्तव्य तय करता है. Also known as संविधि, it सभी संस्थानों की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करता है.
भारत के इतिहास में भारतीय संविधान, 1950 में लागू हुआ दस्तावेज़, 22 भाषा में अनूदित और 448 अनुच्छेदों वाला लोकतंत्र की नींव है। यह संविधान मौलिक अधिकारों को स्थापित करता है, जैसे स्वतंत्रता, समानता और अभिव्यक्ति की आज़ादी, जो नागरिकों को सरकार से सुरक्षा देते हैं। बुनियादी अधिकारों में शिक्षा, स्वास्थ्य और कार्यस्थल सुरक्षा भी शामिल हैं, और इनका विकास अक्सर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से आगे बढ़ता है। संसद, कार्यकारी और न्यायपालिका तीनों स्तंभों को संतुलित करने के लिए यह दस्तावेज़ फ़्रेमवर्क प्रदान करता है, जिससे शक्ति का दुरुपयोग रोका जा सके।
संशोधन, संघीयता और व्यावहारिक प्रभाव
समय के साथ सामाजिक बदलाव को प्रतिबिंबित करने के लिए संविधान संशोधन, ऐसी प्रक्रिया जो संसद को मौजूदा धारा में परिवर्तन या नया अनुच्छेद जोड़ने की अनुमति देती है आवश्यक हो गया। अब तक 105 बार संशोधन हुए हैं, जिनमें आरक्षण, आपातकालीन प्रावधान और आर्थिक सिद्धांत शामिल हैं। यह प्रक्रिया न केवल सामाजिक न्याय को बढ़ावा देती है, बल्कि संघीय ढाँचा—राज्य और केंद्र के बीच अधिकारों के बंटन—को भी पुनः परिभाषित करती है। संघीय ढाँचा, जिसे कई बार अंतर-राज्य विवादों के समाधान में प्रयोग किया जाता है, संविधान की लचीलापन दर्शाता है।
इन सभी पहलुओं को समझना आज के पाठकों के लिए जरूरी है, खासकर जब वे राजनीति, कानून या सार्वजनिक नीति में रुचि रखते हैं। नीचे दी गई सूची में आप विभिन्न लेख, विश्लेषण और ताज़ा समाचार पाएँगे जो संविधान के विभिन्न आयामों—बुनियादी अधिकार, संशोधन प्रक्रिया, संघीय व्यवस्था और न्यायिक समीक्षा—को गहराई से कवर करते हैं। इस संग्रह को पढ़कर आप न केवल भारतीय संविधान की बारीकियों को जान पाएँगे, बल्कि उनके वास्तविक प्रभाव को भी समझ पाएँगे।
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