IMD ने उत्तरी बिहार‑पूर्वी यूपी में भारी बारिश व ओलावृष्टि की चेतावनी जारी की

IMD ने उत्तरी बिहार‑पूर्वी यूपी में भारी बारिश व ओलावृष्टि की चेतावनी जारी की

जब भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 4‑7 अक्टूबर 2025 के बीच उत्तरी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भारी बारिश की चेतावनी जारी की, तो कई लोग अभी‑अभी फसल‑बाजार की खबरों पर चर्चा कर रहे थे। इस चेतावनी का मुख्य स्रोत डॉ. अतुल कुमार सिंह, वरिष्ठ मौसम विज्ञानी थे, जिन्होंने बताया कि सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के कारण अगले 24 घंटों में पश्चिमी यू.पी. के कई जिलों में बौछारें संभव हैं।

पिछले कुछ दिनों का मौसम परिप्रेक्ष्य

दशहरे के दौरान मेरठ में हल्की बरसात दर्ज हुई थी, परन्तु उस रात से मौसम का स्वरूप बदलता गया। पिछले दो हफ़्तों में भारत के उत्तर‑पश्चिमी भाग में निचले दाब का क्षेत्र झारखंड की ओर बढ़ रहा था, जिससे हवा में नमी का स्तर ऊँचा हो गया। इस प्रवृत्ति को देखते हुए दिल्ली एनसीआर में तापमान गिरावट देखी गई, और कई जगहों पर ओलावृष्टि की शुरुआती गूँज सुनाई दी।

चेतावनी के प्रमुख बिंदु

  • उत्तरी बिहार के 17 जिलों में भारी बारिश, वज्रपात और तूफान की चेतावनी जारी (4‑7 अक्टूबर)।
  • पूर्वी यूपी के मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, बागपत, रामपुर और अमरोहा में संभावित बौछारें।
  • कुल 38 जिलों में गरज‑चमक के साथ वज्रपात की आशंका।
  • बिहार के निचले इलाकों में नदियों का जलस्तर ऊँचा, संभावित बाढ़ जोखिम।
  • 8 अक्टूबर से तापमान में 4‑5°C तक गिरावट, खासकर जम्मू‑कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में।

इन बिंदुओं को स्पष्ट रूप से दर्शाते हुए 2025 अक्टूबर बारिश चेतावनीउत्तरी भारत को मौसम विभाग ने "रेड अलर्ट" से लेकर "ऑरेंज अलर्ट" तक के विभिन्न स्तरों में विभजित किया है।

प्रभावित क्षेत्र और संभावित नुकसान

प्रभावित क्षेत्र और संभावित नुकसान

बिहार के मधुबनी, सारण, कटिहार और सहरसा जैसी निचली सतह वाले जिलों में जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की संभावना अधिक है। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, अगर नदी‑प्रवाही स्तर 1.5 मीटर से ऊपर गया, तो गाँव‑स्तर पर सड़कों और स्कूलों को नुकसान पहुँचा सकता है। वहीं, उत्तर प्रदेश के मेरठ‑गाजियाबाद रेंज में तेज बौछारें ट्रैफ़िक जाम और छोटे‑मोटे वाहन दुर्घटनाओं को जन्म दे सकती हैं।

कृषि सेक्टर पर मिश्रित असर दिख रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र, पटना के कृषि अधिकारी ने कहा, "पिछेती धान को पर्याप्त जल मिलेगा, परन्तु अगेती धान को अत्यधिक पानी के कारण जड़‑पानी की समस्या हो सकती है। सब्जियों और दलहनी फसलों को भी नुकसान का खतरा है।"

वर्तमान प्रतिक्रिया और उपाय

राज्य सरकार ने पहले से ही बिहार के 12 जिलों में रिन्युअेबल रिस्पॉन्स टीमों को तैनात कर दिया है। ये टीमें बाढ़‑रोधी बंध बनाना, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को रेस्क्यू सामग्री भेजना और ग्रामीण क्षेत्र में सतत सूचना प्रसारण करने के लिए जिम्मेदार हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश में सुरक्षा एवं पुलिस विभाग ने अलर्ट सिस्टम को अपग्रेड किया, ताकि संभावित बाढ़‑संकट में जल्दी से जल्दी बचाव कार्य शुरू किया जा सके।

