ओला और जोमैटो के शेयरों में गिरावट: इन 10 स्टॉक्स में आई थी भारी उथल-पुथल

ओला और जोमैटो के शेयरों में गिरावट: इन 10 स्टॉक्स में आई थी भारी उथल-पुथल

10 मार्च 2025: मार्केट में तेजी और मंदी के खेल

10 मार्च 2025 को भारतीय शेयर बाजारों में सबकी नजरें बेंचमार्क इंडेक्स पर थीं, जब यह रिकॉर्ड स्तर से पीछे हटकर दिन भर की सबसे बड़ी गिरावट की ओर जा रहा था। सेंसेक्स 0.36% की गिरावट के साथ 74,115 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 0.50% फिसलकर 22,460 पर बंद हुआ। इसके विपरीत मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स और ज्यादा निराशाजक साबित हुए, मिडकैप में 1.5% और स्मॉलकैप में 2% की गिरावट दर्ज की गई।

टॉप गेनर्स में सबसे पहले पॉवरग्रिड का नाम आया जो 3.02% बढ़कर ₹271.25 पर बंद हुआ। हिंदुस्तान यूनिलीवर ने 1.9% की बढ़ोतरी की और ₹2,246.50 तक पहुँच गया। एचएफसीएल का शेयर भी बढ़ा क्योंकि इसके सहयोगी एचटीएल ने भारतीय सेना से अधिकारियों के लिए फाइबर ऑप्टिकल केबल्स के लिए 44.36 करोड़ रुपए का अनुबंध जीता। टाटा पावर ने आंध्र प्रदेश के साथ 7,000 मेगावाट के अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए समझौता ज्ञापन पर दस्तखत किए। वहीं, बोदल केमिकल्स में 18% की वृद्धि हुई क्योंकि भारत सरकार द्वारा लगाए गए एंटी-डंपिंग ड्यूटी ने इसके ट्राइक्लोरो आइसोसाइन्यूरिक एसिड के उत्पादन को बढ़ावा दिया।

टॉप लूज़र्स और सेक्टोरल डिटेल्स

वहीं टॉप लूज़र्स में ओएनजीसी का नाम सबसे ऊपर था, जिसमें 4.12% की गिरावट आई और यह ₹223.29 पर बंद हुआ। ट्रेंट ने भी 4.11% की गिरावट के साथ ₹4,794.45 पर बंद किया जब कोटक संस्थागत इक्विटीज ने इसे 'कम करें' की रेटिंग दी। इंडसइंड बैंक ने 5% की गिरावट दर्ज की और 52 सप्ताह के निचले स्तर पर पहुँच गया, यह रिज़र्व बैंक द्वारा संस्थान के सीईओ मनोरंजन अधिकारों में विस्तार के फैसले के बाद हुआ। 360 वन वाम में 8.2% की गिरावट आई क्योंकि बाजार में बढ़ती नियामकीय सीमाओं और अस्थिरता का दबाव बना हुआ था।

मेटल इंडेक्स में जफरी द्वारा सकारात्मक दृष्टिकोण के कारण कुछ राहत मिली, लेकिन ट्रंप-कालीन टैरिफ और मुनाफावसूली के चलते व्यापक अर्थव्यवस्था गिरावट में रही। विश्लेषकों के अपग्रेड और नियामकीय बदलावों ने भी शेयरों की दिशा को प्रभावित किया।

द्वारा लिखित Sudeep Soni

मैं एक वरिष्ठ पत्रकार हूं और मैंने अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम किया है। मैं मुख्य रूप से समाचार क्षेत्र में सक्रिय हूँ, जहाँ मैं दैनिक समाचारों पर लेख लिखने का काम करता हूं। मैं समाज के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग करता हूं और निष्पक्ष सूचना प्रदान करने में यकीन रखता हूं।

ओला और जोमैटो के शेयरों में गिरावट: इन 10 स्टॉक्स में आई थी भारी उथल-पुथल

PG Electroplast शेयर में चार दिन में 40% की गिरावट, पांच साल की दमदार रैली के बाद निवेशकों में हड़कंप

Nath FORGEAU

ओला और जोमैटो के शेयर गिरते देख बोर हो गया.

Hrishikesh Kesarkar

टॉप लूज़र्स की लिस्ट देखकर लगता है कि सेक्टरल सर्वेलेन्स फेल हो रही है।

Manu Atelier

उल्लेखित गिरावट प्रत्यक्ष रूप से बाजार की अस्थिरता को दर्शाती है, विशेषकर नॉन-कोर सेक्टर में। यह तथ्य सूचकांक के व्यापक प्रभाव को उजागर करता है, जहाँ मध्यम आदि कंपनियां मार्जिनल हानि झेलती हैं। इस परिप्रेक्ष्य में, निवेशकों को पोर्टफोलियो विविधीकरण पर पुनर्विचार करना आवश्यक प्रतीत होता है। विश्लेषकों का यह अनुमान कि मौजूदा मंदी अल्पकालिक प्रभाव रखेगी, पूर्णतः असत्य नहीं है। तथापि, दीर्घकालिक वृद्धि के लिए स्थायी नीतियों का निर्माण अनिवार्य है। इस दिशा में, नियामक संस्थाओं को बाजार शुद्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। अंततः, इस झटके का प्रभाव केवल आँकड़ों में नहीं, बल्कि निवेशकों के मनोविज्ञान में भी परिलक्षित होगा।

