जब हम वृक्षारोपण, पुस्तों की कटे हुए जंगलों को फिर से शुरुआती रूप में लाना और हवा को शुद्ध करने की प्रक्रिया. अक्सर इसे हरितीकरण कहा जाता है तो यह केवल पेड़ लगाना नहीं, बल्कि पर्यावरण, जलवायु और समाज के बीच एक गहरा संबंध बनाता है। इसी कारण हर साल सरकार और NGOs के पास अलग-अलग योजना आती रहती है, जिससे आम नागरिक भी भाग ले सके।
एक प्रमुख पर्यावरण, वातावरणीय तंत्र जिसमें वायु, जल और जीवित प्राणी आपस में जुड़े होते हैं को बचाने के लिए वृक्षारोपण सबसे प्रभावी उपायों में से एक है। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़ते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव कम होते हैं और स्थानीय तापमान घटता है। साथ ही, पेड़ की जड़ें मिट्टी को धीरज देती हैं, बारिश को धीमा करती हैं और बाढ़ की सम्भावना घटाती हैं। यह त्रिकोणीय संबंध—वृक्षारोपण, पर्यावरण, जलवायु—मॉडल में स्पष्ट है: "वृक्षारोपण पर्यावरण को स्थिर करता है और जलवायु परिवर्तन को धीमा करता है"।
वृक्षारोपण के मुख्य पहलू
सरकारी योजनाओं में ‘जन जन वृक्षारोपण योजना, सभी वर्गों को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करने वाला कार्यक्रम और ‘स्मार्ट सिटी ग्रीन प्रोजेक्ट’ जैसी पहलें शामिल हैं। इन योजनाओं का लक्ष्य सिर्फ पेड़ लगाना नहीं, बल्कि सतत विकास के सिद्धांत को अपनाना है। जब किसी गाँव में 100 साल पुराने सतत विकास सिद्धांत लागू होते हैं, तो वह कम लागत में जल संसाधन सुरक्षित रखता है और भविष्य की पीढ़ियों को स्वच्छ हवा देता है।
व्यावहारिक तौर पर सफल वृक्षारोपण के लिए सही प्रजातियों का चयन अनिवार्य है। यदि आप आर्द्र क्षेत्र में रहने वाले हैं, तो नीम, बरगद, और पीपल जैसी जलसहनशील पौधें चुनें; जबकि शुष्क क्षेत्रों में फ्रैक्ट, गति, और जलशोभा बेहतर परिणाम देते हैं। साथ ही, तब तक फसलें नहीं लगनी चाहिए जब तक पेड़ के रोपण की देखभाल नहीं हो जाती; इस कारण बीजुई रोधी तकनीक और मल्चिंग को अपनाना फायदेमंद है।
समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए कई NGOs ने ‘हरित स्कूल’ और ‘पीपल ट्री’ जैसी पहलें शुरू की हैं। इन पहलों में छात्र और स्थानीय लोग मिलकर पेड़ लगा और उसकी देखभाल करते हैं। इसका सीधा असर स्कूलों में सफ़ाई के मानकों और स्वास्थ्य में दिखता है—अधिक ऑक्सीजन, कम धूल, और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य। इस तरह के सामाजिक पहलें वृक्षारोपण को एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी बनाती हैं, न कि केवल सरकारी प्रोजेक्ट।
वृक्षारोपण के आर्थिक लाभों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। फलों वाले पेड़ लगाकर किसान अतिरिक्त आय कमा सकते हैं, जबकि नकदी पेड़ जैसे शीशम और सागौन लकड़ी के रूप में आय प्रदान करते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और शहरी अत्यधिक तनातनी कम होती है। इसलिए, जब हम वृक्षारोपण को आर्थिक विकास के साथ जोड़ते हैं, तो हमें एक समग्र मॉडल मिलता है जो पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक पक्षों को संतुलित करता है।
अंत में, यदि आप अभी भी सोच रहे हैं कि कहाँ से शुरू करें, तो सबसे आसान तरीका है अपने घर के छोटे बगीचे से शुरू करना। एक दो पाइन या गुलाब के पौधे लगाकर आप देखेंगे कि कैसे हवा में अंतर आ जाता है और आपका मन भी ताजा हो जाता है। जैसे-जैसे आपका छोटा प्रयोग सफल होगा, आप पड़ोस में, स्कूल में या यहाँ तक कि अपने गांव में बड़े स्तर पर योजना बना सकते हैं। नीचे दी गई लेखों की सूची में आप विभिन्न क्षेत्रों में सफल वृक्षारोपण कहानियाँ, सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी और उपयोगी टिप्स पाएँगे, जिससे आपका हरित कदम और भी प्रभावी बन सके।
इंदौर ने 13‑14 जुलाई 2024 को 24 घंटे में 11 लाख से अधिक पौधे लगाकर गिनीज़ विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया। यह ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, सीएम मोहन यादव और अमित शाह सहित कई हस्तियों ने हिस्सा लिया। 9 ज़ोन में बाँटी गई साईट, 100 कैमरों की निगरानी और 46 दिन की तैयारी ने इस कारनामे को संभव बनाया। अब इन पौधों का पोषण रोतारैक्ट क्लब, बीएसएफ और नगर निगम मिलकर करेंगे।