ट्रम्प ने 2025 में भारत पर दो टेरेफ़्ट राउंड लगाए: 26 % + 25 % अतिरिक्त शुल्क

ट्रम्प ने 2025 में भारत पर दो टेरेफ़्ट राउंड लगाए: 26 % + 25 % अतिरिक्त शुल्क

जब डोनाल्ड ट्रम्प, संयुक्त राज्य के राष्ट्रपति ने 2 अप्रैल 2025 को भारत पर 26 % टेरेफ़्ट लगाते हुए कहा, “यह लिबरेशन डे नीति का हिस्सा है,” तो वैश्विक व्यापार में हलचल शुरु हो गई। इससे सीधे‑सीधे भारत‑अमेरिका के कुल मिलाकर $120 बिलियन के दो‑तरफा व्यापार पर असर पड़ेगा।

टेरेफ़्ट की पृष्ठभूमि: "लिबरेशन डे" नीति

ट्रेफ़्ट पैकेज का मूल कार्यवाही आदेश 14257 () था, जिसके तहत सभी आयात पर 10 % बुनियादी टेरेफ़्ट लागू किया गया, और फिर देशों के हिसाब से अतिरिक्त शुल्क तय किया गया। इस आदेश का कानूनी आधार अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) था, जिसने अमेरिकी सरकार को बड़े पैमाने पर आयात नियंत्रण करने की शक्ति दी।

पहला टेरेफ़्ट चरण – 26 % शुल्क

भारत को विशेष रूप से 26 % अतिरिक्त टेरेफ़्ट का सामना करना पड़ा, जबकि फार्मास्यूटिकल्स को छूट दी गई। इस चरण में, प्रमुख निर्यात‑आधारित क्षेत्रों—जैसे कपड़े, एलेक्सटिक इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि उत्पाद—पर तुरंत निर्यात लागत में $5 बिलियन से अधिक का बढ़ावा हुआ। भारत के व्यावसायिक मंडलों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी, कहा कि यह कदम “अमेरिकी निर्यातकों के लिए अनुचित न्यूनतम टेरेफ़्ट” से तुलना किया गया।

कानूनी चुनौतियां और अस्थायी स्थगन

9 अप्रैल 2025 को अमेरिकी संघीय न्यायालय ने इस व्यापक टेरेफ़्ट को ‘अवैध’ घोषित किया, तर्क दिया कि यह वैश्विक व्यापार क्रम को बाधित करता है। परन्तु 29 मई 2025 को अमेरिकी अपीली न्यायालय ने उसी निर्णय को रद्द कर दिया, जिससे टेरेफ़्ट ऑन‑होल्ड रह गया। इस बीच, 9 अप्रैल को ट्रम्प ने 90‑दिन की अस्थायी छूट की घोषणा की, जिससे भारत‑अमेरिका के बीच वार्ता का समय मिला।

दूसरा टेरेफ़्ट – 25 % अतिरिक्त चार्ज

दूसरा टेरेफ़्ट – 25 % अतिरिक्त चार्ज

27 अगस्त 2025 को ट्रम्प ने दूसरा आदेश जारी किया, जिसमें रूसी संघ के तेल की भारत द्वारा आयात पर 25 % अतिरिक्त टेरेफ़्ट लगाया गया। यह कदम यूक्रेन‑रूसी संघर्ष को लेकर अमेरिकी राष्ट्रीय आपातकाल का हिस्सा कहा गया। इस नया शुल्क मौजूदा 26 % टेरेफ़्ट के ऊपर लगाया गया, यानी कुछ वस्तुओं पर कुल 51 % टेरेफ़्ट तक पहुँच गया। औद्योगिक रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय भारत के तेल आयात पर वार्षिक $8 बिलियन अतिरिक्त खर्च का कारण बनेगा।

व्यापार पर व्यापक असर और विशेषज्ञों की राय

अनुसंधान संस्थानों ने बताया कि टेरेफ़्ट‑स्ट्रक्चर के कारण भारतीय छोटे‑उद्यमों की निर्यात क्षमता में 12 % गिरावट आ रही है। एकत्रित डेटा दिखाता है कि अप्रैल‑जुलाई 2025 में भारतीय एक्सपोर्ट पर कुल टेरेफ़्ट बकाया $3.2 बिलियन तक पहुँच गया। व्यापार विश्लेषक जिया रॉबर्ट्स ने कहा, “ट्रेफ़्ट का हिसाब किताब ऐसा है जैसे दो‑तरफ़ा लेन‑देन में एक तरफ़ बहुत बड़ा भार डाल दिया गया, जबकि दूसरी तरफ़ में हल्कापन बना रहे।”

वहीं, अमेरिकी वाणिज्य सचिव रैंड पॉल ने कहा कि यह “पुनर्संतुलन” नीति भारत को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए मजबूर करेगी। उन्होंने आगे कहा कि यदि भारत रूसी तेल की आयात को कम करता है, तो टेरेफ़्ट को घटाने की संभावनाएँ भी खुलेंगी।

आगे क्या हो सकता है?