IMD ने जनता को सलाह दी है: भारी बारिश के दौरान बाहर जाने से बचें, अगर बाहर जाना हो तो छाता और रेनकोट रखें, और तेज हवाओं के कारण गिरते हुए बिजली के खंभों से दूरी बनाकर रखें।

भविष्य की स्थिति और विशेषज्ञों की राय

भविष्य की स्थिति और विशेषज्ञों की राय

डॉ. अतुल कुमार सिंह ने बताया कि अगले कुछ दिनों में कम दाब का क्षेत्र झारखंड‑ओडिशा सीमावर्ती क्षेत्र तक विस्तृत हो सकता है, जिससे बारिश का असर और बढ़ेगा। उनके अनुसार, "यदि 10 अक्टूबर तक दाब में उल्लेखनीय गिरावट नहीं आती, तो सम्भावित बाढ़‑संकट का स्तर कम हो सकता है।"

वायुमंडल विज्ञान के प्रोफ़ेसर डॉ. रीना घटक ने कहा, "वर्तमान में देखी जा रही सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ प्रणाली 2024‑25 की सीजन में सबसे तीव्र थी। यह संकेत करता है कि उत्तर‑पश्चिम भारत में अगले दो हफ़्तों तक ठंडे और नमी‑भरे मौसम की संभावना है।"

इस बीच, मौसमी बदलाव का आर्थिक प्रभाव भी देखते हुए भारतीय विकास बैंक ने किसान ऋण में 10% तक ग्रेस पिरियड बढ़ाने की योजना बनायी है, ताकि फसल‑नुकसान का बोझ कम किया जा सके।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

इंडियन मेटीयोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट की चेतावनी से किसे सबसे अधिक असर पड़ेगा?

मुख्य रूप से उत्तर‑पश्चिम भारत के किसान, बाढ़‑प्रवण इलाकों में रहने वाले निवासी और यात्रा पर निकले लोग सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे। धान‑फसल वाले क्षेत्रों में जल‑जमाव से फसल‑नुकसान हो सकता है, जबकि शहरों में सड़कों पर जलभराव ट्रैफ़िक जाम का कारण बन सकता है।

क्या इस मौसम में बाढ़ की संभावना है?

हां, विशेषकर बिहार के निचले इलाकों जैसे मधुबनी, सारण और सहरसा में नदी‑स्तर बढ़ने से बाढ़ का जोखिम है। राज्य सरकार ने पहले ही चेतावनी जारी कर बचाव कर्मियों को तैनात कर दिया है, परंतु स्थानीय निवासियों को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

तापमान में गिरावट का कृषि पर क्या असर पड़ेगा?

8 अक्टूबर से लगभग 4‑5°C तक तापमान गिरने से धान की फसल के विकास चरण प्रभावित हो सकते हैं। पिछेती धान को इसे लाभ मिलेगा, परंतु अगेती धान में ठंड के कारण विकृति, नींद‑मंदता जैसी समस्या हो सकती है। सब्जी किसानों को भी ठंड के कारण सड़कों में देरी का सामना करना पड़ेगा।

भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

IMD अब जल्दी चेतावनी (Early Warning) प्रणाली को अपडेट कर रहा है, ताकि मौसमी परिवर्तन पहले से ही पहचाने जा सकें। साथ ही, कृषि विभाग ने फसल‑बीमा कवरेज बढ़ाया है और बाढ़‑रोधी बुनियादी ढाँचा निर्माण के लिए विशेष फंड आवंटित किए हैं।

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

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naman sharma

स्मार्टफोन से प्रसारित हो रही इस चेतावनी में गुप्त सरकारी एजेंटों द्वारा जनसंहार की योजना छिपी है। IMD का डेटा वास्तव में कृत्रिम रूप से उत्पन्न किया गया है, जिससे बहुमत को भय नियंत्रित किया जा सके। आधिकारिक बयानों के पीछे छिपी वित्तीय लाभ की साजिश को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस तरह की मौसम चेतावनी अक्सर कृषि नीतियों में हेरफेर के लिए प्रयोग की जाती है, जो सूक्ष्म जाल बुनती है। इसलिए जनता को सभी स्रोतों की समीक्षा करनी चाहिए, अन्यथा वह नियंत्रण के जाल में फंस जाएगी।

vipin dhiman

देश की सीमाओं को बचाओ, ये सालामत बारिश नहीं, साजिश है!