Vaibhav Singh

ओएनजीसी की गिरावट दर्शाती है कि ऊर्जा क्षेत्र में निवेशकों का भरोसा कमी पर है।

Vaibhav Kashav

अरे वाह, ऊर्जा कंपनी गिरने पर हम सब को बर्फ़ीला ठंडा महसूस होता है, क्या मज़ा है।

Chandan kumar

इंडसइंड बैंक की गिरावट सुनके लगता है कि RBI के फैसले कभी बड़े नहीं होते।

Swapnil Kapoor

आज के बाजार में ओला और जोमैटो जैसे टेक स्टॉक्स की गिरावट कई निवेशकों को चिंतित कर रही है।
यह गिरावट मुख्यतः मैक्रोइकोनॉमिक डेटा में अस्थिरता और ग्राहक खर्च में कमी के कारण हो सकती है।
विशेष रूप से, इन कंपनियों की राजस्व मॉडल को विज्ञापन खर्च में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।
साथ ही, विदेशी निवेशकों की धीरज कम होने से फंड फ्लो में प्रतिबंध लग रहा है।
निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए बड़े कैप, मिड-कैप और एग्ज़िक्यूटिव स्टॉक्स को संतुलित करना चाहिए।
छोटे वॉल्यूम वाले स्टॉक्स में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव अधिक होते हैं, इसलिए जोखिम प्रीमियम को ध्यान में रखना आवश्यक है।
यदि आप दीर्घकालिक निवेश की सोच रहे हैं, तो बुनियादी स्वरूप में मजबूत बैलेंस शीट और निरंतर नकदी प्रवाह वाली कंपनियों को प्राथमिकता दें।
उदाहरण के तौर पर, टाटा पावर और पॉवरग्रिड जैसी ऊर्जा कंपनियों ने अभी भी सकारात्मक विकास दिखाया है।
ये कंपनियां सरकारी नीतियों के तहत पुनर्नवीनीकरण ऊर्जा में निवेश कर रही हैं, जिससे भविष्य में स्थायी रिटर्न की संभावना बढ़ती है।
इसके अलावा, डिटर्जेंट सेक्टर जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर ने मजबूत उपभोक्ता मांग को बनाए रखा है।
इन सेक्टर्स में निवेश करने से बाजार की समग्र अस्थिरता को कम करने में मदद मिल सकती है।
जोखिम प्रबंधन के लिए, स्टॉप‑लॉस ऑर्डर सेट करना और नियमित रूप से पोर्टफोलियो रिव्यू करना अनिवार्य है।
साथ ही, टेक्निकल एनालिसिस के संकेतों को भी देखना चाहिए, जैसे कि 200‑डेज मूविंग एवरेज का समर्थन।
यदि कीमतें इस स्तर से नीचे गिरती हैं, तो यह संभावित रिवर्सल का संकेत हो सकता है।
अंत में, निवेशकों को भावनात्मक निर्णयों से बचते हुए, डेटा‑ड्रिवेन रणनीति अपनानी चाहिए।

Shweta Tiwari

वास्तव में, इस प्रकार के बाजार उतार-चढ़ाव को सटीक रूप से समझना आवस्यक है और मुझे लगता है कि आपके विश्लेषण में थोड़ा अधिक गहराई की जरूरत है।

priyanka Prakash

ऐसे तकनीकी विश्लेषण से भारत की आर्थिक स्वतंत्रता को खतरा नहीं होना चाहिए, हमें अपने उद्योगों को समर्थन देना चाहिए।

Pravalika Sweety

बाज़ार की बहस में अक्सर राष्ट्रीय भावना को मिश्रित करना एक सामान्य प्रवृत्ति है, परन्तु विश्लेषण में तथ्यात्मक आधार बनाये रखना ही बेहतर रहता है।

Anu Deep

यह देखना दिलचस्प है कि इन शेयरों की अस्थिरता के पीछे कौन-से सूक्ष्म संकेत छिपे हैं।

Preeti Panwar

आपकी बात से सहमत हूँ 😊 बाजार की जटिलता को समझने में सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

Ankit Intodia

जैसे कहते हैं, हर गिरावट में एक नई सीढ़ी छिपी होती है, बस नजरिया बदलना पड़ता है।

akshay sharma

वो बाजार का बवंडर, जहाँ हर रूमाल में चमकते हैं लाल और नीले सपने, अब धूमिल हो गए हैं! यह उतना ही विनाशकारी है जितना सैलाब में टूटा हुआ बोट।