दिल्ली CM रेखा गुप्ता की सरकार योजनाएं: मोदी से मुलाकात और सड़क निर्माण पर जोर

दिल्ली CM रेखा गुप्ता की सरकार योजनाएं: मोदी से मुलाकात और सड़क निर्माण पर जोर

दिल्ली के विकास पर मोदी से चर्चा

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही सक्रियता दिखाई है। 22 फरवरी को उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके आवास पर मुलाकात करने का मौका मिला। इस बैठक के दौरान, दिल्ली के विकास की योजना पर चर्चा की गई। यह उनकी पदग्रहण के बाद पीएम के साथ पहली औपचारिक बैठक थी। इस बैठक के पीछे का उद्देश्य उथोपित करने वालों के साथ मिलकर दिल्ली के लिए एक ठोस योजना तैयार करना था।

सड़कों के रख-रखाव पर जोर

सड़कों के रख-रखाव पर जोर

इसी दिन, रेखा गुप्ता ने लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की, जिसमें खराब सड़कों को सुधारने, यातायात की समस्याओं का समाधान करने और सड़क की गुणवत्ता बढ़ाने पर चर्चा की गई। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सड़कों को 10-15 साल तक उपयोगी बनाए रखें, जबकि आमतौर पर 5 साल का मानक होता है।

PWD मंत्री परवेश वर्मा ने भी परियोजनाओं का निरीक्षण किया और मरम्मत के दौरान प्रभावी यातायात प्रबंधन पर जोर देने की आवश्यकता बताई। इसके अतिरिक्त, रेखा गुप्ता ने शिक्षा प्रणाली में सुधार के उद्देश्य से भी कदम उठाए, जिसमें वह विशेषज्ञों के साथ बैठक करेंगी ताकि बजट में जनमत सम्मिलित किया जा सके।

विकसित दिल्ली बजट 2025-26 की प्रस्तुति के लिए 24 से 26 मार्च के बीच का समय चुना गया है, जहाँ इस सरकार की योजना है कि व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से जनता की राय को प्रमुखता दी जाएगी। हालांकि, विपक्ष द्वारा उनकी कुछ योजनाओं की आलोचना भी की जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अतिशी ने महिलाओं के मासिक 2,500 रुपये स्टाइपेंड को लेकर देरी का आरोप लगाया है।

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

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Rahul Sarker

रेखा गुप्ता की नई सड़क नीतियों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि भाजपा‑प्रधानपद की रणनीतिक चतुराई यहाँ भी परिलक्षित हो रही है। राष्ट्रीय एकजुटता के ढांचे में केवल बड़े‑पैमाने की बुनियादी तकनीक ही नहीं, बल्कि राजनैतिक गणना भी शामिल है।
ऐसे में जनता को असली लाभ का आकलन करना चाहिए।

priyanka Prakash

मोदी जी के साथ मिलकर दिल्ली को ‘स्मार्ट सिटी’ बनाने की कल्पना की तो सराहनीय है, पर योजना की व्यावहारिकता पर भी सवाल उठाने चाहिए। यदि उचित फॉलो‑अप नहीं हुआ तो ये सब सिर्फ शो बन कर रह जाएगा।

Pravalika Sweety

दिल्ली की विकास यात्रा में स्थानीय संस्कृति का सम्मान आवश्यक है। हमें यह देखना चाहिए कि नीतियां सबको समान रूप से लाभ पहुंचाएँ।

Shruti Thar

सड़कों का जीवनकाल बढ़ाने की बात अच्छी है पर बजट का विवरण स्पष्ट नहीं है

Nath FORGEAU

bhai ye road ka plan sahi lag rha h par maintenance ka kaam kaise hoga ye dekhna padega

Hrishikesh Kesarkar

पीडब्ल्यूडी को 15 साल टिकाने का लक्ष्य महत्वाकांक्षी है।

Manu Atelier

राजनीतिक मंच पर दिल्ली की बुनियादी संरचना को सुदृढ़ करना अनिवार्य है, परन्तु इसके कार्यान्वयन में स्पष्ट समय‑सीमा और पारदर्शी निगरानी तंत्र की आवश्यकता है। इस प्रकार के सुदृढ़ उपाय ही दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित कर सकते हैं।

Vaibhav Singh

यदि सड़क सुधार में स्थानीय कारीगरों को काम दिया जाए तो रोजगार भी बढ़ेगा और गुणवत्ता भी बेहतर होगी। यह दो तरफा जीत की स्थिति बनती है।

Vaibhav Kashav

अरे वाह, अब दिल्ली में 15 साल तक चलने वाली सड़क… क्या अगले साल से सभी को मैजिक वैंड दी जाएगी? उम्मीद है संपन‑सम्पादक इसको हाइलाइट करेंगे।

Madhav Kumthekar

सड़क मरम्मत के लिए सही सामग्री चुनना बहुत ज़रूरी है। मैं पिछले महीने के एक प्रोजेक्ट से बता सकता हूँ कि पॉलीमर‑सतह वाले एसेटिक अस्फ़ाल्ट ने 10‑12 साल तक टिके रहे।
इसके साथ सही जल निकासी भी सुनिश्चित करनी चाहिए।