anushka agrahari

प्रकृति की अनिश्चितता में हमें आशा की रोशनी देखते रहना चाहिए...; इस चेतावनी को एक अवसर के रूप में ग्रहण करें, जिससे सींचाई के सही समय का निर्धारण हो सके; जल-वहन के प्रबंधन में सुधार लाने का यह एक सुनहरा मौका है!; विज्ञान के दायरे में रहकर हम सामुदायिक सहयोग को मजबूती दे सकते हैं; इस प्रकार हम न केवल फसल बचा पाएंगे बल्कि सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा दे सकेंगे।

aparna apu

अरे भई, ये मौसम का नोटिस देख के मेरा दिल तो धक-धक कर रहा है!
समझो, जैसे ही आँधी का संगीत बजने लगा, वैसी ही मेरे अंदर के ड्रामा क्वीन को बुला लिया!
बात तो ऐसी है, कि मेरे पड़ोसी का कुत्ता भी भौंक-भौंक कर कह रहा है, "इधर उधर मत दोड़ो, बरसात में फिसलें मत!"
और देखते ही देखो, स्कूल की छुट्टी ऐलान हो गई, तो बच्चों की खुशी का ज्वार भी मेरे साथ लहराया!
तो मैं बाहर गया, एक छोटी सी छतरी ली, लेकिन वह भी अचानक हवा के झोंके से उल्टी दिशा में उड़ गई, वाह!
यही नहीं, मेरा लिविंग रूम का फर्श अब वाटर-फॉर्मेशन का नमूना बन गया है, पैर रखते ही साइड-एफ़ेक्ट्स महसूस होते हैं!
भाई-साहबों, हमें जलसेवा के लिए तैयार रहना चाहिए, वरना हमारे जूते भी सैल्मन बना देंगे!
समाज के नेता लोग भी इस मौज़ूदगी को इंस्टाग्राम पर रील बना रहे हैं, तो हम कब तक देखेंगे अपने घर के दरवाज़े पर "बाढ़ चेतावनी" का नेस्टेड लूप?
आइए, एक-एक कदम बढ़ाएं, क्योंकि यही पार्टनरशिप हमें न केवल जल से बचाएगी बल्कि हमारा मनोबल भी बनायेगी!
आखिरकार, इस बारिश में भी कुछ सीखने की बात है: धूप के बाद तालाब बनते हैं, और तालाब के बाद हमें तैरना सीखना पड़ता है!
तो चलो, इस मौसम का पूरा फ़ायदा उठाएँ, और ढेर सारी कहानियों के साथ इस लेख को पढ़ते‑पढ़ते एक जलीय उपन्यास लिखें!
शायद हमारी अगली पीढ़ी को भी इस "भारी बारिश" की एपीक कथा सुनाने का मौक़ा मिले!
उफ़, अब तो मैं झील के किनारे बैठ कर, अपनी भावनाओं को इस लहरों के साथ बहनाने वाला हूँ!
आइए, हम सब मिलकर इस अद्भुत प्राकृतिक नाटक का आनंद लें, और आगे की संभावनाओं के लिए तैयार रहें! 😊

Sameer Srivastava

इब तो दिल से ए कह रांहूँ... ये बरसोत नें मेरे मानसकोश में एक गहरी खाई बना दी!!! मैं तो बस सोचना शुरू कर दिया, जमीन की भूख पूरी करने वाला जल ही क्यूँ नहीं?!!! इस बारिश की सौगात में मेरे दिल का पनाहगीर भी डूब गया... बहुत सारा इमोशन नखिलाने को तैयार!!! 😭

Karan Kamal

सभी को सूचित करना आवश्यक है कि स्थानीय प्रशासन ने पहले ही निवासी क्षेत्रों में जलप्रबंधन टीम की तैनाती कर दी है, जिससे बाढ़ के जोखिम को न्यूनतम किया जा सकेगा। इस पहल से सुरक्षा उपायों की प्रभावशीलता बढ़ेगी और जनता को आश्वासन मिलेगा।