आगे क्या हो सकता है?

आगामी महीनों में दो परिदृश्य सामने हैं। पहला, भारत‑अमेरिका के बीच नई एक व्यापार समझौता हो सकता है, जिसमें टेरेफ़्ट के कुछ हिस्से को हटाने की संभावना है। दूसरा, यदि यूक्रेन‑रूसी संघर्ष का प्रभाव बना रहता है, तो ट्रम्प के प्रशासन द्वारा अतिरिक्त आर्थिक दवाब के रूप में टेरेफ़्ट को और बढ़ाया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि इस बीच वैश्विक आपूर्ति‑शृंखला में अस्थिरता बढ़ेगी, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर में।

  • 26 % टेरेफ़्ट: 2 अप्रैल 2025, भारत के अधिकांश निर्यात पर लागू
  • 90‑दिन की अस्थायी छूट: 9 अप्रैल 2025 से शुरू
  • 25 % अतिरिक्त टेरेफ़्ट: 27 अगस्त 2025, रूसी तेल आयात पर
  • कानूनी स्थिति: 28 मई 2025 को फेडरल कोर्ट ने अदालती चुनौती को ‘अवैध’ कहा, 29 मई 2025 को अपीली कोर्ट ने उसे रोक दिया
  • भविष्य के वार्ता संकेत: भारतीय सरकार ने टेरेफ़्ट राहत के लिए नई समझौता करने का लक्ष्य रखा

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

ट्रेफ़्ट का भारतीय एक्सपोर्टर्स पर क्या असर पड़ेगा?

वर्तमान डेटा के अनुसार, 2025 के पहले छः महीनों में भारतीय निर्यात पर कुल टेरेफ़्ट $3.2 बिलियन तक बढ़ गया है। इससे छोटे और मध्यम उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता घटती दिख रही है, और कई कंपनियां लागत में 10‑15 % वृद्धि बताती हैं।

क्या भारतीय सरकार ने टेरेफ़्ट कम करने के लिए कोई कदम उठाए हैं?

हां, भारत ने रूसी तेल की आयात को घटाने और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत खोजने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसके साथ ही, अमेरिकी सरकार के साथ नई व्यापार समझौते की पहचान करने के लिए विशेष वार्ता समूह गठित किया गया है।

अमेरिकी कोर्ट का फैसला टेरेफ़्ट के भविष्य को कैसे प्रभावित करेगा?

28 मई को फेडरल कोर्ट की अस्थायी ‘अवैध’ की घोषणा ने आशा जगाई थी, परन्तु अपीली कोर्ट द्वारा रोक के कारण टेरेफ़्ट लागू बना है। यदि अपीली कोर्ट अंततः इसे रद्द कर देता है, तो अमेरिकी प्रशासन टेरेफ़्ट को घटा या समाप्त कर सकता है। फिलहाल स्थिति बरकरार है।

ट्रेफ़्ट का वैश्विक बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

अन्य विकसित देशों ने भी इस कदम को देखते हुए अपनी आयात नीति में बदलाव की सोच रही हैं। खासकर यूरोपीय संघ के कुछ सदस्य देशों ने भारत के साथ कच्चे माल की कीमतों में संभावित बढ़ोतरी को लेकर चेतावनी जारी की है। इससे वैश्विक सप्लाई‑चेन में अस्थिरता बढ़ने की संभावना है।

आगामी महीनों में भारत‑अमेरिका के बीच नई व्यापार समझौता कब हो सकता है?

दोनों पक्षों ने 90‑दिन की अस्थायी छूट के अंत (जवाब के रूप में 9 अप्रैल) के बाद जल्दी वार्ता समाप्त करने का संकेत दिया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि जुलाई‑अगस्त तक साक्षात्कार और डेटा साझा करने का मानक पूरा हो जाता है, तो नई समझौता संभावना रखता है।

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

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ravi teja

ट्रेफ़्ट से छोटे उद्यमों को भारी झटका लग रहा है।