Chandan kumar

दिल्ली की ट्रैफ़िक जाम का समाधान तो बस सड़कों को जल्दी रिपेयर करके ही होगा। बाकी सब तो बहाने ही होंगे।

Swapnil Kapoor

मनु जी ने बिल्कुल सही कहा कि पारदर्शी निगरानी आवश्यक है। इसलिए नागरिकों को व्हाट्सएप से फीडबैक देने का मंच देना एक समझदारी भरा कदम है।

kuldeep singh

सच में, अगर सभी मिलकर इस योजना को अपनाएँ तो दिल्ली की सड़कों में चमक आ जाएगी।

Shweta Tiwari

शिक्षा प्रणाली में बजट के प्रतिपादन हेतु विशेषज्ञों के साथ परामर्श एक महत्वपूर्ण कार्य है; परन्तु इस प्रक्रिया में सार्वजनिक भागीदारी को भी समान रूप से महत्व देना चाहिए। ऐसी सहभागिता से नीतियों में पारदर्शिता और प्रभावशीलता दोनों बढ़ेगी।

Sridhar Ilango

दिल्ली की सड़कों की हालत को देखते हुए, अब और सहन नहीं किया जा सकता।
हर रोज़ जैसे ही ऑफिस की भीड़ में फँसे लोग पथरीली गड्ढों में फिसलते हैं।
ऐसे में यदि सरकार ने 15 साल तक चलने वाली सड़कें बनाने का वचन दिया है, तो यह केवल शब्द नहीं बल्कि एक भरोसे का कस्बा होना चाहिए।
परंतु बजट का विवरण और संसाधन आवंटन स्पष्ट नहीं है, जो आम जनता के लिए असहजता का कारण बनता है।
मैंने कई नगर निगमों के रिपोर्ट देखे हैं जहाँ इंट्रीग्रेटेड अस्फ़ाल्ट ने 12‑13 साल तक टिकाव दिखाया है।
यदि दिल्ली में वही तकनीक अपनाई जाए तो हम न केवल जाम को कम कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव भी घटा सकते हैं।
सड़कों के साथ-साथ उचित जल निकासी प्रणाली का होना अनिवार्य है, नहीं तो बारिश में एक भीगा‑भीगा सड़कों का जाल बन जाता है।
इसलिए, विस्तृत फेज‑वाईज़ कार्ययोजना बनानी चाहिए, जिसमें प्रारम्भिक जांच, डिजाइन, सामग्री चयन और जाँच‑परख शामिल हो।
जनसंपर्क के लिए व्हाट्सएप और ई‑मेल जैसी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म अत्यंत उपयोगी हैं, लेकिन उन्हें केवल सूचना वहन तक सीमित नहीं रखना चाहिए।
सभी नागरिकों को फीडबैक देने का अधिकार देना, तथा उस फ़ीडबैक को वास्तविक कार्य योजना में शामिल करना चाहिए।
वहीं, सड़क निर्माण में स्थानीय कारीगरों की भागीदारी को बढ़ावा देकर रोजगार भी सृजित हो सकता है।
स्थानीय सामग्री का उपयोग करना भी लागत घटाने में सहायक हो सकता है, बशर्ते उसकी गुणवत्ता मानकों के अनुरूप हो।
एक बार जब सभी स्टेकहोल्डर मिलकर इस दिशा में काम करेंगे, तो दिल्ली के ट्रैफ़िक की समस्या का समाधान न्यूनतम समय में संभव होगा।
यह अंततः न केवल नागरिकों की जीवन गुणवत्ता बढ़ाएगा, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता को भी सुदृढ़ करेगा।
आइए, इस योजना को सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि ठोस कार्य में बदलें, ताकि भविष्य की पीढ़ियों को बेहतर शहर मिल सके।
समाप्ति में, मैं सभी संबंधित एजेंसियों से अनुरोध करता हूँ कि वे इस नीति को शीघ्रता एवं पारदर्शिता के साथ लागू करें।

Anu Deep

दिन-प्रतिदिन के अनुभव से पता चलता है कि नागरिक सहभागिता से ही शहर के योजना में वास्तविक सुधार संभव है। इस पहल को और विस्तृत करने की आवश्यकता है।

Preeti Panwar

दिल्ली के विकास में सभी की आवाज़ होना जरूरी है 😊। आपके फीडबैक से नीति को बेहतर बनाना आसान होगा 🌟।

Ankit Intodia

बुनियादी ढाँचे की मजबूती के बिना कोई भी विकास सार्थक नहीं है; इसलिए साक्ष्य‑आधारित योजना बनाना आवश्यक है।

akshay sharma

अरे, यह तो बहुत ही गंभीर बात है, पर अगर योजना में रंग‑बिरंगे शब्दों का बौछार हो तो जनता को समझ नहीं आएगा! चलो, थोड़ी सी वास्तविकता भी जोड़ें।

Amar Rams

जैसे ही हम तकनीकी जार्गन को हटाकर साधारण भाषा अपनाएँगे, नीति की प्रभावशीलता में वृद्धि होगी; यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।