पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने NITI आयोग की बैठक में 'अपमान' का आरोप लगाया, कहा 'माइक बंद कर दिया गया'

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने NITI आयोग की बैठक में 'अपमान' का आरोप लगाया, कहा 'माइक बंद कर दिया गया'

निति आयोग की बैठक में ममता बनर्जी का आरोप

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 27 जुलाई, 2024 को आयोजित निति आयोग की शासी परिषद की बैठक से एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया। इस बैठक की अध्यक्षता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि उन्हें 'अपमानित' किया गया क्योंकि उनका माइक्रोफोन पांच मिनट के बाद बंद कर दिया गया था, और उन्हें अपना भाषण पूरा करने का अवसर नहीं दिया गया। इस आरोप के आधार पर ममता ने बैठक से बाहर निकलने का निर्णय लिया।

ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने केवल पांच मिनट ही बोले, जबकि अन्य मुख्यमंत्रियों को काफी ज्यादा समय दिया गया। उन्होंने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार केवल निर्देश देती है और राज्यों को जमीनी स्तर पर काम करना होता है। इसके साथ ही ममता ने यह आरोप भी लगाया कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल के 1.72 लाख करोड़ रुपये के फंड को रोक रखा है, और यह राशि आगामी समय में और भी बढ़ जाएगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का खंडन

ममता बनर्जी के इन आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उनकी बातों का खंडन किया। निर्मला ने कहा कि हर मुख्यमंत्री को उनके निर्धारित समय के अनुसार बोलने का समय दिया गया था और बनर्जी का माइक बंद होने का दावा गलत है। इस मामलें में प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने भी अपनी स्थिति स्पष्ट की और कहा कि ममता बनर्जी का बोलने का समय समाप्त हो गया था इसीलिए अलार्म नहीं बजाया गया।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

ममता बनर्जी के खिलाफ मोदी सरकार के इस बर्ताव की विपक्षी नेताओं ने कड़ी निंदा की है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने ममता का समर्थन किया है और इसे अस्वीकार्य बताया है। विपक्षी नेताओं का मानना है कि ममता के आरोपों की गहराई से जांच होनी चाहिए और केंद्र सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।

राजनीतिक वर्चस्व का संकेत

राजनीतिक वर्चस्व का संकेत

यह घटना निति आयोग की बैठकों में राज्यों और केंद्र के बीच होने वाले टकराव का एक और उदाहरण है। ममता बनर्जी के इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि राज्यों के अधिकारों की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री किसी भी हद तक जा सकते हैं। यह विरोध प्रदर्शन भविष्य में राज्यों के केंद्रीय नीतियों के खिलाफ बढ़ते हुए असंतोष का संकेत भी हो सकता है।

ममता का आरोप और केंद्र की स्थिति

ममता बनर्जी के आरोपों के बाद पश्चिम बंगाल के सत्ता में राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना भी बढ़ गई है। यह आरोप राज्य की जनता के बीच भी एक बड़ा मुद्दा बन सकता है, जिससे प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के प्रति विरोध बढ़ सकता है। ममता ने अपने बयान में इस ओर भी इशारा किया कि केंद्र सरकार का रवैया राज्यों के साथ सौहार्दपूर्ण नहीं है और इन्हें सिर्फ आदेश प्राप्त करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

आगे का रास्ता

हालांकि, निर्मला सीतारमण और प्रेस सूचना ब्यूरो ने ममता बनर्जी के आरोपों को खारिज कर दिया है, लेकिन ये आरोप राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं और आने वाले समय में इस मुद्दे को लेकर अन्यों राज्यों के साथ भी टकराव बढ़ सकते हैं। राज्यों के मुख्यमंत्रियों को उनके विचार रखने का पूरा अधिकार मिलना आवश्यक है, और इस घटना के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि केंद्र और राज्यों के बीच संबंध किस दिशा में विकसित होते हैं।

अंततः, ममता बनर्जी का यह आरोप और उसके बाद का घटनाक्रम भारतीय राजनीति के ताजगी में एक नया मोड़ साबित हो सकता है। विभिन्न राज्यों के अपने मुद्दों और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, निति आयोग की बैठकें एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में सामने आती हैं। इन बैठकों में हुए घटनाक्रमों से राजनैतिक संदेश और गठजोड़ बनते और टूटते हैं, जो देश की राजनीति को आगे बढ़ाते हैं।

द्वारा लिखित राजीव कदम

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निवास पर आरजी कर अस्पताल विवाद सुलझाने के लिए डॉक्टर्स से मुलाकात

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने NITI आयोग की बैठक में 'अपमान' का आरोप लगाया, कहा 'माइक बंद कर दिया गया'